बरेली (ब्यूरो)। शहर में तेजी से निर्माण कार्य चल रहे हैं। विकास में बाधा बन रहे सैकड़ों पेड़ों को काटने की बजाए ट्रांसलोकेट कराकर अफसरों ने खूब वाहवाही लूटी, लेकिन इसके बाद ट्रांसलोकेट किए गए पेड़ों की सुध नहीं ली। इसके चलते इनमें से ज्यादातर पेड़ अब सूखने की कगार पर हैं। इसका खुलासा बरेली कॉलेज में लॉ डिपार्टमेंट के हेड प्रदीप जागर की टीम के सर्वे के दौरान हुआ।

ऐसे हुआ खुलासा
बरेली कॉलेज बरेली में लॉ डिपार्टमेंट के हेड डॉ। प्रदीप जागर ने सामाजिक सरोकार के चलते अपने एक्स स्टूडेंट्स से शहर के नंदौसी, कान्हा उपवन और मंझा गांव में ट्रांसलोकेट किए गए करीब 657 पेड़ों की स्थिति जानने के लिए सर्वे कराया था। इस दौरान करीब तीस फीसदी पेड़ ऐसे मिले जो कि सूखने की कगार पर हैं। कई पेड़ तो सिर्फ छोटा गड्ढा करके बस टिका दिए हैं। प्रदीप जागर का कहना है कि पेड़ों को ट्रांसलोकेट करने के लिए एक आधुनिक मशीन की जरूरत होती है लेकिन वन विभाग ने जेसीबी से पेड़ों को उखाड़ कर दूसरी जगह ट्रांसलोकेट कर दिए। मानकों की अनदेखी के चलते ही पेड़ सूखने की कगार पर हैं।

क्या है मानक
विभागीय मानकों के अनुसार पेड़ों की ट्रांसलोकेट करने की स्थिति में अनुमानित 50 फीसदी पेड़ ही दोबारा हरे-भरे हो पाते हैं।

हाईकोर्ट में रिट करेंगे फाइल
डॉ। प्रदीप जागर के अनुसार सामाजिक सरोकार के चलते स्टूडेंट्स को पेड़ों स्थिति देखने को भेजा था सर्वे के दौरान अधिकांश पेड़ सूखने की कगार पर हैं। मामले को हाईकोर्ट तक रिट के माध्यम से दाखिल किया जाएगा।

वन विभाग का पक्ष
शहर से जितने पेड़ ट्रांसलोकेट होने हैं उन्हें पूरी सावधानी के साथ ट्रांसलोकेट कराया जा रहा है। इन पेड़ों में से सभी के पूर्व की तरह हरे भरे होने की संभावना कम रहती है। इसके बाद भी बड़ी संख्या में पेड़ हरे भरे हो रहे हैं
वैभव चौधरी, रेंजर वन विभाग