बरेली ब्यूरो । कार्तिक पूर्णिमा परम पुनीत पवित्र तिथि मानी जाती है। इस दिन सूर्य के विशाखा नक्षत्र के रहते कार्तिक पूर्णिमा तिथि कालीन 18 नवंबर गुरुवार की रात्रि 25:29 से अगले दिन 19 नवंबर शुक्रवार की अद्र्धरात्रि के बाद 28:29 तक कृतिका नक्षत्र के रहने से 'पद्ममक" नामक योग रहेगा। इस दिन अगर कृर्तिका, भरणी, रोहिणी नक्षत्र हो तो इसका विशेष महत्व बढ़ जाता है। इस बार इस दिन कृतिका नक्षत्र एवं परिध योग का संयोग होने से इस दिन पूर्णिमा का अत्यन्त शुभ महत्व रहेगा।

दान पुण्य करने का महत्व
कृतिका नक्षत्र सूर्योदय से अगले दिन तक रहेगा। इन दिन विशेष तौर पर बनने वाला चंद्र-बृहस्पति का गजकेसरी योग का विशेष महत्व दान-पुण्य करने में रहेगा। इसी दिन चंद्र का प्रात: काल 8:15 पर मेष राशि से वृष राशि में उच्च का होकर आना अत्यंत सौभाग्यवर्धक योग रहेगा। पूर्णिमा पर उच्च राशि के चंद्र का होना भी अपने आप में बेहद शुभ योग रहेगा। कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा कार्तिकी पूर्णिमा कही जाती है। इस दिन महादेव जी ने त्रिपुरासुर नामक राक्षस का संहार किया था, इसलिए इसे त्रिपुरी पूर्णिमा भी कहते हैं। इस दिन संध्या समय भगवान का मत्स्यावतार हुआ था, इस दिन गंगा स्नान के बाद दीप-दान आदि का फल दस यज्ञों के समान होता है। इस दिन ब्रह्मा, विष्णु, शिव, अंगिरा और आदित्य ने इसे 'महापुनीत पर्व बताया है। इसलिए गंगा स्नान, दीप-दान, होम, यज्ञ तथा उपासना आदि का विशेष महत्व है। इस दिन कृर्तिका पर चन्द्रमा और विशाखा पर सूर्य हो तो 'पद्मक योग होता है, जो पुष्कर में भी दुर्लभ है।

पुष्कर योग है दुर्लभ
कृर्तिका पर चन्द्रमा और बृहस्पति हो तो यह 'महा पूर्णिमा कहलाती है। इस दिन संध्या काल में त्रिपुरोत्सव करके दीप-दान करने से पुर्नजन्मादि कष्ट नहीं होता। इस दिन चन्द्रोदय पर शिवा, सम्भूति, प्रीती, अनुसूया और क्षमा इन छह कृर्तिकाओं का अवश्य पूजन करना चाहिए। कार्तिका पूर्णिमा की रात्रि में व्रत करके वृष (बैल) दान करने से शिव पद प्राप्त होता है, गाय, घोड़ा, घी आदि दान करने से सम्पत्ति में बढ़ोत्तरी होती है। इस दिन भेड़ दान करने से ग्रह योग के कष्टों का नाश होता है। इस दिन कन्या दान करने से 'संतान व्रत पूर्ण होता है। कार्तिका पूर्णिमा से प्रारम्भ करके प्रत्येक पूर्णिमा को रात्रि में व्रत और जागरण करने से सभी मनोरथ सिद्ध होते हैं। इस दिन कार्तिक के व्रत धारण करने वालों को ब्राह्मण भोजन, हवन तथा दीपक जलाने का विधान है। कार्तिक पूर्णिमा वर्षभर की पवित्र पूर्णमासियों में से एक है। इस दिन सूर्य स्तोत्र, गुरु स्तोत्र का सूर्य एवं गुरु -गायत्री मंत्र का पाठ तथा दोनों ग्रहों से संबंधित वस्तुओं का यथासंभव दान, जप एवं कृतिका स्वामी (विष्वस्वामी) सूर्य के दर्शन किये जायें तो अति सुंदर रहता है।

अति विशेष
इस बार कार्तिक पूर्णिमा के दिन चंद्रमा कृतिका नक्षत्र एवं सूर्य का विशाखा नक्षत्र पर होने से महापुण्यदायक 'पद्ममक योग बन रहा है। इस योग में तीर्थ स्नान विशेषकर पुष्कर-तीर्थ में स्नान, दान एवं जपादि करना विशेष पुण्यदायक होता है।