-कारखाने में बनी रेल बस, डीजल और स्टीम क्रेन है खास

-करीब 132 साल पहले मीटरगेज की ट्रेन की हुई थी शुरुवात

बरेली: पूर्वोत्तर रेलवे के इज्जतनगर कारखाने के स्वर्णिम इतिहास से शताब्दी हेरिटेज पार्क रूबरू करा रहा है। यहां आप कारखाने में निर्मित रेल बस, डीजल एवं स्टीम क्रेन भी देख सकते हैं। इसके साथ ही मीटरगेज स्टीम इंजन को संरक्षित किया गया है। डीजल एवं स्टीम क्रेन बीते जमाने की याद दिलाएगी। स्टीम रेल इंजन रेल को भी इज्जतनगर मंडल कार्यालय के साथ-साथ यांत्रिक कारखाना में भी संजो कर रखा गया है। जिसमें इस स्टीम इंजन का स्वर्णिम इतिहास अंकित है। करीब 132 साल पहले मीटरगेज की ट्रेन शुरू होने के बाद इसके प्रयोग में आने वाली कबाड़ सामग्री के तौर पर मौजूद अंग्रेजों की यादों को भी रेलवे ने इज्जतनगर यांत्रिक कारखाने में संजोने का काम किया है।

इंग्लैंड की कंपनी ने बनाए थे स्टीम लोको

इंग्लैंड की मैसर्स स्टीफन्सन एंड होथोन्स ने मीटर गेज स्टीम लोकोमोटिव इंजन 5000 एवं 5010 का निर्माण 1953 में किया था। तब उसकी कीमत 4.25 लाख रुपए थी। इसका वेस शेड मऊ जंक्शन वाराणसी मंडल था। इंजन की कोयला क्षमता सात टन और पानी की क्षमता दो हजार गैलन थी। इसकी लंबाई 51.2 इंच और कुल वजन 70 टन था। लोको 5000 की अंतिम बार पीरीओडिकल ओवरहालिंग सितंबर 1981 और जून 1982 में हुई। इन इंजनों को छह अप्रैल 1985 और 27 फरवरी 1985 को सेवानिवृत्त कर दिया गया।

बॉयलर बनाता था प्रेशर

वर्टिल संरचना में बनाए गए बॉयलर का प्रयोग दस टन स्टीम क्रेन के प्रयोग के लिए किया जाता था। वाटर ट्यूब कोल फार्यड का निर्माण वर्ष 1959 में किया गया था।

इज्जतनगर में ही बनी थी डीजल क्रेन

दस टन क्षमता वाली मीटर गेज डीजल क्रेन को बरेली के इज्जतनगर यांत्रिक कारखाना में ही तैयार किया गया था। क्रेन से आठ मीटर से 4.8 मीटर तक काम होता है।

कारगर है रेल बस, स्टीम क्रेन

इज्जतनगर यांत्रिक कारखाना की बनी रेल बस अब भी कारगर है। इन्हें मथुरा से वृंदावन रूट पर दौड़ाया जा रहा है, जहां रोजाना सैकड़ों यात्री सफर करते हैं। कारखाना के हैरिटेज पार्क में रखी रेल बस संख्या 10005 के कोच 7785 का निर्माण 1998 में किया गया था। 65 यात्री इसमें सफर कर पाते हैं। वही वजन करीब 4.6 टन होता है। यांत्रिक कारखाना वर्तमान में मथुरा के लिए दो और रेल बस का निर्माण कर रहा है। वहीं देश भर में सिर्फ इज्जतनगर कारखाना में ही 16 मीटर गेज 35 टन क्षमता वजन उठाने वाली स्टीम क्रेन का निर्माण वर्ष 1972 से 1976 तक होता था। यांत्रिक कारखाना के तत्कालीन कार्य प्रबंधक के नेतृत्व में इनका निर्माण कराया गया था। यहां की बनी दो क्रेन आज भी कारगर हैं।

इस तरह से चली थी मीटरगेज

-15 नवंबर 1886 को लखनऊ से सीतापुर के बीच पहली मीटरगेज

-15 अप्रैल 1887 को सीतापुर से लखीमपुर के बीच

-15 नवंबर 1894 को पीलीभीत से भेजीपुरा के बीच

ऐसे चला ब्रॉडगेज का काम

-5 मई 2016 को सीतापुर.ऐशबाग ट्रेन संचालन बंद

-15 अक्टूबर 2016 को मैलानी सीतापुर के बीच ट्रेन संचालन बंद

-31 मई 2018 मैलानी पीलीभीत ट्रेन संचालन बंद