- रेलवे जीएम के आने से पहले एस्केलेटर हुआ था शुरू

- चार साल से ओपन एरिया में पड़ा होने से लगने से पहले हो गया था कबाड़

बरेली :

रेलवे जिस एस्केलेटर को चार साल में लगवा पाया वह चार दिन चलने के बाद ही खराब हो गया। करोड़ों की लागत का यह एस्केलेटर अब बस सीढि़यां बनकर रह गया है। चार साल तक खुला पड़ा रहने के कारण इसके पा‌र्ट्स पहले ही खराब हो चुके थे, लेकिन महाप्रबंधक को दिखाने के लिए इसे किसी तरह शुरू कर दिया गया था।

2016 में आया था एस्केलेटर

बरेली जंक्शन पर वर्ष 2016 में एस्केलेटर के पा‌र्ट्स आए। लेकिन इसे लगाया कहां जाएगा, इस पर राजनीति शुरू हो गई। जगह को लेकर चल रहे विवाद के बीच एस्केलेटर को टिकट घर प्रांगण में रखवा दिया गया। कई महीने टुकड़ों में रखा रहा एस्केलेटर वहां कबाड़ होने लगा। समाचारों की सुर्खियां बनीं तो अधिकारियों को भी इसका होश आया। एस्केलेटर पर तिरपाल डाला गया। लेकिन मौसम की मार और फिर इंसानी फितरत ने एस्केलेटर को कबाड़ बना ही दिया। करीब तीन साल पहले एस्केलेटर लगाने की जगह तय हो पाई। काम शुरू हुआ। एस्केलेटर इंस्टॉल किया गया। देखा, इसमें कई सीढि़यां टूट चुकी थीं। वहीं, कई वायर चूहे कुतर चुके थे। एस्केलेटर लगाने वाली कंपनी ने दोबारा मरम्मत का काम शुरू किया। महाप्रबंधक दौरे को लेकर काम ने तेजी पकड़ी। काफी जद्दोजहद के बाद एस्केलेटर दुरुस्त हुआ। करीब दो महीने पहले एस्केलेटर लग गया। 28 नवंबर को उत्तर रेलवे महाप्रबंधक दौरे पर पहुंचे तो एस्केलेटर शुरू हो चुका था। हालांकि कबाड़ हो चुके एस्केलेटर की लाइफ को लेकर पहले से ही संशय था। हुआ भी यही। चार दिन में ही एक्सेलेटर खराब हो गया।

डिस्प्ले में दिखा रहा एरर

एस्केलेटर में जगह-जगह कुछ छोटे डिस्प्ले बोर्ड लगे हैं। एक डिस्प्ले बोर्ड अंदर धंस गया है। इस पर इन्वर्टर एरर दिखा रहा है। वहीं, दूसरे पर मिडिल स्टॉप बटन दिखा रहा। नीचे की ओर लगे डिस्प्ले बोर्ड में फेस एरर दिखा रहा है।

चीजें दुरुस्त रखना हमारी भी जिम्मेदारी

धंसे डिस्प्ले बोर्ड से दिख रहा कि किसी ने इस पर जोर लगाया है। ऐसे में सरकारी मशीनरी को काम की जिम्मेदारी समझाकर इतिश्री करने वाले लोगों को भी समझना चाहिए कि चीजों को दुरुस्त रखने या खराब न करना भी हमारी ही जिम्मेदारी है।

एस्केलेटर खराब होने की बात पहले जानकारी में नहीं थी। सोमवार को इसे इंजीनिय¨रग विभाग से चेक कराएंगे। कोई दिक्कत होने की स्थिति में संबंधित कंपनी से बात कर इसे दुरुस्त कराया जाएगा।

- तरुण प्रकाश, डीआरएम, मुरादाबाद मंडल मुख्यालय