एमजेपीआरयू में शोध के लिए वर्ष में दो बार प्रवेश

-नेहरु केन्द्र में बनाया गया रिसर्च डायरक्ट्रेट

बरेली:

एमजेपीआरयू में शोध के लिए वर्ष में एक बार की जगह दो बार प्रवेश का मौका मिलेगा। शोध के लिए प्रवेश जुलाई और दिसम्बर में किए जाएंगे। इतना ही नहीं विवि में होने वाले शोध की निगरानी के लिए कैंपस के नेहरु युवा केन्द्र में रिसर्च डायरक्ट्रेट भी बनाई गई है। जो होने वाले सभी शोध कार्य की गुणवत्ता पर नजर रखेगी। यह जानकारी थर्सडे को एमजेपीआरयू के मिनिस्ट्रियल स्टाफ एसोसिएशन सभागार में हुई बैठक के दौरान वीसी प्रोफेसर केपी सिंह ने दी। बैठक आरयू वीसी प्रो। केपी सिंह की अध्यक्षता में 'प्रवेश परीक्षा एवं शोध कार्यो में सुधार' को लेकर हुई। दो दिवसीय बैठक में समस्त महाविद्यालयों के प्राचार्यो शामिल रहे।

विश्व पटल पर बनानी है पहचान

आरयू वीसी प्रोफेसर केपी सिंह ने कहा कि हमारा काम ही हमारी पहचान है इसलिए हमें ऐसे उत्कृष्ट उदाहरण पेश करने होंगे एवं कार्य करने होंगे जिससे विश्वविद्यालय का नाम रोशन किया जा सके एवं इसकी पहचान विश्व पटल पर बनाई जा सके। उन्होंने कहा की विश्वविद्यालय का विस्तृत क्षेत्रफल केवल इसकी कमजोरी नहीं है बल्कि इसकी मजबूती को भी दर्शाता है। इतने बड़े क्षेत्रफल के साथ ही विश्वविद्यालय को लाखों छात्रों एवं हजारों शिक्षकों का साथ भी मिलता है।

रिसर्च गाइड की बढ़ेगी संख्या

शोध के लिए रिसर्च गाइड की संख्या शीघ्र ही बढ़ाई जाएगी। 10 वर्ष अथवा इससे अधिक सेवा यूजी शिक्षक के रूप में कार्य कर चुके शिक्षकों को भी रिसर्च गाइड बनाने पर विचार किया जा रहा है। वीसी ने कहा की प्लैग्रिज्म सॉफ्टवेयर सभी राजकीय एवं वित्तीय सहायता प्राप्त महाविद्यालयों के प्रधानाचार्य को उपलब्ध कराया ताकि डॉक्यूमेंट की डुप्लीकेसी रोकी जा सके। सभी प्राचार्य से कहा कि शोध कार्य में छात्र अपने नाम के साथ-साथ अपने विश्वविद्यालय का नाम अंकित करना ना भूलें। सभी प्रधानाचार्य से अपने महाविद्यालय के छात्रों को विश्वविद्यालय के एलुमनी एसोसिएशन से जोड़ने के लिए प्रेरित करने को कहा साथ ही महाविद्यालय के शिक्षक भी एलुमनी एसोसिएशन से जोड़ने पर बल दिया। आरयू के पास अब तक एक भी पेटेंट नहीं है इसे वीसी ने दुर्भाग्यपूर्ण बताया। उन्होंने कहा कि निवारण के लिए आरयू ने एक आईपीआर सेल का गठन किया है जो पेटेंट संबंधी कार्यो में छात्रों शिक्षकों एवं आसपास के उद्योगों की मदद करेगा। सभी महाविद्यालयों को एक स्पेशलाइजेशन तैयार करने को कहा ताकि उनके कॉलेज को एक विशिष्ट पहचान मिल सके।

