बरेली (ब्यूरो)। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी-कर्मचारियों की ओर से लगातार ठेके आवंटन को लेकर सवाल उठते रहे हैं। इस बार मामला लाख नहीं सवा तीन करोड़ रुपये का है। चहेती फर्म को टेंडर देने के नाम पर नया खेल कर दिया गया है। मामले की भनक उच्चाधिकारियों को तब लगी जब एक अन्य फर्म संचालक ने सीएमओ और डीएम को पत्र भेजकर शिकायत की। युवक ने बताया कि विभागीय अधिकारियों ने खेल पकड़ में न आ सके इसके लिए तीन अलग-अलग नाम की फर्मों को टेंडर कागजों में दिया गया है लेकिन मामले की पकड़ तब हुई जब तीनों ही फर्मों को जो फाइनल दस्तावेज दिया गया है इस पर एक ही मोबाइल नंबर लिखा हुआ है इससे सवाल उठना लाजमी है कि तीनों ही फर्में एक ही युवक की हैं।

क्या है पूरा मामला
मामला में खेल जब उजागर हुआ कि हाल ही में जगदीश ट्रैवेल्स एंड बमांग की है। उनका कहना है कि आरबीएसके के तहत स्वास्थ्य विभाग ने दो साल के लिए 30 गाडिय़ों की बिड निकाली थी। पहली बार बिड खुली तो जिस फर्म को पहले पास किया गया, बाद में उसे ठेका देने से ही विभाग ने इंकार कर दिया। दोबारा बिड हुई तो 11 ट्रैवल एजेंसी फर्मों ने आवेदन किया था। टेक्निकल कमेटी ने इसमें मीत सर्विस और स्मार्ट ट्रैवेल्स को पास किया और शेष को फेल कर दिया। इसमें मीत सर्विस का एल-1 रेट होने की वजह से उसे 2.13 करोड़ का ठेका दिया गया। दूसरी बिड 17 गाडिय़ों के लिए निकली जिसमें मीत सर्विस, स्मार्ट ट्रैवेल्स और गांधी सर्विस को पास किया गया। इस बार भी एल.1 रेट मीत सर्विस का निकला और 1.21 करोड़ का ठेका दे दिया गया। 3.34 करोड़ के इन ठेकों में जिन तीन फर्मों को पास किया गया है, तीनों के मोबाइल नंबर एक ही निकले हैं। शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया है कि तीनों फर्में एक ही आदमी की हैं। बिड के लिए तीनों फर्मों के जो दस्तावेज लगे हैं, उस पर गांधी ट्रेवेल्स और मीत सर्विसेज का पता, मेल आईडी तक एक ही है।

बिना आडिट दे दिया ठेका
शासन का निर्देश है कि 10 लाख से अधिक का ठेका देने से पहले कांकरेंट ऑडिटर से उसका परीक्षण कराया जाए। आडिटर रिपोर्ट में पास होने के बाद ही ठेका दिया जाए। शिकायतकर्ता का आरोप है कि दोनों ठेके बिना आडिटर की रिपोर्ट के दिए गए हैं। इससे आशंका है कि पूरे ठेके में कहीं न कहीं खेल हुआ है। गाडिय़ों के दोनों ठेके में जगदीश सिंह ने शिकायती पत्र में सवाल उठाया है कि जब दोनों बिड की नियम-शर्तें एक जैसी थीं तो गांधी ट्रैवेल्स को एक में फेल कैसे कर दिया गया। जबकि दूसरी बिड में उसे क्वालीफाई कराया गया था। उन्होंने बिड निरस्त करने और पूरे प्रकरण की जांच कराने की मांग की है।

अगर नियम विरुद्ध टेंडर किया गया है तो शिकायत के आधार पर मामले की जांच कराई जाएगी वहीं अनियमितता उजागर होने पर बिड कैंसिल कर दोबारा से टेंडर किए जाएंगे।
डॉ। बलवीर सिंह, सीएमओ