-जॉब साइट की शिकायत पर एफआईआर में कॉपी राइट एक्ट भी लगाया

-पुलिस गिरफ्त में आए मास्टरमाइंड ने उगले कई राज, एक को भेजा जेल

बरेली- बारादरी पुलिस की गिरफ्त में आए फर्जी कॉल सेंटर संचालक मास्टर माइंड समेत दोनों ठगों ने कई राज उगले हैं। नौकरी देने के नाम पर ठगी करने वाले जॉब साइट्स पर अप्लाई करने वाले बेरोजगारों का डाटा खरीदते थे। सिर्फ 5 हजार रुपए खर्च करने पर 15 हजार लोगों का डाटा मिल जाता था। इस डाटा के हिसाब से ही देश के दूसरे राज्यों से अप्लाई करने वालों को फोन कर ठगी का खेल शुरू हो जाता था। पुलिस ने काल सेंटर संचालक प्रशांत सिंह राघव निवासी पंवासा बहजोई संभल को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है और कृष्ण कांत गुप्ता निवासी संभल को गिरफ्तार कर लिया है और उसे थर्सडे को जेल भेजा जाएगा। वहीं इस मामले में सुधीर और सुमित की पुलिस तलाश कर रही है।

फर्जी आधार कार्ड भी बनाया

इंस्पेक्टर बारादरी शितांशु शर्मा ने बताया कि पूछताछ में ठगों ने बताया कि कृष्ण कांत गुप्ता मूल रूप से इस्लाम नगर बदायूं का रहने वाला है। उसने अपना फर्जी आधार कार्ड बनवा रखा है। जिसमें उसने अपने पिता का नाम राधेश्याम और पता सेंथल संभल दिखाया है, जबकि उसके पिता का नाम कालीचरण है.उसने नोएडा से बीसीए की पढ़ाई की है। पढ़ाई के दौरान वह दिल्ली के कॉल सेंटर में जॉब करता था। यहीं से उसने ठगी की ट्रेनिंग ली। वह वर्ष 2016 से काल सेंटर चला रहा है। वह पहले डीडीपुरम में अपना सेंटर चलाता था। वह अलग-अलग जगह बदलकर सेंटर चलाता था। प्रशांत राघव ने भी कृष्ण कांत से ट्रेनिंग ली थी और उसके बाद अपना सेंटर ओपन कर लिया था। लॉकडाउन में काल सेंटर बंद कर दिया था और उसके बाद से फिर से ठगी का धंधा शुरू कर दिया गया।

गूगल से सवाल करता सर्च

पूछताछ में दोनों ने बताया कि वह जरूरतमंद ग‌र्ल्स को अपने यहां जॉब पर रखता था और उन्हें फिक्स सैलरी के साथ इंसेंटिव देता था। ग‌र्ल्स सिर्फ दिए गए मोबाइल नंबर्स पर काल करती थीं। उसके बाद जॉब के लिए टेलीफोनिक इंटरव्यू कृष्ण कांत करता था। कृष्ण कांत ने एमसीए की पढ़ाई तो की है, इसके अलावा वह गूगल पर इंटरव्यू के सवालों को सर्च कर लेता था, जिससे नौकरी की तलाश करने वाले को लगता था कि उसका कोई अधिकारी ही इंटरव्यू ले रहा है।

एक लाख तक की ठगी

टेलीफोनिक इंटरव्यृ में वह पहले तो फेल कर देता था लेकिन बाद में पास होने के नाम पर अकाउंट में रकम डलवाता था। वह बातचीत से समझ जाते थे कि किसे जॉब की कितनी जरूरत है और कितने रुपए की ठगी की जा सकती है। वह 50 हजार से एक लाख रुपए तक ठग लेते थे। वह अकाउंट में रकम डलवाने के लिए उसी जगह की बैंक का आईएफएससी कोड देते थे, जहां की कंपनी का सेलेक्शन दिखाया जाता था। उसे पता था कि इलेक्ट्रानिक ट्रांसफर सिर्फ अकाउंट नंबर से होता है।

सुधीर ओपन करता था अकाउंट

जांच में आया कि कृष्ण कांत के दो अन्य साथी सुधीर और सुमित हैं। सुधीर ही अलग-अलग फर्जी बैंक अकाउंट ओपन करता था। वह ही फर्जी सिम निकालता था। इसके लिए वह सिम लेने वाले शख्स का मशीन में दो बार अंगूठा बहाने से लगवा लेता था और उसके नाम से दो सिम निकाल लेता था। वह एटीएम कार्ड देने कृष्ण को दे देता था लेकिन इसके बदले में 15 परसेंट कमीशन लेता था।

लखनऊ का धीरज इंटरव्यू का मास्टर

पुलिस पूछताछ में सामने आया कि कृष्ण कांत तो इंटरव्यू लेता ही था, साथ ही इंटरव्यू लेने का एक और मास्टर है, जो लखनऊ का रहने वाला धीरज है। कई मामले में कृष्णकांत धीरज को इंटरव्यू ट्रांसफर कर देता था। यदि वह अपने अकाउंट में रकम डलवाता था तो वह 30 परसेंट कमीशन लेता है और यदि कृष्ण के अकाउंट में ट्रांसफर कराता है तो 45 परसेंट कमीशन लेता है। फर्जी काल सेंटर चलाने वाले अधिकांश संचालक धीरज से ही संपर्क करते हैं। उनके करीब 40 अकाउंट सामने आए हैं।

15 दिन में बदल देते ईमेल

ठगों ने बताया कि वह कभी पकड़े न जाएं, इसके लिए 15 से 20 दिनों में ईमेल व फोन बंद कर देते थे। यही नहीं सिर्फ रुपए का रिकार्ड रखा जाता था, इसके अलावा जॉब साइट से चोरी कर निकालकर खरीदे गए रिकार्ड को जला देते थे। सुधीर सिम व रिकार्ड देने सप्ताह में बरेली भी आता था। पुलिस ने सबूत बनाने के लिए उनके ईमेल के पासवर्ड चेंज कर दिए हैं। दूसरे सेंटर से मिले 3 लैपटॉप भी जब्त किए गए हैं। पुलिस को कुछ व्हाट्सएप चेट भी हाथ लगी हैं, जिसमें एक चेट में कृष्ण कहता है कि लड़की के माता-पिता नहीं हैं तो इससे ठगी न की जाए तो धीरज कहता है कि ठगी की जाए और ठगी कर लेते हैं।