Perfect coaching की कमी

प्लेयर्स को एक बात और खल रही है, जो गेम में सबसे खास मानी जाती है। परफेक्ट कोचिंग और टेक्निक्स की कमी। शटलर्स ने बताया कि सिटी में कोचिंग इस लेवल की नहीं होती जो उन्हें हर टेक्निक्स के बारे में बारीकी से समझा सके। कौन सा शॉट कब मारना है और उस वक्त ग्रिप कैसी होनी चाहिए, कितनी ताकत लगानी चाहिए, सामने वाले प्लेयर का परसेप्शन, यह सब कोई इंटरनेशनल लेवल का बेहतर कोच ही समझा सकता है। इसके लिए टेक्नोलॉजी खास मददगार साबित होती है। टेक्नोलॉजी के जरिए एक कोच उनकी कमियों को बखूबी प्वॉइंट आउट कर सकता है। वहीं प्लेयर्स का यह भी मानना है कि सिटी में ऐसे कैंप की सख्त जरूरत है जहां पर टॉप रैकिंग वाले प्लयेर्स आएं और उनको गेम की बारीकियों के बारे में बताएं।

महंगा है ये game

यूं तो बैडमिंटन गेम के लिए और गेम्स के मुकाबले ज्यादा इक्विपमेंट्स की जरूरत नहीं होती लेकिन काफी मंहगा होने की वजह से यह एलीट क्लास का गेम माना जाता है। अच्छे रैकेट की शुरुआत 2,000 रुपए से होती है। 15,000 रुपए तक के रैकेट बेहतर माने जाते हैं। वहीं रेग्युलर प्रैक्टिस के लिए रैकेट में हर महीने वायर चेंज करने की वजह से

करीब 1,000 रुपए का खर्चा बैठ जाता है। इसके अलावा शटल कॉक का एक डिब्बा 800 से 1,000 रुपए तक आता है। महीने में करीब 5 शटल कॉक के डिब्बे खर्च हो जाते हैं। यह सभी खर्चे उभरते प्लेयर्स खुद ही उठाते हैं। किसी एसोसिएशन और गवर्नमेंट एजेंसी से मदद नहीं मिलती।