Joint effort से मिली सफलता
फ्राइडे शाम आरोपियों की गिरफ्तारी के बाद पुलिस लाइन में प्रेस कांफ्रेंस हुई। इसमें जीआरपी एडीजी लखनऊ एके धर द्विवेदी, आईजी बरेली देवेन्द्र सिंह चौहान, डीआईजी जीआरपी हरि राम शर्मा, एसएसपी बरेली संजीव गुप्ता, एसपी जीआरपी मुरादाबाद रजत कुमार श्रीवास्तव मौजूद थे। एडीजी एके धर द्विवेदी ने बताया कि पुलिस गिरफ्त में आएआरोपियों के नाम रमेश चंद्र मिश्रा, सौरभ शंखधार, श्रीनाथ भारद्वाज और शशांक हैं।
चारों आरोपी रिश्तेदार हैं
रमेश चंद्र मिश्रा बरेली सेक्टर के सीबीसीआईडी में सिपाही के पद पर तैनात है। वह भमौरा थाना क्षेत्र के रमपुरा माफी गांव का निवासी है। सौरभ 425 बी बड़ी वमनपुरी बरेली का निवासी है और वह रमेश चंद्र का दामाद है। सौरभ फ्यूचर इंस्टीट्यूट में असिस्टेंट प्रोफेसर है और इससे पहले इनवर्टिज यूनिवर्सिटी में टीचर रह चुका है। श्रीनाथ, सौरभ का बहनोई है और वह राधा माधव इंस्टीट्यूट में टीचर है। वहीं शशांक राम मूर्ति इंस्टीट्यूट में टीचर है और उसके पिता विज्ञान स्वरूप मिश्रा आईजी बरेली के ऑफिस में एसआई हैं। शशांक रमपुरा का रहने वाला है और रमेश का रिश्तेदार है।
कनखल से लौट रहे थे
एडीजी एके धर द्विवेदी ने बताया कि 7 जून को सौरभ अपनी पत्नी शिवानी, मां अनीता और शांतनु और उसका बहनोई श्रीनाथ अपनी पत्नी गरिमा और बेटे सारस्वत के साथ बरेली से बस से कनखल गया था। सौरभ का भाई पियूष एक दिन पहले ही कनखल चला गया था। 12 जून को वे हरिद्वार में रुके और 13 को हरिद्वार-इलाहाबाद एक्सप्रेस से बरेली के लिए सवार हुए। इसी ट्रेन में बिजनौर के थाना कीरतपुर में तैनात सिपाही राम निरंजन पत्नी शांति देवी, बेटी पायल और रेनू, बेटे महेंद्र प्रताप सिंह और भाई राकेश, भतीजे अजय सिंह और उसकी पत्नी बबिता के साथ हरिद्वार से चढ़े।
सौरभ के बेटे से टकराई थी अटैची
ट्रेन में चढ़ते वक्त राकेश की अटैची सौरभ के 2 साल के बेटे सारस्वत से टकरा गई। इस बात पर सौरभ के भाई पियूष को गुस्सा आ गया और उसने राकेश को चांटा मार दिया। इस बात पर राम निरंजन के साथ वाले लोगों ने पियूष व अन्य लोगों की जमकर पिटाई कर दी। दोनों पक्षो में पूरे रास्ते तू-तू मैं-मैं चलती रही। दोनों परिवार एक दूसरे पर पुलिस का रौब झाड़ रहे थे। जैसे ही ट्रेन मुरादाबाद जंक्शन पर पहुंची वहां पर सौरभ और शंखधार ने जीआरपी मुरादाबाद में जाकर शिकायत कर दी। इस पर वहां के एसआई अजय कुमार ट्रेन में गए और दोनों पक्षों में समझौता करवा दिया।
सिपाही लेकर पहुंचा बदमाश
रामपुर तक दोनों पक्ष शांत रहे। उसके बाद फिर से झगड़ा शुरू हो गया। श्रीनाथ की पत्नी ने अपने घर पर फोन कर दिया। फोन श्रीनाथ की साली ने उठाया और उसने तुंरत मामले की सूचना अपने पिता रमेश चंद्र को दी। उसके बाद रमेश चंद्र ने तुंरत अपने करीब डेढ़ दर्जन साथियों को इकट्ठा किया और बरेली जंक्शन पर ट्रेन आने से करीब आधा घंटा पहले ही पहुंच गए। जैसे ही ट्रेन रुकी वैसे ही सभी लोग बोगी के दोनों गेट से घुस गए और राम निरंजन के परिवार पर हमला कर दिया।
दो सिपाही पड़े नाकाफी
इसकी सूचना पाकर जीआरपी बरेली के सिपाही रोहताश और राहत बेग बोगी में भागे के अंदर गए लेकिन अधिक लोगों के सामने कुछ नहीं कर सके। इसी दौरान किसी ने राम निरंजन को गोली भी मार दी। वारदात को अंजाम देने के बाद शंखधार पक्ष के कुछ लोग ऑटो में बैठकर जा रहे थे जिसका नंबर सिपाही रोहताश ने नोट कर लिया। पुलिस पूछताछ में सौरभ और श्रीनाथ ने राम निरंजन के परिवार द्वारा अभद्रता की बात स्वीकार की। पुलिस का कहना है कि जल्द ही अन्य आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया जाएगा और वारदात में इस्तेमाल तमंचा भी बरामद कर लिया जाएगा।
