-इस बार माघ पूíणमा पर बन रहा हरिद्वार महाकुम्भ पर चतुर्थ प्रमुख शाही स्नान का योग

-मघा नक्षत्र पर सुकर्मा योग में स्नान-दान,पितृ तर्पण का मिलेगा विशेष लाभ

बरेली: 27 फरवरी को मनाई जाने वाली माघ माह की पूर्णिमा पर इस बार विशेष संयोग बन रहा है। माघ मास की पूर्णिमा पर स्नान पर्व का विशेष महत्व है। बालाजी ज्योतिष संस्थान के पं। राजीव शर्मा का कहना है कि इस दिन सूर्योदय से मघा नक्षत्र पूर्वाह्न 11::18 बजे तक रहेगा, सुकर्मा योग सायं 7:37 बजे तक रहेगा।

स्नान पर्व का विशेष महत्व

हरिद्वार के महाकुम्भ का चतुर्थ प्रमुख स्नान पर्व इस दिन माघी पूíणमा की पवित्र तिथि पर मनाया जाएगा। मघा नक्षत्र से संबंधित होने के कारण इस मास का नाम माघ माह है। इस नक्षत्र के अधिष्ठात्र देवता पितर-गण हैं। माघ स्नान का अनुष्ठान करने वाले के लिए यह आवश्यक है कि वह पौष पूíणमा को स्नान कर माघ व्रत प्रारम्भ करें और माघ पूíणमा को स्नान कर व्रत का समापन करें। इस स्नान का मुख्य समय अरुणोदय काल अथार्त सूर्योदय से 1:45 मिनट पहले होगा।

दान करने का विशेष फल

माघ पूíणमा का धाíमक दृष्टि से विशेष महत्व है। स्नान पर्वो का यह अंतिम प्रतीक है, इस पर्व में यज्ञ, तप तथा दान का विशेष महत्व है। इस दिन स्नान आदि से निवृत्त होकर भगवान विष्णु का पूजन, पितरों का श्राद्ध और भिखारियों को दान करने का विशेष फल प्राप्त होता है। निर्धनों को भोजन, वस्त्र, तिल, कंबल, गुड़, कपास, घी, लड्डू, फल, अन्न, पादुका आदि का दान करना चाहिए। ब्राह्मणों को भोजन कराने का महात्म्य व्रत करने से ही होता है। इस दिन गंगा स्नान करने से मनुष्यों की भवबाधाएं दूर होती हैं। इस मास में काले तिलों से हवन और काले तिलों से ही पितरों का तर्पण करना चाहिए। मकर संक्रांति के समान ही तिल के दान का इस माह में विशेष महत्व है। माघ स्नान करने वाले पर भगवान माधव प्रसन्न रहते हैं तथा सुख-सौभाग्य, धन-संतान तथा स्वर्ग आदि उत्तम लोकों में निवास तथा देव विमानों में विहार का अधिकार देते हैं। यह माघ स्नान परम पुण्यशाली व्यक्ति को ही कृपा अनुग्रह से ही प्राप्त होता है।

माघ स्नान का सम्पूर्ण विधान वैशाख मास के स्नान के समान ही होता है। सूर्य को अ‌र्ध्य देते समय इस मंत्र को बोलना चाहिए:-

ज्योति धाम सविता प्रबल, तुमरे तेज प्रताप

छार-छार है जल बहै, जनम-जनम गम पाप