- 'उदया' ने यूपी और बिहार के 20,000 किशोर/किशोरियों पर किया सर्वे

- सर्वे में किशोरावस्था से वयस्क होने के दौरान की प्रगति को किया ट्रैक

बरेली: उदया यानि किशोरों और युवा वयस्कों के जीवन को समझन एक अध्ययन के अनुसार शिक्षा से रोजगार की ओर बढ़ते हुए युवाओं की आकांक्षाओं को पूरा करने के प्रयास पर एक सर्वे किया गया। यह अध्ययन पापुलेशन काउंसिल द्वारा उत्तर प्रदेश और बिहार में 10-19 वर्ष की आयु के लगभग 20,000 किशोर/ किशोरियों पर किया गया था। चयनित उत्तरदाताओं के साथ वर्ष 2015-16 और 2018-19 में दो बार सर्वे किया गया और किशोरावस्था से वयस्क होने के दौरान उनकी प्रगति को ट्रैक किया गया। भारत की कुल किशोर आबादी का एक चौथाई से भी अधिक यानि 7.2 करोड़ किशोर/ किशोरियां केवल बिहार और उत्तर प्रदेश में रहते हैं। उदया के अध्ययन से यह बात स्पष्ट होती है कि इन दो प्रदेशों में किशोरों की पेशेवर आकांक्षाओं को तीव्रता से पूर्ण करने में अभी काफी कमियां है। यह अध्ययन उन कमियों, रुकावटों और अन्य कारणों को भी दर्शाता है जिनका सामना किशोर अपनी आकांक्षाओं को पूरा करने में करते है।

सामने आई जानकारी

अध्ययन से पता चलता है कि लड़के 16 वर्ष की उम्र में (10वीं कक्षा के बाद) जबकि लड़कियां 14 वर्ष (8वीं कक्षा के बाद) और16-17 वर्ष (10वीं कक्षा) की उम्र में स्कूल या कॉलेज से ड्रॉपआउट हो रही हैं। केवल 40 प्रतिशत लड़के/ लड़कियों ने ही 20 वर्ष की उम्र में स्कूल या कॉलेज जाना जारी रखा। लड़कियों के लिए पढ़ाई छोड़ने के मुख्य कारण पढ़ाई में असफलता और पढ़ाई का खर्च झेलने में असमर्थता थी, जबकि लड़कों ने असफलता या नौकरी मिल जाने के कारण पढ़ाई छोड़ी।

नहीं पूरी कर पाती पढ़ाई

वर्ष 2015-16 में 80 प्रतिशत लड़के व 89 प्रतिशत लड़कियों ने व्यावसायिक प्रशिक्षण कार्यक्रमों में भाग लेने की इच्छा रखी थी, पर इनमें से केवल 20 प्रतिशत लड़के और 22 प्रतिशत लड़कियां ही अपनी व्यावसायिक प्रशिक्षण सम्बन्धी जरूरतों को समझ सकी। राज्य कौशल विकास मिशन के व्यावसायिक प्रशिक्षण कार्यक्रमों के बारे में भी जागरूकता बहुत कम थी। केवल एक-चौथाई विवाहित किशोरियां अपनी पढ़ाई की इच्छा शादी के बाद पूरी कर सकती हैं जो आकांक्षाओं और उनको पूरा करने में कमियों को दर्शाता है। खासकर उन किशोरियों के लिए जिनका विवाह किशोरावस्था में ही हो जाता है।

दर्शाता है बड़ा अंतर

सर्वेक्षण के पहले चरण (वर्ष 2015-16) के दौरान 61 प्रतिशत युवा किशोर और 53 प्रतिशत युवा किशोरियां शिक्षक, डॉक्टर, इंजीनियर, वैज्ञानिक, वकील बनना या पुलिस या सशस्त्र बलों में शामिल होना चाहते थे, जबकि तीन साल बाद 50 प्रतिशत किशोर और 39 प्रतिशत किशोरियों ने ही इन क्षेत्रों में करियर बनाने की बात कही। कई किशोर/ किशोरियों ने खुद का व्यवसाय शुरू करने या प्लम्बर, इलेक्ट्रीशियन, ड्राइवर, दर्जी, और ब्यूटीशियन जैसी नौकरी करने में रूचि जाहिर की।

चौथाई लड़कियां समझतीं

55 प्रतिशत वयस्क किशोर और 48 प्रतिशत वयस्क किशोरियों ने यह करियर अपनाने की इच्छा जाहिर की, जबकि तीन साल बाद केवल 33 प्रतिशत लड़कों और 30 प्रतिशत लड़कियों ने यह इच्छा जाहिर की। सिर्फ एक चौथाई विवाहित लड़कियां अपनी शैक्षिक आकांक्षाओं को समझ पाती हैं, जिससे पता चलता है कि उनकी आकांक्षाओं की पूíत मे एक बहुत बड़े अंतर को दर्शाता है और यह उन किशोरियों के साथ और बड़ा हो जाता है जहां उनकी शादी किशोरावस्था मे हो गई हो।

नहीं थे जुड़े

अध्ययन में यह भी पाया गया कि वर्ष 2018-19 में दोनों राज्यों में 18-22 वर्ष के 11 प्रतिशत लड़के और 42 प्रतिशत लड़कियां शिक्षा, रोजगार या किसी व्यावसायिक प्रशिक्षण (एनईईटी) से नहीं जुड़ी थीं कुल युवा जनसंख्या के मुकाबले शिक्षा, रोजगार या प्रशिक्षण से नहीं जुड़े युवाओं की संख्या को सतत विकास लक्ष्य 8.6 की प्रगति के संकेतक के रूप में अपनाया गया।

कम करने का था लक्ष्य

वर्ष 2020 में विश्व स्तर पर यह दर 22.4 प्रतिशत थी, जबकि भारत में वर्ष 2018 में 30.4 प्रतिशत उच्चतम दर थी। यह वर्ष आíथक विकास और रोजगार से संबंधित एसडीजी लक्ष्य आठ को प्राप्त करने में बेहद महत्वपूर्ण है। लक्ष्य 8.6 के अनुसार वर्ष 2020 में किसी रोजगार, शिक्षा या प्रशिक्षण में शामिल न होने वाले युवाओं के प्रतिशत को कम करने का लक्ष्य रखा गया था। लक्ष्य 8.6 में वर्ष 2020 में युवा रोजगार के लिए एक वैश्विक रणनीति का विकास और संचालन करने का लक्ष्य रखा गया था ।

'उद्योगों के अनुरूप दिए जा रहे प्रशिक्षण'

कौशल विकास मिशन-उत्तर प्रदेश के मिशन निदेशक कुणाल सिल्कू का कहना है कि बेरोजगार युवक/युवतियों को मोटर वाहन, फैशन डिजाइनिंग समेत कई विधाओं में प्रशिक्षित किया जा रहा है। यह ऐसे क्षेत्र हैं जहां रोजगार की अपार संभावनाएं हैं। ऐसे में बीच में पढाई छोड़कर घर बैठे युवाओं को चाहिए कि वह इस योजना के तहत प्रशिक्षण प्राप्त कर रोजगार के बेहतर अवसर हासिल करें। इसी उद्देश्य से उद्योगों की मांग के अनुरूप विभिन्न रोजगारपरक व्यावसायिक ट्रेड्स में प्रदेश के युवाओं को प्रशिक्षण की सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है। मिशन द्वारा संचालित योजनाओं के अंतर्गत 14 से 35 आयुवर्ग के साधारण शिक्षित युवा भी अपनी रूचि के अनुसार नि:शुल्क प्रशिक्षण प्राप्त कर सकते हैं।