- शहर के स्पो‌र्ट्स स्टेडियम के जर्जर पविलियन से बड़े हादसे की आशंका

- प्रशासनिक अधिकारियों से जनप्रतिनिधियों तक ने की है अनदेखी

बरेली। प्रधानमंत्री ने खेल प्रतिभाओं को तलाशने के साथ ही देश को महान खेल राष्ट्र बनाने के उद्देश्य से एक तरफ जहां खेलो इंडिया कार्यक्रम शुरू किया तो वहीं दूसरी तरफ युवा पीढ़ी को फिजकली फिट बनाने के लिए फिट इंडिया मूवमेंट कार्यक्रम की भी शुरुआत की। उन्होंने युवा पीढ़ी को इसके लिए प्रेरित भी किया। प्रधानमंत्री के इस कार्यक्रम को लेकर शहर के जिम्मेदार जन प्रतिनिधि, प्रशासनिक अधिकारी और असरदार बरेलियंस कितने संजीदा हैं यह डिस्ट्रिक्ट के सबसे पुराने स्पो‌र्ट्स स्टेडियम की बदहाली बयां कर रही है। पांच दशक से अधिक पुराना स्पो‌र्ट्स स्टेडियम अब जर्जर हाल में पहुंच चुका है। रखरखाव व देखरेख के अभाव में यहां का पवेलियन खंडहर में तब्दील हो रहा है। इससे यहां कभी भी बड़े हादसे की आशंका बनी हुई है।

क्रॉस लगा जिम्मेदारी पूरी

स्टेडियम के पवेलियन की स्थिति अब डरवानी है। भूल से भी यहां जाना खुद की जान जोखिम में डालना है। ऐसी स्थिति के बाद भी इसकी अनदेखी की जा रही है। स्टेडियम के अधिकारी भी इसको लेकर अपने को असहाय पाते हैं। उन्होंने अपनी जिम्मेदारी पूरी करने के लिए खंडहर पवेलियन पर कहीं रेड क्रास तो कहीं पर खतरा और कहीं यहां न आएं जैसी चेतावनी जरूर लिखवा दी है।

जान जोखिम में डालते हैं बच्चे

स्पो‌र्ट्स स्टेडियय में खेल सुविधाओं का अभाव है और यहां खेलने के लिए फीस भी निर्धारित है। इससे शहर के सैकड़ों बच्चे यहां खेलने को नहीं पहुंच पाते हैं। ऐसी ही बच्चों में से कई बच्चे स्टेडियम की बाउंड्री से लगे मॉडल टाउन के रामलीला मैदान में हर रोज क्रिकेट खेलने को पहुंचते हैं। खेलते-खेलते जब इनकी बॉल स्टेडियम के भीतर आती है तो यह बच्चे खंडहर हो चुके पवेलियन के रास्ते ही आते-जाते रहते हैं। खेल के दौरान कई बच्चे तो इस पवेलियन पर मौज मस्ती के लिए जुटे रहते हैं। यहां जान का खतरा होने पर भी इनको रोकने- टोकने वाला कोई नहीं होता है। इससे कभी भी यहां यह बच्चे हादसे का शिकार तक हो सकते हैं।

बदहाली पर पूर्व खिलाड़ी भी आहत

स्पो‌र्ट्स स्टेडियम ने अपने अब तक के पीरियड में शहर ही नहीं बल्कि जिले के सैकड़ों लोगों की तकदीर संवारी होगी। यह लोग वर्तमान में कहीं न कहीं अपने मुकाम पर हैं। ऐसे ही कई पूर्व खिलाडि़यों ने स्टेडियम की बदहाली पर गहरा दुख जताया।

मैंने इस स्टेडियम की बदौलत ही जीवन में मुकाम हासिल किया है। समय के साथ जहां देश हर क्षेत्र में तरक्की कर रहा है, वहीं इस स्टेडियम की हालत दिनां दिन बद्दतर हो रही है। आज यहां की जैसी स्थिति है उससे दुख होता है।

प्रेमा पानू, खेल शिक्षिका कांति कपूर सरस्वती बालिका इंटर कॉलेज

कभी यह स्टेडियम बरेली की शान रहा। यहां खेलना खुद को गौरवान्वित महसूस करना होता था। आज इसकी जैसी हालत है उसके लिए सिर्फ स्टेडियम के अधिकारियों को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है। इसकी स्थिति संवारने के लिए हर जिम्मेदार को प्रयास करना होगा।

सोनी रत्‍‌नाकर, पूर्व फुटबॉल प्लेयर

स्टेडियम का पवेलियन लंबे समय से जर्जर हाल में है। इसकी सूचना समय-समय पर मुख्यालय को भेजी जाती रही है। अब इसके निर्माण का प्रयास हो रहा है। इसके लिए एस्टिमेट तैयार कराने की प्रक्रिया चल रही है। एस्टिमेट तैयार होते ही निदेशालय को भेजा जाएगा।

शमीम अहमद, डिप्टी आरएसओ