स्टूडेंट्स और शिक्षकों का होगा लाभ

विश्वविद्यालय के डायरेक्टरेट ऑफ रिसर्च के रिसर्च कोऑíडनेटर प्रो। सुधीर कुमार ने सभी प्राचार्यो को संबोधित करते हुए विश्वविद्यालय के शोध संबंधी क्रियाकलापों के विषय में बताया। प्रो। सुधीर कुमार ने बताया कि पिछली आरईटी परीक्षा सन 2019 में कराई गई थी, जिसके बाद इसको दोबारा शुरू किया जाना है।

स्कॉलरशिप के लिए नेहरु युवा केन्द्र

स्टूडेंट्स को स्कॉलरशिप के लिए अब इधर-उधर भटकना नहीं होगा, इसके लिए अब नेहरू केंद्र में ही संपर्क करना होगा। भविष्य में सभी कॉलेजों को भी अपने कॉलेज में रिसर्च केंद्र की स्थापना करनी होगी। शोध की संख्या नहीं बल्कि उसकी गुणवत्ता अधिक महत्वपूर्ण है इस बात पर उन्होंने विशेष बल दिया। यह भी बताया कि विश्वविद्यालय शीघ्र ही पीएचडी शोध कार्यो के लिए एक ऑनलाइन पोर्टल शुरू करने जा रहा है जो अभी अपने प्रारंभिक विकास के चरण में है। शोध कार्यो के लिए एक सामान प्रारूप तैयार किया जा रहा है। विश्वविद्यालय अपने सभी राजकीय एवं वित्तीय सहायता प्राप्त कॉलेजों को प्लैग्रिज्म सॉफ्टवेयर उपलब्ध करवाने जा रहा है जिसमें शोध प्रबंधों में की गई नकल को पकड़ सकने की क्षमता है। टíनटिन तथा ओरकुंड नामक इन सॉफ्टवेयर की मदद से नकल को आसानी से पकड़ा जा सकता है। डॉ। बृजेश कुमार ने सॉफ्टवेयर का प्रयोग करके सभी प्राचार्यो को दिखाया एवं लाभ समझाया।

केवल एंट्रेंस व परीक्षा कराना विवि का काम नहीं

एमजेपीआरयू के एंट्रेंस एग्जाम कोऑíडनेटर प्रोफेसर एसके पाण्डेय ने कहा कि केवल एंट्रेंस और एग्जाम लेना नहीं है। समय के साथ साथ उच्च शिक्षण संस्थानों की भूमिका और महत्वपूर्ण हो चली है। नवाचार एवं तकनीक का इस्तेमाल करते हुए छात्रों एवं शिक्षकों के लिए बेहतर माहौल पैदा करना भी अब हमारी भी जिम्मेदारी है। बताया कि ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन में भी छात्रों का गलत डाटा विश्वविद्यालय को मिलना कहीं ना कहीं लापरवाही दर्शाता है। नए राष्ट्रीय शिक्षा नीति में मल्टी एग्जिट पॉलिसी के साथ-साथ मल्टी एंट्री पॉलिसी को भी स्थान देने की बात पर बल दिया। बैठक में आरयू रजिस्ट्रार डॉ। सुनीता पाण्डेय ने सभी महाविद्यालयों के प्राचार्यो से शोध के बारे में सुझाव मांगे। वहीं रीजनल हायर एजुकेशन ऑफिसर डॉ। राजेश प्रकाश ने नकल विहीन परीक्षा कराने के लिए समुचित उपाय करने पर बल दिया। कार्यक्रम के दौरान विश्वविद्यालय के मीडिया प्रभारी डॉ। अमित सिंह, सहायक रजिस्ट्रार आनंद कुमार मौर्य, प्रशासनिक अधिकारी अनिल कुमार सिंह, प्रोग्रामर रविंद्र गौतम, प्रशासानिक अधिकारी जहीर अहमद, तपन वर्मा आदि उपस्थित रहे।