-अधिकांश कैंडिडेट्स ने नेट क्लियर करने की आस लगा ली है

-इस बार पेपर पिछले काफी वर्षो के पेपर्स के मुकाबले बेहतर था

<-अधिकांश कैंडिडेट्स ने नेट क्लियर करने की आस लगा ली है

-इस बार पेपर पिछले काफी वर्षो के पेपर्स के मुकाबले बेहतर था

BAREILLY: BAREILLY: यूजीसी की नेशनल एलिजिबिलिटी टेस्ट ( नेट <यूजीसी की नेशनल एलिजिबिलिटी टेस्ट ( नेट ) ) के बारे में ऐसा कहा जाता है कि, जो पेपर जून में आता है वह ज्यादा टफ होता है, जबकि दिसम्बर में ऑर्गनाइज होना वाले टेस्ट में थोड़े आसान क्वेश्चन पूछे जाते हैं। लेकिन इस बार एग्जाम सेंटर्स से बाहर निकले कैंडिडेट्स के खिलखिलाते चेहरों ने इस कथन को गलत साबित कर दिया। कैंडिडेट्स की माने तो इस बार पेपर पिछले काफी वर्षो के पेपर्स के मुकाबले बेहतर था। न ज्यादा आसान था और न ही ज्यादा मुश्किल क्चेश्चंस पूछे गए थे। जिन्होंने अपनी तैयारी बेहतर और सुनियोजित तरीके से की होगी वह आसानी से इस बार क्लियर कर ले जाएगा। नेट में अपीयर हुए अधिकांश कैंडिडेट्स ने नेट क्लियर करने की आस लगा ली है।

अपने ही सब्जेक्ट में फंसे कैंडिडेट्स

इस बार नेट सीबीएसई ने कंडक्ट कराया। इसके लिए सिटी में क्ब् सेंटर्स बनाए गए थे। जिनपर करीब 8,000 कैंडिडेट्स रजिस्टर्ड थे। काफी दूर-दराज से स्टूडेंट्स एग्जाम देने आए थे। करीब भ् परसेंट से ज्यादा स्टूडेंट्स अब्सेंट रहे। कैंडिडेट्स ने बताया कि ओवरऑल पेपर बेहतर था, लेकिन सब्जेक्ट के क्वेश्चंस ज्यादा हार्ड थे। जनरल क्वेश्चंस सब्जेक्ट से ज्यादा ईजी लगे। हालांकि उन्होंने जिस सब्जेक्ट से पीजी किया था नेट में वही सब्जेक्ट चूज किया था। बावजूद इसके उनको अपना सब्जेक्ट ज्यादा हार्ड लगा। कैंडिडेट्स ने बताया कि जिसने अपने सब्जेक्ट की जितनी बेहतर तरीके से तैयारी की होगी वह ज्यादा असानी से इसे क्लियर कर लेगा।

मेरा पहला अटेंप्ट था। मैने पिछले भ् वर्ष के पेपर्स सॉल्व किए थे। टेस्ट काफी बेहतर गया है। मेरा सब्जेक्ट जियोग्राफी था। सब्जेक्ट के क्वेश्चन ही टफ लगे। हालांकि तैयारी अच्छी थी। क्लियर करने की पूरी उम्मीद है।

- नदीम खान, कैंडिडेट

मेरा सेकेंड अटेंप्ट था। दिसम्बर में भी नेट दिया था। इस बार पेपर ज्यादा बेहतर सॉल्व किया। मेरा सब्जेक्ट संस्कृत था। काफी हार्ड क्वेश्चंस पूछे गए थे। ओवरऑल पेपर न ज्यादा हार्ड था न ईजी।

- मुकेश शर्मा, कैंडिडेट