बरेली (ब्यूरो)।स्टूडेंट्स की समस्याओं को हल करने के लिए कॉलेज में कई सेल बनाए जाते हैैं, जिससे उन्हें कोई भी परेशानी का सामना न करना पड़े। ऐसा ही एक सेल गल्र्स की परेशानियों को हल करने के लिए बरेली कॉलेज में भी बनाया गया है। इसे वूमेन ग्रीवांस सेल कहा जाता है, लेकिन यह सेल सिर्फ नाम भर में ही सिमट कर रह गया है। अचरज की बात है कि कॉलेज में ऐसी भी कोई सेल है, इस बारे में यहां के स्टूडेंट्स को जानकारी ही नहीं है कि यह चल भी रही है या नहीं।

शिकायत करें तो कहां
दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की टीम ने जब स्टूडेंट्स से बात की तो स्टूडेंट्स ने कई अजब-गजब जवाब दिए। कुछ स्टूडेंट्स का कहना था कि ऐसा कुछ यहां पर है ही नहीं, लेकिन अगर आप कहे तो पूछ कर बता देंगे। वहीं कुछ ने कहा कि कभी इसके बारे में सुना ही नहीं है।

सालों से गायब है सेल
गल्र्स से बात करने पर पता चला कि उनमें से कुछ तो यहां सालों से पढ़ रही हैं, पर इस नाम का कोई सेल है इस विषय में पता ही नहीं है। वहीं सेल कोऑर्डिनेटर प्रो। शालिनी सिंह से बात करने पर पता चला कि यहां पर दो साल से वूमेन रिलेटिड कोई शिकायत है ही नहीं। स्टूडेंट्स का कहना था कि कॉलेज में अगर कहीं पर ग्रीवांस सेल है तो कम से कम कहीं लिखा तो होना चाहिए था जिससे उसके बारे में गल्र्स को पता चल सकता। हमें पता होगा, तब ही तो अपनी परेशानियां वहां रख पाएंगे।

क्या कर रहे काम
सेल कोऑर्डिनेटर प्रो। शालिनी सिंह का कहना है कि वह इसके लिए काम कर रही हैैं। उन्होंने कुछ कार्यक्रम भी करवाए हैं जैसे कि सैनिटरी पैड वितरण, अवेयरनेस प्रोग्राम आदि। गल्र्स का कहना है कि एमरजेंसी में पैड चाहिए भी हो तो बाहर जाना पड़ता है। यहां पर यह सवाल उठते हैं कि कॉलेज में सालों से एक सेल काम कर रहा है, पर इस सेल का काम कहां हो रहा है। यह पता ही नहीं चल रहा है।

कॉलेज में नहीं नामोनिशान
आश्चर्य की बात यह है कि कॉलेज की वेबसाइट पर भी इसके बारे में कोई अपडेट नहीं है। सेल का कोऑर्डिनेटर कौन है, गल्र्स सेफ्टी के लिए क्या काम हो रहे हैं, कौन से अवेयरनेस प्रोग्राम ऑर्गनाइज किए जा रहे हैंै। साइट पर इस बारे में कुछ भी मेंशन ही नहीं है। कॉलेज में हजारों की संख्या में स्टूडेंट्स पढ़ते है। उनमें से गल्र्स की संख्या सबसे अधिक है। स्टूडेंट्स का कहना है कि सेल को इसके बारेमें कुछ प्रचार-प्रसार तो करना ही चाहिए

क्या होता है ग्रीवांस सेल
1. ग्रीवांस सेल का काम किसी भी तरह के सेक्सुअल अथवा किसी अन्य प्रकार के हैरासमेंट से डील करने के लिए होता है। फिर चाहे वह स्टूडेंट हो या फिर कोई भी वर्किंग स्टाफ, हर किसी की मदद इस सेल द्वारा की जाएगी।
2. कोई समस्या होने पर यहां पर रिटर्न कंपलेंट करनी होती है।
3: कंपलेंट के आधार पर ही कमेटी बनाई जाती है।
4: यूजीसी ने महिलाओं और यौन उत्पीडऩ से संबंधित शिकायतों के पंजीकरण के लिए टोल फ्री नंबर 1800111656 स्थापित किया है।
5: कॉलेज और यूनिवर्सिटी को यौन उत्पीडऩ के केस पर इयरवाइज डेटा सबमिट करना होगा।

हम लोगों ने कुछ प्रोग्राम किए हैं और आगे चलकर कुछ काम और भी करेंगे। वहीं अभी यहां पर कोई इस तरह का संगीन केस नहीं आया है।
प्रो। ओपी राय, प्रिंसिपल

दो साल से यहां पर कोई केस नहीं आया है। इसके अलावा हम लोग धीरे-धीरे लोगों को इस बारे में अवेयर करेंगे ताकि उन्हें इसका लाभ मिल सके।
प्रो। शालिनी सिंह, सेल कोऑर्डिनेटर

इस बारे में तो हमने कुछ सुना ही नहीं है। यहां पर ग्रीवांस सेल नाम का कोई भी सेल नहीं बना है, इस बारे में हमें कुछ भी नहीं पता है।
तनुजा सिंह, स्टूडेंट

नहीं हम लोगों को इसके बारे में कुछ पता ही नहीं हैै। मुझे तो यहां पढ़ते हुए तीसरा साल हो गया है, पर इसके बारे में कभी भी नहीं सुना।
अनुष्का शर्मा, स्टूडेंट

वूमेन ग्रीवांस सेल यहां पर है इसके बारे में कोई जानकारी ही नहीं है, क्योंकि इसके बारे में कुछ अवेयरनेस प्रोग्राम चलाया ही नहीं जाता है।
सानिया पांडेय