-27 दिसम्बर को रुहेलखंड मेडिकल कॉलेज के मेडिकल वेस्ट में मिले थे मानव अंग

-पुलिस ने मानव अंगों को 28 दिसम्बर को सील करके पोस्टमार्टम के लिए भेजा

बरेली। रुहेलखंड मेडिकल कॉलेज की जिस पार्किग के पास मेडिकल वेस्ट के बीच पिछले दो दिनों में मानव खोपड़ी और क्षत-विक्षत अंग मिले, मेडिकल कॉलेज प्रशासन ने फ्राइडे को उस पूरे इलाके को मिट्टी से पाट दिया और ऊपर से पानी का छिड़काव भी किया गया। एक के बाद एक ट्रैक्टर ट्रॉली मिट्टी लाती रहीं और मेडिकल वेस्ट के ऊपर उढ़ेलती गईं। दर्जनों मजदूर फावड़े और परात से मिट्टी को समतल करते रहे। यह मिट्टी नदी किनारे बने मिट्टी के टीलों से खोदी गई। चंद घंटों में पूरे इलाके को ऐसा कर दिया गया जैसे कि वहां मेडिकल वेस्ट था ही नहीं। मेडिकल कॉलेज के लोग नकटिया नदी की ढलान पर पड़े कचरे पर भी मिट्टी डालते देखे गए। इस दौरान रुहेलखंड मेडिकल कॉलेज के चेयरमैन डॉ। केशव कुमार खुद भी मौजूद रहे।

पोस्टमार्टम में मानव अंगों की हुई पुष्टि

आखिर दैनिक जागरण आईनेक्स्ट का इंवेस्टिगेशन सही साबित हुआ। रुहेलखंड मेडिकल कॉलेज की पार्किग के पास मिले कंकाल व अन्य जैविक अवशेष मानव अंग ही निकले। फ्राइडे को पोस्टमार्टम रिपोर्ट ने इसकी पुष्टि कर दी है। रिपोर्ट के अनुसार मानव की खोपड़ी तो जल चुकी है। लेकिन पैर में कुछ अंश मांस के भी लगे हुए थे। जिससे स्पष्ट हो गया कि पैर भी मानव का है। हालांकि पोस्टमार्टम करने वाले डॉक्टर का कहना है कि मानव खोपड़ी पुरानी है और जलाया भी गया है। लेकिन पैर कितना पुराना है यह स्पष्ट कर पाना मुश्किल है।

क्या है बायो मेडिकल वेस्ट

प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी एके चौधरी ने बताया कि वह सभी आइटम बायो मेडिकल वेस्ट में आते हैं, जो कि मरीज के ट्रीटमेंट में यूज किए जाते हैं। वह सभी बायो मेडिकल वेस्ट ही कहे जाएंगे। इनसे संक्रमण न फैले इसीलिए इन्हें खुले में फेंकना अपराध है। इसके लिए सरकार से गाइड लाइन भी जारी है। बायो मेडिकल वेस्ट जेनरेट करने वाले की ही जिम्मेदारी होती है कि वह बायो मेडिकल वेस्ट का निस्तारण करेगा।

क्या यह साक्ष्य मिटाए गए, क्या कहता है कानून

कोई भी व्यक्ति अपराध के बाद उसके साक्ष्य छिपाता है तो यह भी अपराध की श्रेणी में आता है। इसके लिए साक्ष्य छिपाने की धारा 201 आइपीसी के तहत और संबंधित अपराध की धारा के तहत कार्रवाई का प्रावधान है। जिसमें सजा और जुर्माना दोनो हो सकती है।

घनश्याम शर्मा,पूर्व बार अध्यक्ष

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आईपीसी के तहत अपराध है यह

इस मामले में जब पुलिस जांच चल रही है। मानव अंग मिले और पोस्टमार्टम में भी इसकी पुष्टि हो गई तो ऐसे में वह जगह जहां से यह अंग या कंकाल मिले सीन ऑफ क्राइम हो गया। वहां यदि इस तरह का कोई काम किया गया जिससे साक्ष्य मिट सकते हैं तो वह आईपीसी की धारा 201 के तहत दंडनीय अपराध है। इसमें उतनी सजा का प्रावधान है जितना दंड अपराध करने पर निर्धारित होता है। इसमें आईपीसी की धारा 34 को भी शामिल किया जा सकता है। क्योंकि मिट्टी डालने का काम कई लोगों ने मिलकर किया है.

