BAREILLY:

अपने मुसाफिरों की सुरक्षा व संरक्षा के रेलवे के दावों की एक बार फिर कलई खुलकर सामने आ गई। कागजों में सफर के दौरान पैसेंजर्स को मेडिकल सुविधा देने के रेलवे के नियम सैटरडे को खोखले साबित दिखे। जंक्शन पर बीमार मुसाफिर के इलाज देने के रेलवे के निर्देशों के बावजूद उसे न तो दवा मिली और न ही रेलवे डॉक्टर उसे देखने पहुंचा। नई दिल्ली से रक्सौल जाने वाली क्भ्ख्7ब् सत्याग्रह एक्सप्रेस में जर्नी कर रहे दिलीप कुमार की मुरादाबाद स्टेशन क्रॉस करते ही तबियत बिगड़ने लगी। कोच एस-क् की बर्थ क्7 पर लेटे फ्ख् साल के दिलीप ने टीटीई से इलाज के लिए मदद मांगी। रामपुर स्टेशन पार करते ही टीटीई ने कंट्रोल रूम पर खबर दी, तो अधिकारियों ने जंक्शन पर बीमार मुसाफिर के इलाज के निर्देश दिए। लेकिन जंक्शन पहुंचने पर ट्रेन को क्भ् मिनट तक खड़ा रखने के बावजूद रेलवे हॉस्पिटल के डॉ। वेदप्रकाश मरीज को देखने नहीं पहुंचे। ऐसे में बीमार को बिना इलाज व दवा मुहैया कराए ही ट्रेन को रवाना कर दिया गया। आरपीएफ के मुताबिक लखनऊ में बीमार मुसाफिर को हॉस्पिटल में एडमिट कर इलाज दिया जा रहा।

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पाटलीपुत्र एक्सप्रेस में महिला का पर्स चोरी

ठंड व कोहरे की जुगलबंदी के बीच अपराधी भी ट्रेनों में बेखौफ वारदात करने में जुटे हैं। सैटरडे को जंक्शन पर जीआरपी थाने में पाटलीपुत्र एक्सप्रेस में सफर कर रहे एक कपल ने पर्स चोरी की एफआईआर दर्ज कराई। वाराणसी के नरायनपुर के ओमप्रकाश चौबे अपनी पत्‍‌नी के साथ ट्रेन के स्लीपर कोच एस-क्0 की बर्थ भ्7 व म्फ् पर सफर कर रहे थे। सहारनपुर व बरेली के बीच उनका पर्स चोरी हो गया। जिसमें सोने की चेन, रिंग, झुमके व चांदी की पायल समेत करीब 8 हजार नकद थे।