106 वर्ष की उम्र में नौजवानों की तरह है हौंसला

जब से रोजा फर्ज हुआ एक भी रोजा नहीं छोड़ा

<क्0म् वर्ष की उम्र में नौजवानों की तरह है हौंसला

जब से रोजा फर्ज हुआ एक भी रोजा नहीं छोड़ा

BAREILLYBAREILLY: रमजान के पाक महीने में इन दिनों मुस्लिम बंधु शिद्दत की गर्मी में दिनभर भूखे-प्यासे रहकर रोजा रख रहे हैं। उन्हीं में एक रोजेदार इब्राहिम खां भी हैं। इब्राहिम खां की बात हम इसलिए कर रहे हैं कि, क्योंकि उनकी उम्र क्0म् वर्ष है। फिर भी वह रोजा रख रहे हैं। इन दिनों उनकी तबीयत भी खराब चल रही है, फिर भी बीमारी उनके हौंसलों को डिगा नहीं पा रही है।

कभी नहीं छाेड़ा रोजा

शहर के रामलीला गोटिया निवासी इब्राहिम खां ने बताया कि जब से उन पर रोजा फर्ज हुआ है। तब से उन्होंने एक भी रोजा नहीं छोड़ा। हर वर्ष माहे रमजान का उन्हें बेसब्री से इंतजार रहता है। जब वह जवान थे तब फलों की खरीद-फरोख्त का व्यापार करते थे। उन्होंने बताया कि उन्होंने ऐसी गर्मी में रोजा रखा है। जब पसीना एडि़यों से निकलता था। रोजी-रोटी कमाने के साथ-साथ अल्लाह की इबादत में पूरी शिद्दत के साथ की।

तबीयत भी चल रही खराब

इस बार रमजान का महीना शुरू होने से पहले ही उनकी तबीयत खराब चल रही है। उन्हें सांस की बीमारी, खांसी और पीठ में दर्द की शिकायत है। इसकी दवा भी चल रही है। इसके बावजूद उन्होंने रोजा रखने की ठानी। उन्होंने इसके लिए डॉक्टर से सलाह ली और डॉक्टर ने उन्हें एक वक्त दवा खाने के लिए कहा। इसके बाद वह अब गुजरे सभी रोजे रखते आए हैं। इसके साथ ही वह नमाज भी पढ़ रहा हैं। हालांकि उन्हें इस बात का मलाल है कि वह तरावीह नहीं पढ़ पा रहे हैं। क्योंकि ज्यादा देर खड़े होने पर उन्हें चक्कर आने लगता है।

घर में सभी रह रहे रोजा

उनके घर में उनका बहू रेशमा बेगम, पोता-पोती खुश मोहम्मद खां, शाजिया खानम और राजिया खानम भी रोजा रख रही हैं। इस परिवार का पूरा दिन अल्लाह की इबादत में गुजर रहा है।