-दिन भर ओपन रहने वाले गांधी उद्यान को ओपन करने का नगर निगम ने जारी किया शेड्यूल

-पार्क दिन में बंद होने के चलते बच्चों को नहीं मिल पा रही एंट्री, दोपहर को ही आते हैं बच्चे

6-बजे से सुबह 10 बजे होता है ओपन

4-बजे से शाम आठ बजे तक होता है ओपन

7-सौ से करीब लोग आते हैं सुबह शाम को वॉक के लिए डेली

1-हजार से अधिक आते थे कोरोना काल से पहले टहलने वाले

बरेली: अगर आपको गांधी उद्यान में घूमने आना है या फिर बच्चों को घूमाने के लिए लाना है तो टाइम शेड्यूल देखकर ही आएं। क्योंकि पूरा दिन ओपन रहने वाला पार्क अब सिर्फ सुबह और शाम को ही ओपन रहता है। इसीलिए इस पार्क का जिन लोगों को शेड्यूल नहीं पता है वह घूमने के लिए खुद और बच्चों को लेकर तो पहुंच रहे हैं लेकिन पार्क का मेन गेट बंद होने से मायूस होकर वापस लौट रहे हैं। इससे पार्क में आने वालों को जहां परेशानी हो रही है तो वहीं बच्चों को भी पार्क में झूलों आदि का एंज्वॉय करने को नहीं मिल पा रहा है। हालांकि नगर निगम के जिम्मेदारों का कहना है कोरोना काल के बाद से यह नियम तय किया गया है।

बच्चों की पहली पंसद

शहर का मेन और सुरक्षित पार्क होने के चलते इस पार्क में दिन भर ग‌र्ल्स ब्वॉयज और फैमिली भी बच्चों के साथ यहां आती है। इस पार्क में बच्चों के लिए बापू बाल वाटिका भी बनी है। जिस कारण बच्चों के लिए इस पार्क का और महत्व बढ़ जाता है। अधिकांश बच्चे तो छुटटी वाले दिन सिर्फ बापू बाल वाटिका में ही एंज्वॉय करने के लिए ही आते हैं और झूलों आदि का एंज्वॉय करके चले जाते हैं.इतना ही नहीं फैमिली के साथ आने वालों को छुट्टी का एंज्वॉयमेंट भी हो जाता है। इस पार्क की बात करें तो आसपास अफसरों के ऑफिसेज भी है इसीलिए यहां पर आने वाली ग‌र्ल्स महिलाएं भी खुद को सिक्योर महसूस करती है। यही कारण है कि इस पार्क में आने वालों की संख्या अधिक है।

गेट से वापस हो रहे लोग

कोरोना काल में हुए लॉक डाउन में तो पार्क पूरी तरह से बंद था। बाद में ओपन तो हुआ पूरा दिन भी ओपन रहने लगा, इससे लोगों की भीड़ जुटनी शुरू हो गई। इसी को देखते हुए इस पार्क का सुबह और शाम को ओपन करने का शेड्यलू जारी कर दिया गया है। हालांकि जिन लोगों शेड्यूल नहीं पता है वह पार्क के मेन तक आ तो जाते हैं लेकिन यहां पर पार्क बंद होने से वापस लौटते हैं। जिससे वह शहर के आउटर से भी आने के बाद परेशान हो रहे हैं। पार्क में आने के बाद मायूस होकर वापस लौटने वाले आसपास ही नहीं तहसील क्षेत्र भी घूमने के लिए इस पार्क में आते हैं। पार्क में जिम्मेदारों की माने तो पूरा दिन पार्क ओपन रहने पर एक से डेढ़ हजार लोग डेली घूमने के लिए आ जाते थे लेकिन अब शेड्यूल से कमी आई है।

पार्क में बच्चे को घूमाने के लिए लाई थी लेकिन अब पार्क ही बंद है तो वापस जा रही हूं। पार्क पहले तो बंद नहीं होता था अब बताया कि पार्क सुबह शाम को ही ओपन होता है।

रमा, राम वाटिका

अपने ग्रुप के साथ पार्क में छुट्टी एंज्वॉय करने के लिए आई थी लेकिन पार्क ही बंद है। ऐसे में पार्क में एंट्री तक नहीं मिली है। बाहर से ही सेल्फी ली हम सभी ने, छुट्टी भी खराब हो गई।

शालिनी, कालीबाड़ी

पार्क बंद करने से क्या फायदा है। इस पार्क में तो आने वालों को तो शेडयूल का पता है नहीं इसीलिए लोग आ तो रहे हैं लेकिन यहां से वापस हो रहे हैं। परेशान हो रहे हैं।

आशुतोष, सुभाषनगर

आज छुट्टी थी इसीलिए सोचा चलो फैमिली के साथ आया था लेकिन अब पता चला कि पार्क ही बंद है। ऐसे में यहां पर आकर वापस जाना पड़ रहा है।

नेहा, सुभाषनगर