-काíतक पूíणमा स्नान-दान की पूíणमा गंगा स्नान 30 नवंबर को

-मनोवांछित फल प्राप्ति के लिए रखें काíतक पूíणमा व्रत

'काíतक पूíणमा' पर विशेष शुभ योग

-इस दिन 'सोमवार' को बनने वाला 'शिव योग' बेहद खास

-इस दिन 'चंद्र-रोहिणी व्रत' योग खास

-इस दिन सूर्योदय से 'सर्वार्थसिद्धि योग' खास

इस दिन देव-दीपावली का भी योग

स्नान एवं दान का शुभ मुहूर्त:-

प्रात: काल 6:56 बजे से 8:14 बजे तक

प्रात: काल 9:29 बजे से 10:47 बजे तक

अपराह्न काल 1:26 बजे से सांय काल 4:02 बजे तक

अति विशेष:- इस बार कोविड-19 के कारण उपरोक्त मुहूर्त में घर में पानी में गंगाजल डालकर स्नान करने से भी पुण्य लाभ प्राप्त किया जा सकता है।

बरेली: काíतक पूíणमा परम पुनीत पवित्र तिथि मानी जाती है, इस दिन अगर कृíतका, भरणी, रोहिणी नक्षत्र हो तो इसका विशेष महत्व बढ़ जाता है। इस बार इस दिन रोहिणी नक्षत्र का संयोग होने से इस दिन पूíणमा का अत्यन्त शुभ महत्व रहेगा। बालाजी ज्योतिष संस्थान के ज्योतिषाचार्य पं। राजीव शर्मा का कहना है कि इस दिन रोहिणी नक्षत्र सूर्योदय से अगले दिन तक रहेगा, शिव योग प्रात:10:45 बजे तक रहेगा इसके बाद सिद्ध योग प्रात: 10:45 बजे से अगले दिन प्रात: 06:36 बजे तक रहेगा।

इसे त्रिपुरी पूर्णिमा भी कहते हैं

इन दिन विशेष तौर पर बनने वाला चंद्र-बृहस्पति का नव-पंचम, दृष्टि-सम्बन्ध योग का विशेष महत्व रहेगा। पूíणमा पर उच्च राशि के चंद्र का होना भी अपने आप में बेहद शुभ योग रहेगा। काíतक मास के शुक्ल पक्ष की पूíणमा काíतकी पूíणमा कही जाती है। इस दिन महादेव जी ने त्रिपुरासुर नामक राक्षस का संहार किया था, इसलिए इसे 'त्रिपुरी पूíणमा' भी कहते हैं। इस दिन संध्या समय भगवान का मत्स्यावतार हुआ था, इस दिन गंगा स्नान के बाद दीप-दान आदि का फल दस यज्ञों के समान होता है। इस दिन ब्रह्मा, विष्णु, शिव, अंगिरा और आदित्य ने इसे 'महा पुनीत पर्व' बताया है। इसलिए गंगा स्नान, दीप-दान, होम, यज्ञ तथा उपासना आदि का विशेष महत्व है। इस दिन कृíतका पर चन्द्रमा और विशाखा पर सूर्य हो तो 'पद्मक योग' होता है, जो पुष्कर में भी दुर्लभ है। इस दिन कृíतका पर चन्द्रमा और बृहस्पति हो तो यह 'महा पूíणमा' कहलाती है। इस दिन संध्या काल में त्रिपुरोत्सव करके दीप-दान करने से पुर्नजन्मादि कष्ट नहीं होता।

बैल दान करने से शिव पद होता है प्राप्त

इस दिन चन्द्रोदय पर शिवा, सम्भूति, प्रीती, अनुसूया और क्षमा इन छह कृíतकाओं का अवश्य पूजन करना चाहिए। काíतका पूíणमा की रात्रि में व्रत करके वृष (बैल) दान करने से शिव पद प्राप्त होता है, गाय, घोड़ा, घी आदि दान करने से सम्पत्ति में बढ़ोत्तरी होती है। इस दिन भेड़ दान करने से ग्रह योग के कष्टों का नाश होता है। इस दिन कन्या दान करने से 'संतान व्रत' पूर्ण होता है। काíतका पूíणमा से प्रारम्भ करके प्रत्येक पूíणमा को रात्रि में व्रत और जागरण करने से सभी मनोरथ सिद्ध होते हैं। इस दिन काíतक के व्रत धारण करने वालों को ब्राह्मण भोजन, हवन तथा दीपक जलाने का विधान है। काíतक पूíणमा वर्षभर की पवित्र पूर्णमासियों में से एक है।