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बरेली ब्यूरो । हिंदू पर्व निर्णय के अनुसार सूर्य मकर राशि में जिस दिन प्रवेश करता है, उस दिन मकर संक्रान्ति मनाई जाती है। यदि सूर्य मकर राशि में सूर्योदय से पूर्व प्रवेश करें तो मकर संक्रान्ति पहले दिन ही मनाई जायेगी। बालाजी ज्योतिष संस्थान के पं। राजीव शर्मा का कहना है कि इस वर्ष 14 जनवरी को मकर संक्रान्ति होना विशेष महत्वपूर्ण है, क्योंकि इस वर्ष संक्रान्ति अयन संक्रान्ति होने के कारण अति महत्वपूर्ण है। सूर्य देव का मकर राशि में प्रवेश निरयण गणना के अनुसार 14 जनवरी को अपराह्न 2:29 बजे होगा। इस वर्ष मकर संक्रान्ति के समय अति शुभ फल देने वाला 'रोहिणी नक्षत्रÓ एवं सिद्धि देने वाला 'शुभ योगÓ के उपरांत ब्रह्म योग रहेगा। इस दिन रोहिणी व्रत भी है जिसका फल शुभ होना बताया गया है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार मकर संक्रान्ति के स्वामी सूर्य पुत्र शनि देव हैं। शनि के प्रकोप से मुक्ति पाने के लिए इस दिन की गई सूर्य उपासना महाशुभ है। इस दिन तीर्थों पर स्नानादि का विशेष महत्व है।

इस बार पौष माह में हैं संक्रंाति
मत्स्य पुराण के अनुसार मकर संक्रान्ति के दिन सूर्योपासना के साथ यज्ञ, हवन एवं दान को पुण्य फलदायक माना गया है। शिव रहस्य ग्रन्थ में मकर संक्रान्ति के अवसर पर हवन पूजन के साथ खाद्य वस्तुओं में तिल एवं तिल से बनी वस्तुओं का विशेष महत्व बताया गया है। पुराणों के अनुसार मकर संक्रान्ति सुख शान्ति, वैभव, प्रगति सूचक, जीवों में प्राण दाता, स्वास्थ्य वर्धक, औषधियों के लिए वर्णकारी एवं आयुर्वेद के लिए विशेष है। संक्रान्ति दिन में हो तो प्रथम तृतीयांश में क्षत्रियों को, दूसरे तृतीयांश में ब्राह्मणों को, तीसरे तृतीयांश में वैश्यों को और सूर्यास्त के समय की संक्रान्ति शूद्रों को कष्टप्रद होती है। इसी प्रकार रात्रि के प्रथम प्रहर की संक्रान्ति घृणित कर्म करने वालों को, दूसरे प्रहर की संक्रान्ति राक्षसी प्रवृत्ति के लोगों को, तीसरे प्रहर की संक्रान्ति संगीत से जुड़े लोगों को, चौथे प्रहर की संक्रान्ति किसान, पशुपालक, मजदूरों के लिए दुखदायिनी होती है। मकर संक्रान्ति माघ मास में आती है परन्तु इस वर्ष मकर संक्रान्ति पौष माह में पड़ रही है।


मकर संक्रान्ति का पुण्य काल
मुहुर्त चिंतामणि ग्रंथ के अनुसार सूर्य के संक्रान्ति से 40 घटी पहले और 40 घटी बाद तक पुण्य काल माना जाता है अत: महापुण्य काल अपरान्ह 02:38 बजे तक एवं पुण्यकाल सूर्यास्त तक रहेगा।


कर संक्रान्ति का दान
मकर संक्रान्ति के दिन स्नान, दान का अति विशेष महत्व है। पदमपुराण के अनुसार इस संक्रान्ति में दान से करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है। इस दिन भगवान सूर्य को लाल वस्त्र, गेंहू, गुड़, मसूर दाल, तांबा, स्वर्ण, सुपारी, लाल फल, लाल फूल, नारियल, दक्षिणा आदि सूर्य दान का शास्त्रों में विधान है। इस संक्रान्ति के पुण्य काल में किये गये दान-पुण्य सामान्य दिन के दान-पुण्य से करोड़ गुना फल देने वाले होता है।

