बरेली (ब्यूरो)। बरेली कॉलेज में स्पोर्ट फैसिलिटीज होने के बावजूद भी ठप पड़ी हुई हंै। चाहे वह स्विमिंग पूल हो या फिर जिम सबकी हालत खराब है। स्टूडेंट्स जो स्पोट्र्स के जरिए अपना कॅरियर बनाना चाहते हैैं, उन्हें बाहर का सहारा लेना पड़ रहा है।

अस्त-व्यस्त सिस्टम
कॉलेज का स्विमिंग पूल लगभग सात साल से बंद पड़ा हुआ है। देखरेख के अभाव में आज इसकी हालत अत्यंत दयनीय हो चुकी है। न यहां पर ट्रेनर है न ही अन्य व्यवस्थाएं। इसके अलावा स्विमिंग पूल की बिल्डिंग भी जर्जर हो गई है। ऐसे में प्लेयर्स के सपनों को पंख मिलने की संभावनाएं लगभग अस्त-व्यस्त नजर आ रही है। ऐसा ही कुछ हाल जिम और कोर्ट का भी है, जिसकी दीवारें टूट रही हैं। मशीनें भी खराब पड़ी हुई हैैं।

इंटरनेशनल लेवल पर हुआ था निर्माण
ब्रिटिश काल में बना बरेली कॉलेज सिटी का सबसे पुराना महाविद्यालय है। इसकी स्थापना 1837 में की गई थी। 1850 में इसे राजकीय विद्यालय का दर्जा दिया गया। कॉलेज में लोकल के अलावा आसपास की जगहों से स्टूडेंट्स पढऩे आ रहे हैैं। स्पोट्र्स को बढ़ावा देने के लिए लगभग 32 साल पहले महाविद्यालय में स्विमिंग पूल बनवाया गया था। इसमेंं हर फैसिलिटी दी गई थी, लेकिन देखरेख के अभाव में आज की तारीख में यह धूल फांकता नजर आ रहा है। पूल का निर्माण जिस मोटो के साथ करवाया गया था, उस हिसाब से इसकी देखभाल पर ध्यान ही नहीं दिया गया। जिसका नतीजा यह हुआ कि इसमें काई जमा हो गई है। पूल के अलावा चेंजिंग रूम, बाथ रूम, कॉरीडोर और छत की हालत भी खस्ता हो चुकी है। जगह-जगह से टाइल्स उखडने लगी हैं। झाडियां उग आई हैं और पुल को देखकर लग रहा है कि वह कूड़ा इकठठा करने वाली जगह बन गया है। इसके अलावा कहने को तो बड़ा सा स्पोट्र्स डिपार्टमेंट बना दिया है, लेकिन प्रशिक्षण के लिए ट्रेनर की व्यवस्था तक यहां पर नहीं है।

नहीं हुआ रेनोवेशन
पूल में सालों से ताला लटका हुआ है। न ही प्रिसिंपल और न ही स्पोर्ट डिपार्टमेंट के हेड को इसके बारें में पता है कि यह आखरी बार कब रेनोवेट हुआ था। पूल की इतनी जर्जर हालत कॉलेज प्रबंधन और मैनेजिंग टीम के किए हुए काम की पोल खोल रही है। कॉलेज में स्पोट्र्स एक्टिविटीज इस वक्त ठंडे बस्ते में पैक्ड हैं। हर साल दावे किए जाते हैं कि इस बार स्पोट्र्स फैसिलिटी को ठीक कर देंगे, लेकिन ये सब सिर्फ बातें बनकर ही रह जाती है।

जिम में जमी मोटी परत
कॉलेज का जिम भी लंबे समय से धूल फांक रहा है। इसे देखकर लगता है कि यहां पर सालों से किसी पंछी ने भी पर नहीं मारा है। जिम में धूल की मोटी-मोटी परत जमी हुई है। लाखों रुपए की लागत से लगाए गए उपकरण भी सिर्फ हवाओं से बातें कर रहे हैैं। इसमें कई ऐसी उपकरण ऐसे भी हैैं, जो बिल्कुल न चलने की वजह से खराब हो गए हैैं और जंक खा रहे हैं। जिम के अंदर बने कोर्ट की दीवारें भी छलनी हो गई हैं, जो बरसात आते ही टपकने लगती हैं। स्टूडेंट्स के अनुसार कॉलेज की आपसी कलह में स्टूडेंट का भविष्य अस्त-व्यस्त हो रखा है। स्पोट्र्स के नाम पर प्लेयर्स को कैसे न कैसे करके इकट्ठा कर लिया जाता है। कुछ स्टूडेंट्स का यहां तक कहना है कि वे कई बार संबंधित अधिकारियों से कह चुके हैं। इसके अलावा प्रिसिंपल से भी कह चुके हैैं पर आज तक कुछ नहीं हुआ।

हमारी तरफ से कमेटी को पत्र लिखा जा चुका है ताकि इसे दोबारा शुरू किया जा सके, लेकिन उनकी ओर से कोई निर्णय नहीं आया है। वैसे भी हमारे आने के सालों पहले से ही यह बंद पड़ा हुआ था।
-प्रो। ओम प्रकाश राय, प्रिंसिपल

हमारे स्तर से हर संभव प्रयास किया जाता है, लेकिन इसे कैसे और कब खोलना है, यह उच्च स्तर का मामला है। स्विमिंग पूल, जिम या अन्य कुछ भी, उसमें बहुत ही मरमत की जरूरत है।
-विवेक डागर, क्रीड़ा अधिकारी

स्पोट्र्स की हालत काफी खराब है। ऐसे में सिटी के यूथ स्पोट्र्स में कैसे भविष्य बना पाएंगे। स्विमिंग पूल यहां के स्टूडेंट्स के लिए बनाया गया है तो इसे क्यों नही शुरू करवाया जा रहा है।
- करन

स्टूडेंट्स के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। कॉलेज में स्पोर्ट एक्टिविटीज पूरी तरह ठप हैं। कॉलेज प्रशासन को इस पर सख्त निर्णय लेना चाहिए और स्पोर्ट फैसिलिटीज को दोबारा शुरू करना चाहिए।
- अमन सिंह तोमर