- मनोज हरित, सीनियर एडवोकेट (क्रिमिनल केस)

मेडिकल वेस्ट में मानव खोपड़ी या पैर जैसा अंग मिलना संभव नहीं। वैसे भी अस्पतालों का मेडिकल वेस्ट डिस्पोज करने की जिम्मेदारी उस कंपनी की होती है जिसे यूपी पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड ने प्रमाणित किया है। यह सभी अस्पतालों या लैब के लिए अनिवार्य है। बरेली में यह जिम्मेदारी एनविराड नाम की कंपनी के पास है। यही कंपनी सभी अस्पतालों से मेडिकल वेस्ट कलेक्ट करके डिस्पोज करती है। अब यह देखना होगा कि क्या इस कंपनी के लोगों ने मेडिकल वेस्ट कहां और कैसे डिस्पोज किया।

डॉ। प्रमेंद्र माहेश्वरी

प्रेसिडेंट, आईएमए बरेली

डोहरा से लेकर बिचपुरी पुल तक कभी नहीं था कब्रिस्तान

रुहेलखंड मेडिकल कॉलेज प्रशासन का दावा है कि पार्किग के पास मिले मानव अंग किसी कब्रिस्तान के हो सकते हैं, लेकिन उनके इस दावे को आस-पास गांवों के लोगों ने ही खारिज कर दिया है। इलाके बड़े-बुजुर्गो का कहना है कि डोहरा से लेकर बिचपुरी पुल तक न अभी कोई कब्रिस्तान है और न पहले कभी रहा है। आसपास की मुस्लिम आबादी सुपुर्दे खाक के लिए बिचपुरी गांव पार करने के बाद पूरब दिशा में जाना होता है।

27 दिसम्बर को मिली थी खोपड़ी

पीलीभीत रोड स्थित रुहेलखंड मेडिकल कॉलेज के मुख्य भवन के सामने पार्किंग स्टैंड के पास 27 दिसम्बर को मेडिकल वेस्ट पर दैनिक जागरण आईनेक्स्ट की टीम को मानव खोपड़ी मिली। मेडिकल कॉलेज के बायो मेडिकल वेस्ट में मानव खोपड़ी मिलने की न्यूज पब्लिश होने के बाद पुलिस प्रशासन हरकत में आया और 28 दिसम्बर को मौके पर पहुंच कर जांच की तो वहां खोपड़ी के अलावा एक पैर और कई मानव के अंग बिखरे हुए मिले। जिसके बाद पुलिस ने मौके पर ड्यूटी कर रहे गार्डो और मेडिकल कॉलेज प्रशासन के डॉ। मो। फैज से भी बात की। जिसके बाद पुलिस ने हॉस्पिटल प्रबंधन से तहरीर लेने के बाद मानव अंगों को हॉस्पिटल प्रशासन के सामने ही सील करने के बाद पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया था।

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दावों की कहानी पब्लिक की जुबानी

डोहरा गांव से लेकर आशीष रॉयल पार्क और बिचपुरी गांव तक कोई कब्रिस्तान नहीं था। मैं पूर्व प्रधान भी हूं मैंने सरकारी नक्शा में भी कभी नहीं देखा कि यहां कब्रिस्तान थे।

महेन्द्र पटेल, पूर्व प्रधान

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मैं डोहरा रोड पर रहता हूं। मेरी उम्र करीब 75 वर्ष है, मैने तो कभी इस क्षेत्र में कब्रिस्तान नहीं देखा है। कब्रिस्तान तो बिचपुरी गांव पार करने बाद पूरब दिशा में है।

कोमिल प्रसाद, स्थानीय ग्रामीण

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80 बर्ष का बुजुर्ग हो गया हूं, मैंने तो इस इलाके में कभी कब्रिस्तान नहीं देखे। जो भी डोहरा और मेडिकल कॉलेज के पास या नकटिया नदी के पास कबिस्तान बता रहा वह गलत है।

मुन्ना बाबू, गांव बिचपुरी

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डोहरा रोड और नकटिया नदी के पास कभी कब्रिस्तान थे ही नहीं। जो लोग कब्रिस्तान बता रहे वह गलत है। कब्रिस्तान तो बिचपुरी गांव के भी आगे हैं। यहां पर कहीं नहीं हैं।

अशरफ, गांव बिचपुरी

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मेडिकल वेस्ट को खुले में फेंकना अपराध है। जो भी खुले में मेडिकल वेस्ट फेंकता है। उसके खिलाफ प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड कार्रवाई करेगा। जिसमें जुर्माना और सजा दोनों का प्रावधान है।

एके चौधरी, क्षेत्रीय अधिकारी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड

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