मकर संक्रान्ति का महत्व
शास्त्र के अनुसार ऐसा माना जाता है कि कर्क संक्रान्ति के समय सूर्य का रथ दक्षिण की ओर मुड़ जाता है। इससे सूर्य का मुख दक्षिण की ओर तथा पीठ हमारी ओर होती है। इसके विपरीत मकर संक्रान्ति के दिन से सूर्य का रथ उत्तर की ओर मुड़ जाता है अर्थात् सूर्य का मुख हमारी ओर (पृथ्वी की तरफ) हो जाता है। फलत: सूर्य का रथ उत्तराभिमुख होकर हमारी ओर आने लगता है। सूर्यदेव हमारे अति निकट आने लगते है। मकर संक्रान्ति सूर्य उपासना का अत्यन्त महत्वपूर्ण, विशिष्ट एवं एकमात्र महापर्व है। यह एक ऐेसा पर्व है जो सीधे सूर्य से संबंधित है। मकर से मिथुन तक की 6 राशियों में 6 महीने तक सूर्य उत्तरायण रहते हैं तथा कर्क से धनु तक की 6 राशियों में 6 महीने तक सूर्य दक्षिणायन रहते हैं। कर्क से मकर की ओर सूर्य का जाना दक्षिणायन तथा मकर से कर्क की ओर जाना उत्तरायण कहलाता है। सनातन धर्म के अनुसार उत्तरायण के 6 महीनों को देवताओं का एक दिन और दक्षिणायन के 6 महीनों को देवताओं की एक रात्रि माना गया है।


अशुभ ग्रहों को करें अनुकूल
-पूजा, दान, व्रत करने के अतिरिक्त कुण्डली के कमजोर ग्रहों के अशुभ प्रभाव को कम करने के लिये उनसे सम्बन्धित दान पुण्य करना चाहिए
-सूर्य ग्रह के कमजोर होने पर गेहूं, स्वर्ण, तांबा, बर्तन, गुड़, गाय, लाल वस्त्र लाल फूल, लाल चंदन आदि वस्तुओं का दान ब्राह्मण करना चाहिए
-चंद्र ग्रह कमजोर होने के पर चांदी की वस्तुयें, मोती, चावल, दूध, शंख, कपूर, दूध, दही, खीर आदि वस्तुयें किसी कन्या अथवा महिला को दान करें।
-बुध ग्रह के कमजोर होने पर साबुत मूंग स्वर्ण, हरा वस्त्र, पन्ना, कस्तूरी, हरी घास, हरी सब्जियां, किसी गरीब व्यक्ति को दान करें।
-मंगल ग्रह के कमजोर होने पर मूसर की दाल, लाल कपड़ा,गेहूं, सोना, तांबा, लाल चन्दन, मूंगा, गुड़, लाल बेल आदि दोपहर को किसी गरीब को दान करें।
-शुक्र ग्रह के कमजोर होने पर सफेद रेशमी कपड़ा, चावल, दही, घी, गाय-बछड़ा, हीरा, इत्र, कपूर, शक्कर, सफेद तिल, मेकअप का सामान, ओपल आदि सांयकाल के समय किसी स्त्री को दान करें।
-बृहस्पति ग्रह के कमजोर होने पर पीली मिठाइयां, केला, हल्दी, पीला धान्य, पीला कपड़ा, पुखराज, स्वर्ण, चने की दाल, शहद, केसर, शक्कर आदि किसी ब्राह्मण को दें।
-शनि ग्रह के कमजोर होने पर काली उड़द, तेल, काले वस्त्र, लोहे की वस्तुयें, स्टील के बर्तन, काला तिल, कंबल, जूता, नीलम आदि वस्तुयें सांयकाल किसी गरीब वृद्ध को दान करें।
-राहू के कमजोर होने पर काले-नीले फूल, कोयला, नीला वस्त्र, कम्बल, गोमेंद, उड़द, तेल, लोहा, मदिरा आदि किसी गरीब व्यक्ति को दान करें।
-केतु ग्रह के कमजोर होने पर काला फूल, चाकू, लोहा, छतरी, सीसा, लहसुनिया, दुरंगा कंबल, कपिला गाय, बकरा, नारियल, कस्तूरी आदि वस्तुयें दान करें।