(बरेली ब्यूरो)। कमाई का झांसा देकर ठग ने नेटवर्क मार्केटिंग के जरिए सैकड़ों लोगों को ठग लिया। ठग ने इसके लिए बकायदा पीलीभीत बाईपास रोड एक ऑफिस ओपन किया था। जहां पर लोगों को कंपनी में प्रति व्यक्ति जोडऩे की फीस रखी और एक व्यक्ति को जोडऩे पर 400 रुपए कमीशन भी रखा। कंपनी ने इसके लिए जो लोग जोड़े थे उनसे पेपर देकर कैरी बैग बनवाता था और उसे मार्केट में बिक्री का भी झंासा दिया। थर्सडे सुबह को कर्मचारियों के मोबाइल पर मैसेज आया कि द ऑफिस इज क्लोज्ड। इसके बाद ऑफिस ओपन नहीं हुआ। फिर क्या था लोगों को अपने साथ हुई ठगी का अहसास हुआ तो विरोध शुरू हो गया। सैकड़ेों की संख्या में पहुंचे लोगों ने विरोध जताया। इस दौरान सूचना पाकर एसीएम फस्र्ट और बारादरी पुलिस मौके पर पहुंची और लोगों को समझाकर किसी तरह शांत कराया। पीडि़तों की तहरीर पर बारादरी पुलिस कंपनी के नाम से एफआईआर दर्ज करा दी है।

सेल्फ टेक जोन नाम से बनाई कंपनी
बारादरी क्षेत्र में ठग ने पीलीभीत बाईपास रोड पर सेल्फटेक जोन नाम की कंपनी ओपन की थी। थर्सडे सुबह करीब साढ़े नौ बजे पीलीभीत बाइपास रोड स्थित कंपनी सेल्फटेक जोन इंटरप्राइजेज के सामने भारी संख्या में भीड़ इकट्ठी हो गई और देखते ही देखते आक्रोशित भीड़ ने बिल्डिंग मेें पत्थरबाजी शुरू कर दी। जिससे बिल्डिंग में लगी कांच टूट गए। शाम को उग्र भीड ने कंपनी की ओर से दी गई सामग्री को हाइवे पर रखकर आग लगा दी। जिसके बाद पुलिस ने आग को बीच सडक़ से हटाकर किनारे किया। गुस्साई भीड़ ने कंपनी के सामने ही धरना देना शुरू कर दिया लेकिन पुलिस ने उन्हें रोक लिया। यहां पर शहर से दूर दूर से लोग आकर कैरी बैग पूरे दिन आते रहे।


पुलिस हुई एक्टिव
बारादरी पुलिस सूचना मिलने पर एक्टिव हो गई जिसके बाद भीड़ को हटाने के लिए पुलिस फोर्स को आने मैदान में आना पड़ा। पूरे दिन लोग बनाए गए कैरी बैग जमा करने के लिए आते रहे जिससे पुलिस को भीड़ कंट्रोल करने के लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ी। बाद में भीड़ बढ़ते देख एसीएम फस्र्ट को खुद मैदान में आना पड़ा और लोगों से घर जाने की अपील करनी पड़ी। भीड़ को कंपनी में घुसने से रोकने के साथ ही पुलिस को भीड़ द्वारा कंपनी द्वारा दी गई सामग्री में आग लगाने से भी रोका।


ऐसे देते थे लुभावने ऑफर
लोगों के मुताबिक कंपनी अखबार मेंंं पैैंपलेट लगाकर लोगों को आकर्षित करती थी। इसके साथ ही वहां की टेलीकॉलिंग टीम लोगों को कॉल करके ऑफर को लुभावने तरीके से बताते थे। लोगों को ज्यादा पैसे और कमीशन का लालच देकर कंपनी में जोड़ते थे। कंपनी के साथ ज्यादा लोग जुड़े इसके लिए पूरी टीम लगी रहती थी।

ये था कंपनी का ऑफर
लोगों के मुताबिक कंपनी लोगों का विश्वास जीतने के लिए बहुत ही प्लानिंग के साथ कार्य करती थी। पहले लोगे से 2500 रुपए लेकर उन्हें 3500 सामान देने का दावा करती थी। लेकिन जब कस्टमर 2500 रुपए क्यों देने हैैं इसके बारे में पूछता था। तब मालिक शानू कुमार कहता था कि अगर आप हमारा सामान लेकर चले गए तो हम क्या करेंगें। इसके बाद लोगों को 4 रुपए प्रति पेपर दिया जाता था। जिसमें कुल 3500 के सामान में 500अखबार, एक स्केल, पेन, गोंद का डिब्बा, दो ब्रश मिलते थे। इसके बाद वह कस्टमर से 25 दिन बाद इनके कैरी बैग बनाकर जमा करने को कहता था। लोगोंं को और जल्दी जोडऩे के लिए शानू पहली बार में पेमेंट दे देता था। जिससे कस्टमर का विश्वास बढ़ जाता था। फिर वह कस्टमर से एक बंदे को जोडऩे पर 400 रुपए कमीशन देने का लालच देता था। 4 रुपए प्रति बैग पर कस्टमर कम आने पर कंपनी ने प्रति बैग कीमत 10 रुपए कर दी। जिसके बाद से कस्टमर की संख्या में बहुत तेजी से बढ़त हुई। इसके साथ ही शानू ने 8 लोगों को जोडऩे पर 800 रुपए देने की स्कीम लागू कर दी। कस्टमर की संख्या को और बढ़ाने के लिए 10 वाले पेपर के 12 रुपए देने शुरू कर दिए। लेकिन कस्टमर की संख्या ज्यादा बढऩे के साथ ही 20 दिसंबर के बाद से पेपर की कीमत 7 रुपए कर दी गई। कंपनी के बोर्ड पर जीएसटी नं। एए 091121017363 क्यू व लेबर लाइसेंस नं। यूपीएसए 21711858 अंकित है।

