- चार साल से न्याय के इंतजार में बैठा था पीडि़त परिवार, धमकी मिली पर डरे नहीं

- सोशल मीडिया पर छाया रहा फैसला, महिलाओं, लड़कियों ने दी बेबाक राय

बरेली : रेप के बाद मर्डर जैसे जघन्य क्राइम की फांसी से कम सजा नहीं होनी चाहिए। कोर्ट का फैसला आने में देर जरूर हुई लेकिन दोषियों को सजा मिली वह संतोषजनक है। इस तरह के बयान सोशल मीडिया पर छाए रहे। महिलाओं ने खुलकर अपने विचार रखे और आगे भी इस तरह के क्राइम में तुरंत और कड़े डिसीजन की उम्मीद की। वहीं, पीडि़ता के परिवार की ओर से शब्दों की बजाए आदेश सुनते ही आंसू छलक पड़े। साफ जाहिर था कि वह अपनी बिटिया के दोषियों के लिए इतनी ही सख्त सजा चाहते थे।

14 दिनों के भीतर सुनाई सजा

सीबीगंज थाना क्षेत्र में चौदह अक्टूबर को दो साल की मासूम बच्ची के साथ पड़ोसी यादराम ने अपने घर ले जाकर रेप किया था। इस मामले में सीबीगंज पुलिस ने यादराम के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर उसी रात आरोपी को गिरफ्तार किया था। इसके बाद उसे जेल भेज गया। साक्ष्य और गवाहों के आधार पर महज छह दिन के भीतर ही 19 अक्टूबर को अदालत में चार्टशीट दाखिल की गई। थाने के पैरोकार रामू गुप्ता ने इस केस में प्रभावी पैरवी की। समय-समय पर गवाहों की गवाही कराई गई। इसके बाद कोर्ट ने सिर्फ चौदह दिन के भीतर यादराम को उम्रकैद की सजा सुनाई। साथ ही एक लाख का जुर्माना लगाया।

इन्हें भी इंसाफ की आस

पिछले तीन सालों में डिस्ट्रिक्ट के 29 थानों में पॉक्सो एक्ट और रेप के 730 मामले दर्ज हैं। वहीं, कुछ केस में अभी तक न्याय नहीं मिल पाया है। इनमें जांच चल रही है। कई मामले तो लोगों ने लोक लाज के डर से दर्ज ही नहीं कराए। पुलिस पूरी तरह से सक्रियता दिखा रही है।

साल रेप पॉक्सो एक्ट

2017 63 146

2018 72 186

2019 60 203

टोटल 195 535

फैसले की सराहना

वर्जन ---

अदालत के फैसले का हम स्वागत करते हैं। ऐसे फैसले से मां-बहन और बेटियों में अदालत और कानून के प्रति विश्वास मजबूत होगा। वहीं अपराधियों में कानून का खौफ पैदा होगा।

- मोहम्मद खालिद जीलानी, एडवोकेट

माननीय न्यायलय द्वारा जो फैसला आया है, वो सराहनीय है। यह फैसला औरों के लिए नजीर बनेगा और ऐसी प्रवृत्ति के लोग घृणित कृत्य करते हुए कांपेंगे।

राशि पाराशरी, एडवोकेट

ऐसा जघन्य अपराध करने वालों को फांसी की सजा ही मिलनी चाहिए, ताकि किसी भी बच्ची और महिला के साथ इस तरह की दरिंदगी करने से पहले उनकी रूह कांपे।

डॉ। रुचि कपूर, समाज सेविका