-फाल्गुन पूर्णिमा के दिन निशा मुख में होलिका दहन होता है शुभ फलदायक
पूर्णिमा तिथि में होलिका दहन शुभ
-होलिका पूजन मुहूर्त 9 मार्च को प्रात: 9:35 से 11:03 बजे तक शुभ के चौघडि़या में और अपराह्न 3:25 से सांय 6:20 बजे तक अमृत के चौघडि़या में।
-होलिका दहन मुहूर्त 9 मार्च सांय 6:20-7:44 बजे तक।
-9 मार्च को भद्राकाल अपराह्न 1:13 बजे तक और पूर्णिमा तिथि रात्रि 11:18 बजे तक रहेगी।
बरेली: फाल्गुन पूर्णिमा को प्रदोष व्यापिनी निशा मुख में होलिका दहन शुभ फलदायक होता है। होलिका दहन के लिए भद्रा का विचार विशेष रूप से किया जाता है। भद्रा रहित समय में होलिका दहन करना शुभ माना जाता है। बालाजी ज्योतिष संस्थान के पं। राजीव शर्मा के अुनसार किसी भी अवस्था में होलिका दहन भद्रा के मुखकाल में नहीं किया जाना चाहिए। वहीं चतुर्दशी तिथि, प्रतिपदा एवं सूर्यास्त से पहले भी होलिका दहन नहीं किया जाना चाहिए।
पूजन में यह करें यूज
सामग्री: एक लोटा जल, माला, रोली, चावल, गन्ध, पुष्प, कच्चा सूत, गुड़, सबूत हल्दी, मूंग, बताशे, गुलाल, नारियल और गेहूं की बालियां आदि।
ऐसे करें पूजा
-होलिका के पास पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुंह करके बैठकर पूजन करना चाहिए।
-बड़गुल्ले की बनी चार मालाएं। एक पितरों के नाम, दूसरी हनुमान जी के नाम, तीसरी शीतला माता के नाम तथा चौथी अपने घर परिवार के नाम की होलिका को समर्पित कर कच्चे सूत की तीन या सात परिक्रमा करते हुए लपेटें।
-जल व अन्य पूजन की सभी वस्तुएं होली को समर्पित करें।
-गंध पुष्प के साथ पंचोपचार विधि से होलिका का पूजन करें।
-पूजन के बाद जल से अर्ध्य दे तथा सूर्यास्त के बाद प्रदोषकाल में होलिका में अग्नि प्रज्जवलित करें।
-होली की अग्नि में सेंक कर लाये गए धान्यों को खाएं। इसकसे निरोगी रहने की मान्यता है।
-बची हुई अग्नि तथा राख को अगले दिन प्रात: काल घर में लाने से घर को अशुभ शक्तियों से बचाने में सहयोग मिलता है तथा इस राख को शरीर पर लेपन करना भी कल्याणकारी रहता है।
नवग्रहों की शांति के लिए यह करें
-सूर्य की शांति के लिए प्रथम परिक्रमा करते हुए मदार की लकड़ी लेकर ह्रां ह्रीं ह्रों स: सूर्याय नम: का जाप करें।
-चंद्र की शांति के लिए दूसरी परिक्रमा करते हुए पलाश की लकड़ी लेकर श्रां श्रीं श्रो स: चंद्राय नम: का जाप करें।
-मंगल की शांति के लिए तीसरी परिक्रमा करते हुए खैर की लकड़ी लेकर क्रां क्रीं क्रों स: भौमाय नम: का जाप करें।
-बुध की शांति के लिए चतुर्थ परिक्रमा करते हुए अपामार्ग की लकड़ी लेकर ब्रां ब्री ब्रौ स: बुधाय नम: का जाप करें।
-गुरु की शान्ति के लिए पंचम परिक्रमा करते हुए पीपल की लकड़ी लेकर ग्रा ग्री ग्रो स: गुरवे नम: का जाप करें।
-शुक्र की शान्ति के लिए षष्ठ परिक्रमा करते हुए गूलर की लकड़ी लेकर द्रा दीर्म द्रो स: शुक्राय नम: का जाप करें।
-शनि की शांति के लिए सप्तम परिक्रमा करते हुए शमी की लकड़ी लेकर जाप करें।
-राहु की शान्ति के लिए अष्टम परिक्रमा करते हुए दूर्वा लेते हुए भ्रा भृं भृं स: राहवे नम: का जाप करें।
-केतू की शांति के लिए नवम परिक्रमा करते हुए कुशा की लकड़ी लेकर स्त्रां स्त्री स्त्रो स: केतवे नम: का जाप करें।
राशि के अनुसार खेलें होली
-मेष: लाल रंग
-वृष:। हल्के गुलाबी या हल्के नीले रंग
-मिथुन: हरे रंग
-कर्क: हल्का पीला, केसरिया रंग
-सिंह : लाल, पीला अथवा नारंगी रंग
-कन्या: हरे रंग
-तुला: हल्का पीला, गुलाबी या नीले रंग
-वृश्चिक: गहरे लाल रंग
-धनु : पीले रंग
-मकर: भूरे अथवा नीले रंग
-कुम्भ : काले अथवा गहरे नीले रंग
-मीन: पीले रंग