-भारतीय रेलवे के प्लेटफार्म से एक फीट नीचे रह गई टेलगो

-यात्रियों के चढ़ने-उतरने में आ सकती है परेशानी

BAREILLY: स्पेन से ट्रायल के लिए मंगाई गई हाई स्पीड टेलगो ट्रेन भारतीय रेलवे के प्लेटफार्म मानकों पर फिलहाल खरी नहीं उतरी। टयूजडे को ज्योंहीं टेलगो का पहले कोच इज्जतनगर रेलवे वर्कशॉप में पटरी पर उतारा गया। वह प्लेटफार्म से करीब एक फीट डाउन रह गया। वहां से ट्रेन के गेट पर उतरने और फिर प्लेटफार्म पर चढ़ने में मुश्किल आई। ऐसे में अगर इस ट्रेन का पटरी पर ट्रायल सफल भी रहा तो भी यह यात्रा के उपयोग में तभी आ पाएगी जब प्लेटफार्म डाउन किए जाएं या फिर नए बनाने होंगे।

एक कोच दो हिस्से चार पहिए

इज्जतनगर में टेलगो के पहले कोच को टयूजडे को पटरी पर उतारा गया। फिलहाल इसके एक कोच का आधा हिस्सा ही बरेली पहुंचा है। आधे हिस्से को देखकर रेलवे वर्कशॉप इंजीनियर्स ने बताया कि वजन में हल्की और लगजरी सुविधाओं वाली टेलगो का एक कोच दो हिस्सों में बंटा होगा। भारत में रेलवे के यात्री कोच में दोनों तरफ चार-चार व्हील होते हैं, जबकि टेलगो में पूरा कोच सिर्फ चार पहियों पर टिका होगा है। दो हिस्सों को जोड़कर एक पूरा कोच तैयार किया जाएगा।

आधा हिस्सा ट्रॉली पर टिकाया

टयूजडे को इज्जतनगर में टेलगो का पहला कोच पटरी पर उतारा गया है। कोच के इस आधे हिस्से में एक तरफ दो व्हील लगे हैं। ऐसे में दूसरी तरफ का हिस्सा भी बैलेंस रखने के लिए रेलवे ट्रेक के मैंटेनेंस के काम आने वाली ट्रॉली पर इसे टिकाया गया है।

10 एक्सपर्ट्स की टीम साथ

भारतीय ट्रेन में बोगी और पहियों के नीचे वहीं ट्यूजडे रात तक ट्रेन के अन्य 8 कोच के पहुंचने की कवायद शुरू हो गई थी। टेलगो के कोच पहुंचने के साथ ही एक्सपर्ट की टीम ाी ट्यूजडे को इज्जतनगर पहुंच गई। टेलगो की टेक्निकल मैनेजर एलिना गर्शिया डी रूज की अगुवाई में एक्सपर्ट की टीम ने एनईआर वर्कशॉप का जायजा लिया।

तो बनाने पड़ेंगे स्पेशल प्लेटफार्म

अगर स्पीड ट्रायल सफल रहा और टेलगो ट्रेन को भारत में चलाने की अनुमति मिली तो मौजूदा प्लेटफार्म पर इसका संचालन उपयोगी नहीं हो सकेगा। अगर इस ट्रेन में यात्रियों को सफर कराना है तो उनके आसानी से चढ़ने उतरने के लिए हर रेलवे स्टेशन पर प्लेट्फार्म के स्वरूप में बदलाव करना होगा या नया प्लेटफार्म बनाना होगा। जो मौजूदा से करीब एक फीट कम हाइट का हो।

स्प्रिंग नहीं शॉक प्रूफ एयर शॉकर हैं टेलगो में

भारतीय ट्रेन में बोगी और पहियों के बीच शॉक एबजॉर्विग के लिए स्प्रिंग लगी होती हैं। यह ट्रेन को शॉक प्रूफ तो बनाती है, लेकिन ट्रेन चलने पर बॉगी में बैठे यात्रियों को धड़धड़ाहट महसूस होती है। टेलगो ट्रेन में विशेष किस्म के एयर शॉकर लगे हैं। यह ट्रेन में बैठे यात्रियों को धड़धड़ाहट से निजात दिलाते है। स्पेशल एयर शॉकर पटरी से लगने वाले शॉक्स को एबजॉर्ब कर लेते हैं। शॉकर की उंचाई ाी करीब 7 फीट से अधिक होती है। यह ट्रेन के निचले हिस्से के बजाय छत के हिस्से से अटैच होते हैं। लंबाई काफी अधिक होने और ट्रेन के उपरी हिस्से से अटैच होने के कारण पहले तो धड़धड़ाहट होती है नहीं, थोड़ी बहुत जो होती है वह भी ट्रेन के उपरी हिस्से से अटैच होने के कारण सीट पर बैठे या लेटे यात्री को महसूस नहीं होती।