फैक्ट एंड फिगर

-6 रजिस्ट्री कार्यालय हैं बरेली में

-21 ई-स्टांप वेंडर हैं बरेली में रजिस्टर्ड

-120 से अधिक होती हैं डेली रजिस्ट्री

-10 के ई-स्टांप के लिए वसूले जा रहे 20 रुपए

-100 रुपए का स्टांप 120 में

-डीएम ऑफिस व कोषागार के सामने खुलेआम रेट से अधिक में बेचे जा रहे हैं ई-स्टैंप

-कम्प्यूटर, स्याही और कागज के नाम पर निर्धारित रेट से कई गुना ज्यादा कर रहे वसूली

बरेली: स्टांप की बिक्री में गड़बड़ी और ब्लैक मार्केटिंग रोकने के साथ ही पारदर्शिता बनी रही, इसके लिए सरकार ने ई-स्टांप की शुरूआत की। ई-स्टांप वेंडर को भी रजिस्टर्ड होने के बाद ही स्टांप सेल करने की परमीशन मिलती है लेकिन शहर में ई-स्टांप पर लूट की खुली छूट है। यह बात हम ऐसा ही नहीं कह रहे बल्कि दैनिक जागरण आईनेक्स्ट के स्टिंग में यह चौंकाने वाली हकीकत सामने आई है। यहां पर फिजीकल स्टांप के साथ ही ई-स्टांप पर भी ओवररेटिंग की जा रही है। यानि 10 रुपए वाला स्टांप 20 में तो वहीं 100 रुपए वाला स्टांप 120 में बेचा जा रहा है। वो भी कलेक्ट्रट के सामने ही, लेकिन हैरत की बात है कि इसके बाद भी जिम्मेदार इसकी अनदेखी कर रहे हैं। आइए बताते हैं आपको पूरी हकीकत

रिपोर्टर और स्टांप वेंडर से बातचीत के अंश

रिपोर्टर: मुझे स्टांप चाहिए।

वेंडर: ई-स्टांप ही मिलेगा, कितने रुपए का चाहिए।

रिपोर्टर: दस रुपए वाला स्टांप।

वेंडर: दस रुपए का स्टांप 20 रुपए में मिलेगा।

रिपोर्टर: क्या रेट दोगुना हो गए।

वेंडर: नहीं इसमें खर्चा अधिक आता है

रिपोर्टर: कैसे।

वेंडर: ई-स्टांप को निकालने में प्रिंटर आदि का भी खर्चा लगता है इसीलिए 20 रुपए से कम का नहीं है।

रिपोर्टर: दस रुपए के अधिक स्टांप लेना है तो कुछ रेट कम होंगे

वेंडर: दस वाले स्टांप के 20 रुपए की लगेंगे और 100 रुपए वाले स्टांप के 120 रुपए लगेंगे।

रिपोर्टर: आप अपना कमीशन ले रहे हो या फिर अधिक वसूली करोगे

वेंडर: कहीं और से ले लीजिए जहां सस्ता मिलता हो।

वसूल रहे मनमाने रेट

फिजिकल स्टांप की खरीद फरोख्त और इनके यूज में होने वाली गड़बड़ी को कंट्रोल करने के लिए ही शासन ने ई-स्टांप की व्यवस्था लागू की। इस व्यवस्था के लागू होने के बाद ही जिले में भी पुराने स्टांप वेंडर की जगह नए ई-स्टांप वेंडिंग के लाइसेंस जारी किए गए। अब यह ई-स्टांप वेंडर भी कम कीमत के स्टांप की बिक्री में मनमानी कर रहे हैं। इन दिनों बड़े अधिकारियों के इलेक्शन कार्य में बिजी होने से यह वेंडर जमकर ओवररेटिंग कर रहे हैं।

इसलिए शुरू हुए ई-स्टांप

ई-स्टांप व्यवस्था लागू होने से रजिस्ट्री कार्यालय की व्यवस्थाओं में भी बदलाव आया। पहले रजिस्ट्री में जमीन की कीमत के अनुसार कई स्टांप लगते थे। इन स्टांप की लिखावट में कई त्रुटियां होती थी। हर दिन बड़ी संख्या में रजिस्ट्री होने से यहां के कर्मचारियों के लिए इन स्टांप को चेक करना तक मुश्किल होता था। अब ई-स्टांप के जरिए रजिस्ट्री होने से कर्मचारियों के लिए इनको चेक करना आसान है। इससे फर्जीवाड़े में भी काफी हद तक लगाम लगी है।

मुझे एफिडेफिड के लिए 10 रुपए का स्टाप चाहिए था तो 20 रुपए लिए और उस पर लिखवाने के लिए अलग स रुपए लिए हैं। अब तो ऑनलाइन जब से सब कुछ हुआ है तो रुपए की वूसली और अधिक बढ़ गई है।

रमेश चन्द्र

ई-स्टांप से फायदा तो कम लेकिन रेट पर ओवर रेटिंग से नुकसान अधिक हो गया। अफसर भी इस तरफ ध्यान दें तो रेट पर कंट्रोल हो सकता है। क्योंकि ओवर रेट बेंचने का कोई किसी को अधिकार नहीं है।

संजय राजपूत

ई-स्टांप की बिक्री करने वालों की समय समय पर चेकिंग हो ताकि वह ओपर रेट वसूलने डरे। वह तो ओपन में ही 10 रुपए का स्टांप 20 में बेंच रहे हैं लेकिन इसके बाद भी वह डरते नहीं है। मैंने तो एफिडेफिड के लिए स्टांप लिया था।

सोमेश शर्मा

अभी कुछ दिनों से मैं इलेक्शन के काम में बिजी हूं, इसीलिए मेरे पास तक स्टांप की ओवर रेटिंग की शिकायत नहीं पहुंची है। इसके बाद भी मैं कल ही इसकी जानकारी लूंगा। अगर ओवर रेटिंग पाई गई तो निश्चित ही कार्रवाई की जाएगी।

बीसी सिंह, एआईजी स्टांप