-लागोस में चल रहे आंदोलन में करता था आर्थिक मदद, हर माह भेजता था लाखों रुपये

-10 वर्षो से बिना वीजा दिल्ली में बनाया ठिकाना, तीन प्रदेशों में फैलाया ठग गिरोह

बरेली : फरीदपुर में पकड़ा गया नाइजीरियन राबर्ट बेहद खतरनाक इरादे वाला बदमाश निकला। दिल्ली की खुफिया एजेंसियों को गच्चा देकर वह 10 वर्षो से बिना वीजा रह रहा था। यहां साइबर ठगी से रकम एकत्र कर नाइजीरिया में अपने साथियों को भेजता था। गुरुवार को उसने स्वीकारा कि वहां चल रहे सरकार विरोधी आंदोलन में अपनी तरफ से आर्थिक मदद भेजता था। उसकी बात में कितनी सचाई है, यहां की मिलिट्री इंटेलीजेंस व खुफिया टीमें परख रही हैं।

नाइजीरिया के लागोस का मूल निवासी राबर्ट वर्ष 2010 से दिल्ली में रहता है। बुधवार को भूरे खां की गौटिया में रहने वाले मेहंदी हसन के घर पहुंचा था। उससे 80 लाख रुपये लेने पर विवाद हुआ, जिसके बाद वह थाने पहुंचा। बताया था कि फाइनेंस कंपनी में काम करता है। मेहंदी हसन उसके रुपये नहीं दे रहा। पुलिस ने पासपोर्ट व वीजा मांगा तो ठिठक गया। साइबर ठगी का मामला मानते हुए एसपी देहात राजकुमार अग्रवाल ने उससे पूछताछ शुरू की तो कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए। पुलिस के अनुसार, उसने कहा कि नाइजीरिया के लागोस में सरकार विरोधी आंदोलन चल रहा है। वह उसका हिस्सा है। भारत में रहकर साइबर ठगी करता है। इससे मिलने वाली रकम नाइजीरिया में रहने वाले आंदोलनकारी साथियों को भेजता है।

नाइजीरियाई भाषा से नफरत, अंग्रेजी बोलता रहा

राबर्ट ¨हदी समझता है मगर, बोल नहीं पाता। पूरी बातचीत उसने अंग्रेजी में की। पुलिस ने कहा कि नाइजीरियाई भाषा में बात करके दिखाओ तो कहने लगा कि उसे नफरत है इसलिए सिर्फ अंग्रेजी बोलता है।

भारत आकर बना लिया ठिकाना

आरोपित ने बताया कि वह वर्ष 2010 में भारत आया था। वर्ष 2011 में उसका वीजा समाप्त हो गया इसके बावजूद यहां से गया नहीं। दिल्ली में बार-बार ठिकाना बदलता रहता है। इस समय द्वारिका में रहता है।

हवाला की जडें तलाश रही पुलिस

राबर्ट के साथ कई अन्य नाइजीरियन भी हैं। इन सभी ने साइबर ठगी से लोगों की रकम ऐंठनी शुरू कर दी। दिल्ली में गिरोह तैयार किया, कई बेरोजगारों के खाते कमीशन पर ले लिए। उसने स्वीकारा कि ठगी की रकम जिस खताधारक को ट्रांसफर करता था, उसे 10 फीसद कमीशन देता था। पांच फीसद रकम खुद रखता और बाकी नाइजीरिया भेज देता था। पुलिस इस प्रकरण को हवाला से जोड़ रही है। उसके या सहयोगियों के निजी खाते कितने हैं, इसका पता लगाया जा रहा है। शुरुआती जांच में पता चला कि उसने मेहंदी हसन का एक बैंक खाता दिल्ली, दूसरा राजस्थान और तीसरा नोएडा में खुलवाया था। उसके बेटे अरबाज के दोनों खाते दिल्ली में खुलवाए गए। पुलिस का कहना है कि बाप-बेटे की तरह गिरोह में कई अन्य भी जुड़े हैं, जिनके खाते इन तीनों प्रदेश में खुलवाए गए।

दो वर्ष में 78 लाख का लेनदेन

जरी के काम से अक्सर दिल्ली जाने वाले भूरे खां की गौटिया निवासी मेहंदी हसन की मुलाकात गिरोह के कुछ सदस्यों ने राबर्ट से कराई थी। राबर्ट ने ही फर्जी कागजों से उसके तीन बैंक खाते खुलवाकर एटीएम कार्ड अपने पास रख लिए। साइबर ठगी की रकम उसमें ट्रांसफर कर निकाल लेता था, 10 फीसद हिस्सा मेहंदी के खाते में छोड़ देता। पुलिस के अनुसार, दो वर्ष में मेहंदी व उसके बेटे के खातों से 78 लाख रुपये का लेनदेन हुआ है। कुछ दिन पहले 80 लाख रुपये उसके खाते में और ट्रांसफर किए गए।

ठग से ठगी कर गया मेहंदी

खाते में 80 लाख रुपये देखकर मेहंदी की नीयत बिगड़ी और सीधे बैंक पहुंच गया। वहां एटीएम कार्ड खोने की बात कहकर ब्लाक करा दिया। दूसरा एटीएम ले लिया। दूसरी ओर राबर्ट ने रकम निकालनी चाही मगर, सफलता नहीं मिली। ठग को उसी के तरीके से गच्चा मिला तो वह बुधवार को मेहंदी हसन के पास पहुंच गया। विवाद होने पर थाने पहुंचा, जहां पूछताछ में पूरा प्रकरण खुल गया।

बैंक कर्मचारियों की मिलीभगत

बचत खातों से 78 लाख का लेनदेन होना, 80 लाख रुपये बैलेंस होने के बावजूद बैंक कर्मचारियों की इस पर निगाह क्यों नहीं गई। केवाईसी की औपचारिकता में मामला पकड़ा क्यों नहीं गया, पुलिस इनके जवाब भी तलाश रही। माना जा रहा कि कर्मचारियों की भी मिलीभगत है।

नाइजीनियन पर फारेनर्स एक्ट व पिता-पुत्र पर ठगी-धोखाधड़ी का मुकदमा

एसपी देहात राजकुमार अग्रवाल ने बताया कि बिना वीजा देश में रहने वाले राबर्ट के खिलाफ फोरनर्स एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है। अभी जांच चल रही, साइबर ठगी व हवाला की पुष्टि होने पर धाराएं बढ़ाएंगे। फर्जी आधार कार्ड से बैंक खाता खुलवाने और साइबर ठग गिरोह का सदस्य होने पर दोनों के खिलाफ धोखाधड़ी व आइटी एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है।