- दो से 11 नवम्बर तक चला अभियान

- घर-घर जाकर 508695 लोगों की हुई स्क्रीनिंग

- कोविड प्रोटोकाल का रखा गया पूरा ध्यान

बरेली: देश से क्षय रोग (टीबी) को वर्ष 2025 तक ख्त्म करने के लिए राष्ट्रीय क्षय रोग उन्मूलन कार्यक्रम चलाया जा रहा है 7 इस कार्यक्रम को शत-प्रतिशत सफल बनाने के लिए शासन स्तर से एक निश्चित अंतराल पर सघन क्षय रोगी खोज अभियान (एसीएफ) चलाने के निर्देश दिए गए थे। इसके तहत दो से 11 नवम्बर के बीच अभियान चलाकर 102 नए क्षय रोगी जिले में खोजे गए। अभियान के दौरान कोविड-19 के प्रोटोकॉल का पालन किया गया।

मरीजों का इलाज भी शुरू

जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ। सुधीर कुमार गर्ग ने बताया कि सघन क्षय रोगी खोज अभियान (एसीएफ) जनपद की कुल 49.35 लाख जनसंख्या के 10 प्रतिशत चिन्हित संवेदनशील क्षेत्रों में चलाया गया। डॉ। सुधीर गर्ग ने बताया कि अभियान को सफल बनाने के लिए 204 टीमों का गठन किया गया था। एक टीम में 3 सदस्य और टीमों के सहयोगात्मक पर्यवेक्षण के लिए 41 सुपरवाइजारों को लगाया गया। हर सुपरवाइजर ने 5 टीमों को देखा तथा क्षेत्र में चिकित्सकीय परामर्श के लिए 9 चिकित्सा अधिकारी मौजूद रहें। दस दिनों के इस अभियान में 508695 लोगों की स्क्रीनिंग की गयी जिसमें से 1550 सैम्पल लिए गए और उनमें 102 संक्रमित मिले। जिनमें टीबी की पुष्टि हुई ही उनका इलाज शुरू किया जा चुका है।

क्यों जरूरी है यह अभियान

ट्यूबरक्लोसिस (टी.बीमाइकोबैक्टीरियमट्यूबरक्लोसिस) नामक जीवाणु से होने वाला रोग है। यह बहुत ही संक्रामक रोग है और इसका इलाज न लेने पर, एक क्षय रोगी एक वर्ष में अपने संपर्क में आने वाले 10 से 12 स्वस्थ व्यक्तियों में क्षय रोग फैला सकता है। इसी श्रृंखला को तोड़ने के लिए सघन क्षय रोगी खोज अभियान को चलाया जाता है। अभियान के माध्यम से संवेदनशील क्षेत्रों से सभी क्षय रोगियों को खोजकर सभी को क्षय रोग उन्मूलन विधि के तहत एक साथ उपचार देकर स्वस्थ किया जाता है। अभियान में जन समुदाय को क्षय रोग और कोरोना से बचाव हेतु प्रेरित किया गया साथ ही उन्होंने बताया कि क्षयरोग और कोरोना दोनों बीमारियों के काफी लक्षण समान हैं। अगर किसी व्यक्ति को कोई भी लक्षण हैं तो उसे कोरोना और क्षयरोग दोनों बीमारियों का परीक्षण कराना बहुत जरुरी है।

क्षय रोग के मुख्य लक्षण

दो सप्ताह या उससे अधिक समय से लगातार खांसी का आना, खांसी के साथ बलगम का आना, बुखार , विशेष रूप से शाम को बढ़ने वाला, वजन का घटना, भूख कम लगना, सीने में दर्द, बलगम के साथ खून आना आदि। एक क्षय रोगी अपने सम्पर्क में आने वाले स्वस्थ व्यक्ति को भी रोगी बना सकता है क्योंकि क्षय रोगी के बलगम में टीबी के जीवाणु पाए जाते हैं। यह जीवाणु रोगी के खांसने, छींकने और थूकने से हवा में फैल जाते हैं और सांस के द्वारा स्वस्थ व्यक्ति के फेफड़ो में पहुंचकर टीबी का रोग उत्पन्न कर सकते हैं।

ध्यान देने वाली जरूरी बातें

-रोगी की शीघ्र जांच व पूर्ण अवधि तक इलाज करवाएं

-रोगी खांसते या छींकते समय मुंह पर मास्क ,रुमाल या साफ कपड़ा रखे

-इधर उधर न थूके, केवल ढक्कनदार डस्टबिन में ही थूके

-इलाज को बीच में न छोड़े।

-6 से 8 महीने के इलाज से रोगी पूरी तरह स्वस्थ एवं रोग मुक्त हो जाता है