बरेली (ब्यूरो)। फतेहगंज पश्चिमी व मीरगंज समेत कई गांवों में बंदर आतंक का पर्याय बन चुके हैं। एक माह में बंदरों ने 100 से अधिक लोगों को काटकर घायल कर दिया है। 15 दिन पूर्व दुनका गांव में बंदरों ने एक मासूम को उसके पिता की गोद से छीनकर तीन मंजिल से नीचे फेंक दिया था, जिससे मासूम की मौत हो गई थी। शनिवार को मीरगंज के मोहल्ला खानपुरा निवासी युवक किसी काम से छत पर गया था। अचानक बंदरों ने उस पर हमला कर दिया। उनसे बचने के लिए वह भागा तो दो मंजिला मकान से नीचे गिर कर गंभीर रूप से घायल हो गया। दूसरी ओर फतेहगंज पश्चिमी के गांव सोरहा में बंदरों ने पांच लोगों को काटकर घायल कर दिया। बंदरों के हमले लगातार जारी हैं। इससे क्षेत्र में दहशत का माहौल व्याप्त है। लोग डंडे लेकर अपने काम से निकल रहे हैं। यहां तक कि बच्चों को भी हाथ में डंडे लेकर स्कूल जाना पड़ रहा है। उधर वन विभाग की टीम ने मामले से पूरी तरह पल्ला झाड़ लिया है। उन्होंने दो टूक कह दिया कि बंदर पकडऩे का काम हमारा नहीं है। हालांकि बाद में शिकायतें बढऩे पर वाइल्ड लाइफ एक्सपर्ट टीम के साथ गांवों में पहुंचे और बंदरों को पकडऩे के लिए पिंजरे लगाए। लेकिन, अब तक एक भी बंदर पकड़ में नहीं आ सका है।

बंदरों के हमले से दूसरी मंजिल से गिरा युवक, हालत गंभीर
मीरगंज। कस्बा में बंदरों का आतंक चरम पर है। शनिवार की शाम चार बजे एक युवक पर बंदरों ने उस समय हमला बोल दिया। जब वह छत पर सूख रहे कपड़े उठाने गया था। बंदरों से बचने के लिए वह भागा तो जल्दबाजी में दूसरी मंजिल से नीचे गिरकर घायल हो गया। परिजन उसे इलाज के लिए सीएचसी लेकर गए। जहां से डाक्टरों ने उसे बरेली रेफर कर दिया है।

कई जगह काटा
मोहल्ला खानपुरा निवासी आदित्य पाराशरी शनिवार की शाम करीब चार बजे दोमंजिला मकान की छत पर सूख रहे कपड़े लेने पहुंचा तो बंदरों के झुंड ने उस पर हमला बोल दिया। बंदरों ने उसकी शरीर पर कई जगहों काट लिया। किसी तरह वह बंदरों से छूटकर भागा तो छत से नीचे गिर गया। जिससे उसका सिर नीचे पक्की ईंटों से जा टकराया और वह गंभीर रूप से घायल हो गया। परिजनों आनन-फानन में उसे उपचार के लिए सीएचसी लेकर पहुंचे। जहां से डॉक्टरों ने उसे प्राथमिक उपचार के बाद जिला अस्पताल रेफर कर दिया।

फतेहगंज पश्चिमी में फिर पांच पर किया हमला
फतेहगंज पश्चिमी: दो माह से क्षेत्र में बंदरों का आतंक जारी है। शनिवार को कस्बे के गांव सोरहा में एक बार फिर से बंदरों ने पांच लोगों पर हमला कर घायल कर दिया। क्षेत्र के गांव बफरी अब्दुल नबीपुर में बंदरों ने राजकुमार अर्श को घायल कर दिया। वहीं गांव सोरहा निवासी कृष्णा देवी, विकास, भगवती और संतोष को काटकर घायल कर दिया। सभी घायल उपचार के लिए फतेहगंज पश्चिमी पहुंचे। जहां पर डॉक्टरों ने वेंडेज करने के साथ ही एंटी रैबीज इंजेक्शन लगाकर घर भेज दिया।

वन विभाग ने झाड़ा पल्ला
ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि जब वन विभाग के अधिकारियों से बंदरों को पकडऩे की बात कही गई तो उन्होंने कहा कि बंदर पकडऩे का काम हमारा नहीं है। यह कार्य तो नगर निगम, नगर पंचायत और ग्राम पंचायत का है। इसका बजट अलग से आता है, जो हमें नहीं मिलता है।

छह दिन में एक भी बंदर नहीं पकड़ पाई टीम
छह दिन पहले शाहजहांपुर की टीम ने वन विभाग के अधिकारियों के साथ मिलकर गांव सुतईया, खिरका पट्टी और राजश्री मेडिकल कॉलेज में बंदर पकडऩे के लिए अभियान चलाया। राजश्री मेडिकल कॉलेज में पिजड़ा भी लगाया। लेकिन छह दिन में एक भी बंदर उनकी पकड़ में नहीं आया।

डंडा लेकर घरों से निकल रहे लोग
फतेहगंज पश्चिमी के गांव सुतईया, खिरका पट्टी और राजश्री मेडिकल कॉलेज में बंदरों का ऐसा भय है कि घरों से बाहर निकलते हुए भी डर रहे हैं। यदि किसी काम से घर निकल भी रहे हैं तो डंडे लेकर और गुट बनाकर निकल रहे हैं। वहीं बच्चे भी डंडा लेकर स्कूल जा रहे हैं।

महिला पर हमला कर किया घायल
फतेहगंज पूर्वी : नगर से लेकर देहात क्षेत्र तक बंदरों का कहर बढ़ता ही जा रहा है। आए दिन कहीं न कहीं बंदरों द्वारा हमला किया जा रहा है। तीन दिन पहले साहूकारा मोहल्ले में मां-बेटी सूर्य को अघ्र्य देने के लिए छत पर गई थीं। अचानक बंदरों ने उन पर हमला कर दिया। वे उनसे बचने के लिए भागीं तो गिरकर चोटिल हो गइं। ताजा घटनाक्रम में निवडिय़ा गांव में सुशीला देवी छत पर बैठी थीं तभी बंदरों ने उन्हें घेर लिया। घबराकर वह गिर पड़ीं, जिसके बाद दो बंदरों ने उन पर हमला कर लहूलुहान कर दिया।

फैक्ट एंड फिगर
100 ये अधिक लोगों को एक माह में काटा
01 बच्चे को छत से फेंका, मौत
06 दिन में एक भी बंदर नहीं पकड़ सकी टीम
07 लोगों पर सेटर्डे को किया हमला

वर्जन :
बंदर वाइल्ड लाइफ के अंतर्गत नहीं आते हैं। इसके बाद भी लोगों की परेशानी को देखते हुए वाइल्ड लाइफ एक्सपर्ट डॉ। दक्ष गंगवार को विभाग की ओर सेे मौक पर भेजा गया था। यदि बंदरों को पकडऩे की अनुमति हम दे सकते हैं। लेकिन, इसका खर्च पकडऩे वाले को, नगर निगम, नगर पंचायत अथवा ग्राम पंचायत को वहन करना होता है।
संतोष कुमार, रेंजर, मीरगंज