-मंडी में सब्जी की आवक कम होने से बढ़ रहे हैं रेट

-मनमाना रेट वसूल रहे फुटकर सब्जी विक्रेता

बरेली।

मौसम का बदला मिजाज बरेलियंस की परेशानी ही नहीं बल्कि टेंशन भी बढ़ा रहा है। बेमौसम बारिश से जहां वायरल डिजीज का खतरा बढ़ रहा है, वहीं इसका असर रोजमर्रा की जरूरत की चीजों पर भी पड़ रहा है। बारिश के चलते सब्जी की फसल को भी नुकसान हो रहा है और मंडी में सब्जी की आवक लगातार घट रही है। इससे सब्जी के रेट भी बढ़ रहे हैं। फुटकर सब्जी विक्रेता इस मौके को जमकर कैश कर रहे हैं। सब्जी के रेट बढ़ने से लोगों के किचेन का बजट भी गड़बड़ाने लगा है।

आलू 20 के पार

बीते सालों तक सीजन में आलू 8 से 10 रुपया प्रति किलो तक बिकता था। आलू की फसल की खोदाई जनवरी से शुरू हो जाती है और मार्च तक चलती है। इस सीजन में मंडियों में आलू की भारी आवक होने से रेट बहुत गिर जाते थे। इस बार बारिश के चलते आलू की खोदाई प्रभावित हो रही है और इससे मंडियों में आलू की आवक भी प्रभावित रही। इसके चलते आलू इस बार सीजन में ही 20 रुपया किलो बिक रहा है। थर्सडे और फ्राइडे को एक बार फिर बारिश हुई और सैटरडे को भी बारिश की संभावना बताई गई है। इससे आलू का रेट और भी बढ़ना तय है।

अन्य सब्जियों के रेट भी बढ़े

बारिश का असर आलू ही नहीं बल्कि दूसरी सब्जियों पर भी पड़ रहा है। बारिश और ओलावृष्टि से मौसमी सब्जियों की फसल को भारी नुकसान हो रहा है। इससे हरी सब्जियों के दाम भी सीजन में आसमान पर हैं। 5 से 10 रुपया किलो तक बिकने वाली पत्तेदार सब्जियां भी 30 से 40 रुपया किलो तक बिक रहीं हैं।

फुटकर विक्रेताओं की चांदी

बेमौसम बारिश से भले ही सब्जी उत्पादक किसानों को नुकसान उठाना पड़ रहा हो, पर बेचने वालों के लिए यह भी फायदे का सौदा है। मंडी में थोक विक्रेता सब्जी के आवक के अनुसार ही रोज के रेट तय करते हैं। इससे सब्जी के रेट में लगातार अंतर बना रहता है। आवक कम होने से थोक विक्रेता तो सब्जी के रेट में मामूली इजाफा करते हैं, लेकिन फुटकर विक्रेता मनमाने रेट पर सब्जी बेचते हैं।

सब्जी के फुटकर रेट में अंतर

सब्जी : पहले : अब

आलू : 16 : 20 से 22

प्याज : 30 : 35 से 40

टमाटर : 20 : 30 से 35

मटर : 30 : 35 से 40

गोभी : 25 : 35 से 40

भिंडी : 40 : 50 से 60

मेथी : 20 : 30 से 35

पालक : 20 : 30 से 35

वर्जन

इस बार सीजन में भी सब्जी के रेट आसमान पर हैं। इसका असर किचन के बजट पर पड़ रहा है। सब्जी में भी कटौती करनी पड़ी रही है। आलू के रेट अधिक होने से इस बार घरों में चिप्स, पापड़ भी पहले से कम बने हैं।

रेखा

बारिश से अन्य फसलों की तरह ही सब्जी की फसल भी खराब हो जाती है। इसका ही असर है कि सीजन में भी इस बार सब्जी के रेट ज्यादा हैं। ऐसे में फुटकर विक्रेता सब्जी के रेट और भी बढ़ा देते हैं।

नवनीत