BAREILLY: बरेली। यह बात 1962 में भारत-चीन युद्ध की है। हमारी सेना हिमालय पर चीन की धोखेबाजी का सामना कर रही थी। देश भर में हर तरह के संसाधन मातृभूमि की रक्षा के लिए जुटाए जा रहे थे। ऐसा ही एक संसाधन था नेशनल कैडिट कोर यानि एनसीसी। सरकारी आदेश पर एनसीसी के जुड़े छात्रों को भी युद्ध के लिए तैयार रहने को कहा था। इसी दौरान सेना ने शाहजहांपुर स्थित 62 यूपी बीएन एनसीसी की बटालियन की कमान मेजर कृष्ण गोपाल कमथान को सौंपी थी, जिसे उन्हें युद्ध समाप्त होने तक बखूबी संभाला। वह मेजर कमथान फ्राइडे शाम करीब साढ़े छह बजे 99 वर्ष की आयु में दुनिया से सिधार गए।

 

मेजर कमथान दरअसल, रुहेलखंड के सबसे बड़े डिग्री कॉलेज बरेली कॉलेज में रसायन विज्ञान के एचओडी थे। वह कॉलेज के कार्यवाहक प्राचार्य भी रहे। पहले चीफ वॉर्डन भी थे। कॉलेज के स्पो‌र्ट्स सेक्रेटरी भी रहे थे।

 

चार भाषाओं में पढ़ी थी कुरान

प्रोफेसर कमथान हिन्दी और अंग्रेजी के अलावा उर्दू और फारसी में माहिर थे। वे उर्दू जुबान की कामिल की परीक्षा पास कर चुके थे। हर बात में शेर कहने वाले प्रो। कमथान ने चार भाषाओं में कुरान पढ़ी थी।

 

बड़े खिलाड़ी भी थे

प्रोफेसर कमथान अपने छात्र जीवन में अच्छे खिलाड़ी भी रहे। उन्होंने हॉकी और फुटबाल में आगरा यूनिवर्सिटी का प्रतिनिधित्व भी किया।

 

राजस्थान के मूल निवासी

कमथान परिवार मूल रूप से राजस्थान के धौलपुर जिले का रहने वाला है। प्रो। कमथान का जन्म वहीं 19, अगस्त, 1919 को लाला राम गोपाल कमथान के परिवार में हुआ था। 1947 में आगरा कॉलेज से केमिस्ट्री में एमएससी करने के बाद 21 अगस्त, 1948 को केमिस्ट्री के लेक्चरार के रूप में बरेली कॉलेज ज्वॉइन किया।

 

कमथान की कनिष्ठ पुत्रवधू डॉ। संगीता कमथान एसोसिएट प्रोफेसर कैमिस्ट्री में सेवाएं दे रही है। प्रोफेसर कमथान के परिवार में पुत्र शैलेन्द्र, मुकुल एंव दीपेन्द्र व पुत्री रचना है। इसके साथ सपना पौत्र और प्रपौत्र पौत्री एवं नाती पोते भी हैं।