इतनी बढ़ी थी इनकी टीम
कंपनी में करीब 40 से 48 लोग शामिल हैैं जो इसमें कार्य करते थे। जिसमें 4 लड़कियां टेलीकॉलिंग करती थीं। 10 से 12 लडक़े पैकिंग करते थे। 10 से 12 लोग सेल्स में थे। कंपनी के लिए वह दिल्ली से माल मंगाता था। लोगों को झांसा देने के लिए वह उनसे कहता था कि वह माल को दिल्ली, मुंबई के मॉल व ऑनलाइन साइट परं बेचता है। मालिक शानू सभी कर्मचारियों को महीने के 10 हजार रूपए देता था। शानू कस्टमर से कैनरा बैैंक के खाते में पेमेंट कराता था।

हमें तो कंसलटेंसी से रखा है
वही कुछ कर्मचारियों का कहना है कि हमें तो कंपनी में कंसलटेंसी के जारिये से रखा गया है। हमें कंपनी के मालिक के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है। ऑफिस बिल्डिंग के बाहर खड़े लोगों के मुताबिक कंपनी नबंवर में शुरू हुई थी।

कर्मचारियों का है यह कहना
एक कर्मचारी के अनुसार कंपनी का मालिक बिहार का निवासी शानू कुमार बताया जा रहा है। कंपनी के कर्मचारी की रात में मालिक से बात हुई थी। जिसमें वह कह रहा था कि दिल्ली से माल आ रहा है। बरेली में वह डीडीपुुरम में रहता था। कंपनी के कर्मचारी जब ऑफिस पहुंचे तब उनके फोन में शानू का मैसेज पड़ा था। जिसमें मालिक शानू कुमार ने &ऑफिस इज क्लोज्ड&य लिखा हुआ था। उसके बाद कंपनी के कर्मचारियों ने बार-बार फोन किया लेकिन शानू का फोन स्विच ऑफ आ रहा था। कर्मचारियों को भी लोगों को जोडऩे के लिए कमीशन दिया जाता था। इसी के जरिए कम समय में कंपनी के साथ ज्यादा लोग जुड़ जाते थे।

पीडि़तों में महिलाएं ज्यादा
पीडि़तों में सबसे ज्यादा संख्या घरेलू महिलाओं की है जो कि घर बैठे काम करने के ïअवसर तलाश रहीं थी। कुछ स्कूली स्टूडेंट्स और मजदूर वर्ग के लोग भी इस स्कीम का शिकार हुए हैैं। रिपोर्टर द्वारा महिलाओं से पूछने पर पता चला कि उन्होंने घर बैठे रोजगार मिलने की जानकारी होने पर इसमें रुपए दिए थे। इसके बाद और आसपास की महिलाओं से 2500 रुपए लेकर उन्हें जोड़ा। अब कंपनी बंद होने पर वो कै से रुपए चुकाएंगी। कुछ महिलाएं कंपनी भागने की जानकारी होने पर रोने लगीं।

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-पीडि़तों की तहरीर पर बारादरी थाना में केस दर्ज किया गया है। केस कंपनी के खिलाफ दर्ज किया गया है। पुलिस ने जांच शुरू कर दी है आरोपितों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
नीरज मलिक, एसएचओ बारादरी


पीडि़तों की बात
हमें हमारे बच्चों ने घर पर ही काम करने के लिए इस स्कीम के बारे में बताया था। हमने सोचा इसी से कुछ अर्थिक बोझ कम होगा लेकिन कंपनी भागने के बाद हम पर कर्ज हो गया है।
-दिनेश कुमार, जाटवपुरा

हमने इसके लिए अपना कीमती सामान गिरवी रखा था। और लोगों को भी इससे जोड़ था। कंपनी के भागने की जानकारी से आब बहुत बड़ी समस्या खड़ी हो गई है।
-ममता, कांधरपुर

ये जनता को लोग लुभावने ऑफर देकर फंसाते थे। हमनें भी पहली बार इसमें रुपए लगाए थे। हमने और लोगों को भी जोड़ लिया था। इससे करीब 2 हजार लोग प्रभावित होंगें।
-रवि


पहली पेटी जमा करने आई थी
लोगों से रुपए उधार लेकर दिन रात मेहनत करके कैरी बैग बनाए थे। साथ ही और महिलाओं से रुपए लेकर उन्हें जोड़ा था। अब कैसे लोगों के रुपए दूंगी।
-नीतू


मैैं सामने ही खोखा लगाता हूं सोचा कि घर बैठे काम मिल रहा है ठीक रहेगा। तीन लोगों को जोड़ था। अब उन लोगों का भुगतान कैसे करूंगा। 1 पेटी को 20 दिम में तैयार किया था
-रवि सिंह

हमने अखबार में रखा पैैंपलेट देखा था लेकिन हमें नहीं पता था कि यह इतना बढ़ा स्कैम है। इस कंपनी ने बहुत नुकसान कर दिया है।
-अनमोल