पहले से बना ली थी योजना
सिपाही की हत्या में शामिल सौरभ ने ही मुरादाबाद जीआरपी के एसआई को अपना नाम व पता गलत नोट करवाया था। उसने अपना नाम गौरव और पता मढ़ीनाथ का बताया था। इस पते पर पुलिस गई तो पता चला कि वहां कोई और फैमिली रहती है। सौरभ ने ऐसा पुलिस को गुमराह करने के लिए किया था और उसने पहले से ही बरेली में बदला लेने की योजना बना ली थी।
जंक्शन पर शुरू हुई checking
बरेली जंक्शन पर सिपाही की हत्या के बाद जीआरपी और लोकल पुलिस के साथ मिलकर सघन चेकिंग अभियान चलाया गया। पुलिसकर्मियों ने हाथ वाले तीन मेटल डिटेक्टर से जंक्शन में प्रवेश करने वाले यात्रियों और उनके सामान की चेकिंग की। पुलिस का कहना है कि यह अभियान आगे भी चलता रहेगा क्योंकि आने वाले समय में नगर निगम चुनाव हैं।
ऐसे पकड़े गए आरोपी
सिपाही रोहताश ने ऑटो का नंबर नोट किया था, जो इन आरोपियों को पकडऩे में बहुत काम आया। ऑटो नंबर 25 एटी 4139 से ऑटो चालक के बारे में पता लगाया गया। पुलिस ने जब चालक से पूछताछ की तो उसने अभियुक्तों को दर्जी चौक बड़ा बाजार बरेली में छोडऩे की बात कही। इससे पुलिस को शक हो गया कि आरोपियों में से कोई न कोई इस एरिया में आसपास ही रहता है। वहीं इसी दौरान पुलिस ने सर्विलांस की मदद से रामपुर और बरेली जंक्शन तक की दूरी तक की गई फोन कॉल की डिटेल निकलवाई। इसमें सामने आया कि सौरभ के मोबाइल से सबसे ज्यादा देर तक बात हुई थी। इसी के आधार पर पुलिस सौरभ के मोबाइल नंबर से उसके पते पर पहुंच गई। वहीं इस मामले में पीडि़त पक्ष के लोगों ने आरोपियों में से एक व्यक्ति द्वारा खुद को प्रोफेसर बताने तथा अपने ससुर को सीबीसीआईडी में बताने से भी पुलिस को अहम सुराग मिले।
माना सुरक्षा में हैं खामियां
आखिरकार जीआरपी एडीजी एके धर द्विवेदी ने मान ही लिया कि रेलवे की सुरक्षा व्यवस्था में तमाम लूपहोल्स हैं। उन्होंने कहा कि ये सही है कि रेलवे की सुरक्षा व्यवस्था में खामियां हैं। जल्द उन्हें दूर किया जाएगा। उन्होंने जंक्शन पर कैमरे लगाने की भी बात कही। उन्होंने जीआरपी को कई सुझाव भी दिए।
ऐसे करें काम
-लखनऊ और कुछ बड़े स्टेशनों की तर्ज पर जीआरपी लाइन लगवाकर जनरल कोच में पैसेंजर्स को बैठाए।
-ट्रेनों में ड्यूटी करने वाले पुलिसकर्मी ड्यूटी के दौरान सतर्कता बरतें और अपनी वर्दी में ही ड्यूटी करें।
-जीआरपी को चाहिए कि वो स्टेशन पर ट्रेन की बाकी बोगियों के साथ ही जनरल बोगी पर विशेष ध्यान दें।
-रास्ते में अगर ट्रेन कहीं रुकती है तो स्कॉर्ट ड्यूटी में लगे जीआरपी कर्मियों को चाहिए कि वो ट्रेन से नीचे उतरकर सघन चेकिंग करें।
GRP पर लगे आरोप गंभीर
जीआरपी एडीजी एके धर द्विवेदी ने फ्राइडे को कहा कि सिपाही की मर्डर मिस्ट्री अब लगभग सुलझ चुकी है। उनका अगला कदम आई नेक्स्ट में पब्लिश खबर थाने में 'वो लड़कीÓ के मामले में कार्रवाई करना है। उन्होंने कहा कि ये गंभीर मामला है जिसमें दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा। डीआईजी हरि राम शर्मा ने कहा कि जो भी आरोप जीआरपी पर लगाए गए हैं वो अपने आप में गंभीर हैं। इसकी जांच की जाएगी।