- गड्ढा खोदकर शव को खेत में दिया था दफना, अलग मिली थी गर्दन

- सजा सुनते ही दोषी बेटे की मां रोई- पुलिस पर झूठा फंसाने का लगाया आरोप

बरेली : आठ साल की मासूम के साथ कुकर्म और दुष्कर्म के बाद आरोपित ने उसकी हत्या कर दी थी। मामले में शुक्रवार को स्पेशल जज पाक्सो कोर्ट रामदयाल ने दोषी प्रवेश कुमार को उम्रकैद की सजा सुनाई है। उसे तीन लाख 55 हजार रुपये जुर्माना भी अदा करना होगा। जुर्माने की आधी रकम पीडि़ता के परिवार को मिलेगी।

खेलने गई थी बच्ची

घटना बिथरी चैनपुर के एक गांव की है। वादी की आठ साल की बेटी गांव के सरकारी स्कूल से पढ़कर घर लौटी। खाना खाकर खेलने चली गई। शाम तक नहीं लौटी तो उसे परिवार वालों ने काफी तलाश किया। अगले दिन दोपहर गांव के पास ही गन्ने के खेत में उसकी गर्दन कटी लाश गड्ढे में दबी मिली। गर्दन सिर्फ खाल के साथ शरीर से जुड़ी थी। गांव वालों ने आरोपित प्रवेश कुमार कच् बच्ची के साथ खेत की तरफ जाते देखा थाच् बच्ची की तलाश के दौरान आरोपित गांव से भाग गया। पुलिस ने अगले दिन उसे गिरफ्तार करके वारदात में इस्तेमाल किया गया छुरा व फावड़ा बरामद कर लिया। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में डाक्टरों ने बच्ची के साथ दुष्कर्म के साथ कुकर्म की भी पुष्टि की। सरकारी वकील रीतराम राजपूत ने कोर्ट में 15 गवाह पेश किए। स्पेशल कोर्ट ने दोषी को चार अलग-अलग धाराओं में चार बार उम्रकैद की सजा सुनाई है। हालांकि, सभी सजाएं एक साथ चलेंगी। मुजरिम को तीन लाख 55 हजार रुपये जुर्माना भी अदा करना होगा। पकड़े जाने के बाद आरोपित को आखिर तक जमानत नहीं मिली थी। मामले में फैसला होने की जानकारी पर दोषी की मां भी बेटे से मुलाकात करने पहुंची। सजा सुनते ही वह रो पड़ी। कहा कि पुलिस ने बेटे को झूठा फंसा दिया था।

दुष्कर्म में पाक्सो कोर्ट ने सुनाई दस साल की सजा

वहीं एक अन्य मामले में किशोरी के साथ दुष्कर्म के साल साल पुराने मामले में स्पेशल कोर्ट ने शुक्रवार को दस साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई है। सरकारी वकील दिगंबर पटेल ने बताया कि वारदात पांच मई 2017 की है। वादी की 12 वर्षीय बेटी घर पर अकेली थी। पड़ोस का लड़का मोनू बेटी को अकेली पाकर घर में घुस आया और बहाने से बुलाकर ले गया। पड़ोस की झाडि़यों में उसके साथ दुष्कर्म किया। स्पेशल जज पॉक्सो कोर्ट-प्रथम सुरेश कुमार गुप्ता ने दोषी मोनू को दस साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई है। दोषी को 20 हजार जुर्माना भी भुगतना होगा। जिसमें से आधी रकम पीडि़ता को बतौर मुआवजा मिलेगी।