बरेली (ब्यूरोi) कोविड की सेकेंड वेव के कहर के चलते जिले में सैकड़ों संक्रमितों ने जान गंवाई ऐसे में शासन और प्रशासन का भी कोविड की अधिक से अधिक जांच करने पर जोर है लेकिन किस प्रकार जिले में कोविड की जांचें की जा रही है इसका फ्राइडे को खुलासा हो गया। 300 बेड कोविड हॉस्पिटल से सैकडों सैंपल जांच को भेजे नहीं गए। पिछले करीब चार महीने से सैंपल्स के सील बंद बॉक्स हॉस्पिटल के रूम में बंद रखे हैं। जिस कारण सैंपल खराब हो गए। मामला उजागर होने के बाद अधिकारियों में खलबली मची हुई है।

कमरे में बंद सैंपल, बाहर लटका ताला
कागजों में डेली 2 से तीन हजार सैंपल की जांच करने का दावा पेश करने वाला स्वास्थ्य महकमा अब चारों खाने चित नजर आ रहा है। सैंपल की जानकारी सार्वजनिक न हो इसके लिए प्रबंधन के जिम्मेदारों ने कोरोना फ्लू कार्नर स्थित तीसरी मंजिल पर बने एक कोने वाले रूम में सैंकड़ों सैंपल छिपा दिए गए। फ्राइडे को जब अनियमितता उजागर हुई तो पता चला कि यहां सैकड़ों सैंपलों में कुछ ऐसे सैंपल भी हैं जो कि अगस्त से यहां रूम में बंद हैं। वहीं रूम में बाहर से लॉक भी लगा हुआ है जिससे बाहरी व्यक्ति अगर यहां तक पहुंच भी जाए तो उसे लगे कि रूम बंद है।

सील बंद रखे हैं बॉक्स
हॉस्पिटल के थर्ड फ्लोर पर बंद कमरे में दर्जनों की संख्या में कोरोना सैंपल के सील बंद बॉक्स रखे हैं, जिन पर सैंपल लेने की डेट और बॉक्स में रखे सैंपल्स की संख्या भी दर्ज है। बावजूद इसके जब इस बारे में सीएमओ ने हॉस्पिटल के जिम्मेदारों से जानकारी ली तो उन्हें भी गुमराह करने का प्रयास करते हुए बताया गया कि कमरे में जो डिब्बे रखे हैं वह खाली हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या जांच होने के बाद लैब से खाली डिब्बे वापस भेजे गए? अगर डिब्बे खाली हैं तो उन पर सील क्यों लगी है?


एडी के सामने नही खुला खेल
फ्राइडे को दोपहर करीब 12 बजे अपर निदेशक स्वास्थ्य यानि एडी हेल्थ डॉ। एसके गर्ग औचक निरीक्षण के लिए पहुंचे यहां हॉस्पिटल में गंदगी मिलने पर इंचार्ज को कड़ी चेतावनी भी दी लेकिन तीसरी मंजिल पर जिस रूम में सैंपल छिपाए गए थे यहां ताला देख एडी हेल्थ वापस आ गए अगर उनके सामने ही ये राज खुल जाता तो फौरन ही कार्रवाई के आदेश हो सकते थे।

एक दूसरे को बताने लगे जिम्मेदार
कोविड सैंपल जांच के लिए न भेजने पर सीएमओ ने हाल ही में कोविड सैंपलिंग का चार्ज डिप्टी एसीएमओ डॉ। सीपी सिंह से हटाकर डॉ। सतीश चंद्रा को सैंपलिंग प्रभारी बनाया था। लेकिन उनको यह प्रभार मिले अभी एक सप्ताह का समय बीता है। अब सवाल उठना लाजमी है कि आखिर इस घोर अनियमितता के लिए कौन जिम्मेदार है। इस संबंध में डॉ। सतीश चंद्रा का कहना है कि यहां सैंपल रखे होने की जानकारी उन्हें नहीं थी प्रभार हाल ही में मिला है जिस कारण अभी बिल्डिंग में कौन सी चीज कहां है इसकी जानकारी उन्हें नहीं है।

5-6 दिन में खराब हो जाता है सैंपल
सर्विलांस टीम के अनुसार कोरोना सैंपल लेने के बाद बॉक्स में अंडर आईसपैक के साथ सैंपल को पांच से 6 दिन तक स्टोर किया जा सकता है लेकिन इससे अधिक समय बीत जाने पर सैंपल खराब हो जाता है।