बरेली (ब्यूरो)। गड्ढों भरी सडक़, दीवार में दरारें और टूटी हुई रेलिंग अब यह ही किला स्थित जर्जर ओवरब्रिज की पहचान बन गई है। दिल्ली-लखनऊ मार्ग पर शहर के बीचोंबीच बना किला पुल इतना खस्ताहाल है कि ओवरब्रिज के नीचे से ट्रेन व ऊपर से वाहन गुजरने के दौरान यह ब्रिज थरथराने लगता है। पुल के नीचे से ऊपर की ओर देखने पर पुल पर कई जगह गड्ढे दिखने लगे हैैं। इतनी खराब हालत में इस ब्रिज से गुजरने वाले वाहनों पर 24 घंटे खतरे का साया मंडराता रहता है। इसकी दीवारों में पेड़ उगने लगे हैैं, जिससे दीवार में दरारें आ चुकी है। मेंटेनेंस के अभाव में ब्रिज भीषण हादसे को दावत दे रहा है। गुजरात के मोरवी पुल हादसे के बाद भी किसी का ध्यान इस ओर नहीं है। ऐसी स्थिति में जिम्मेदारों की यह अनदेखी कभी भी बड़ी अनहोनी का कारण्ण बन सकती है।

भेजा गया था प्रस्ताव
सेतु निगम के डीपीएम बीके सेन ने बताया कि ओवरब्रिज की हालत को देखते हुए करीब पांच करोड़ का एस्टीमेट शासन के लिए भेजा गया था। बता दें कि प्रस्ताव भेजे हुए एक वर्ष से भी अधिक का समय हो चुका है, लेकिन अब तक जिम्मेदारों ने इस पुल की सुधि नहीं ली है। किला पुल करीब 47 वर्षों से अधिक पुराना हो चुका है। इसे 2020 में ही जर्जर घोषित किया जा चुका है। लखनऊ से आई ब्रिज इंस्पेक्शन यूनिट की टीम ने सेतु निगम के साथ मिलकर ब्रिज का इंस्पेक्शन किया था। साथ ही इंस्पेक्शन के बाद अधिकारियों ने कहा था कि यह खराब हालत में हैैं, इसे तत्काल मरम्मत की आवश्यकता है। इसके बावजूद दो साल बाद भी अब तक कोई कार्रवाई नहीं की जा सकी है। अनदेखी के चलते दिन प्रति दिन यह और भी खराब स्थिति में होता जा रहा है।

गुजरते हुए लगता है डर
शहर के इस खस्ताहाल ओवरब्रिज के ऊपर से रोजाना हजारों वाहन गुजरते हैैं। रोड पर गड्ढे होने के कारण ओवरब्रिज पर कई बार हादसे भी हो चुके हैैं। ट्यूजडे को जब दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की टीम ने किला ओवरब्रिज से गुजर रहे बाइक सवार नीतेश से बात की तो उन्होंने बताया कि वह लंबे समय से रोजाना इसी ओवरब्रिज से होकर ड्यूटी जाते हैैं। इतने खस्ताहाल पुल को देखकर कभी-कभी डर भी लगता है। यहां पुल पर लगी रेलिंग भी लंबे समय से टूटी हुई है। साथ ही बची हुई बाउंड्री में भी दरारें आ चुकी हैैं। यहां कभी भी गिर सकती है, इससे कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है।

ब्रिज के नीचे सजती हैं दुकानें
किला पुल के सिर्फ ऊपर ही नहीं बल्कि नीचे के मार्ग से भी रोजाना हजारों लोग गुजरते हैैं। साथ ही इस पुल के नीचे भी सैैंकड़ों लोग दुकान लगाते हैैं व कई लोग इसके नीचे रहकर ही गुजर-बसर करते हैैं। किला निवासी आजम बताते हैं कि जर्जर पुल के नीचे की सरिया तक दिखने लगी हैैं, साथ ही ऐसे में कभी भी गंभीर हादसा हो सकता है। जिम्मेदारों को इस ओर ध्यान देने की जरूरत है। पुल के नीचे हजारों लोग गुजरते हैैं तो सैैंकड़ों लोगों के घर पुल की छत के सहारे ही चल रहे हैैं। इसके साथ ही किला पुल से लगे छोटे पुल की हालत भी खराब होने लगी है, इसमें भी पेड़ों की जड़ें से दीवार में दरारें आ चुकी है।

लोगों की बात
यहां से गुजरने में डर लगता है। पुल के नीचे से भी प्लास्टर गिरने लगा है। कभी भी कोई हादसा हो सकता है। इसको लेकर जिम्मेदारों को समय रहते एक्शन लेने की जरूरत है।
-विक्की

पब्लिक की सेफ्टी को इस तरह से नकारा नहीं जा सकता है। पुल पूरी तरह से खराब हो चुका है। पुल की बाउंड्री, रेलिंग और दीवार सब खराब हो चुकी हैैं।
-अनुष