बरेली (क्रान्ति शेखर &सारंग&य)। रोडवेज बसों में न तो पैसेंजर्स की जान की कोई कीमत है, न ही उन का कोई सम्मान। ऐसे कई मामले आए दिन सामने आते रहते हैं। कई बार इन बसों के चालक यात्रा के दौरान देर तक मोबाइल कान पर लगाए हुए एक हाथ से स्टेयरिंग संभाले बस को ड्राइव करते रहते हैं। यहां तक कि पैसेंजर्स के टोकने का भी उन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता। हद तो यह है कि कंप्लेंट्स के बाद भी ऐसे ड्राइवर्स पर कड़ी कार्रवाई नहीं की जाती। निगम ने बस में बैठे तमाम पैसेंजर्स की जान की कीमत मात्र 5000 रुपये निर्धारित की है। जी हां यदि कोई व्यक्ति ऐसे किसी ड्राइवर की वीडियो आदि के माध्यम से अधिकारियों से कंप्लेंट करता है तो उस ड्राइवर पर पहली बार 5000 रुपये का अर्थदंड डाल कर फॉर्मेलिटी पूरी कर दी जाती है। दूसरी बार गलती को रिपीट करता है तब जा कर उसे बाहर का रास्ता दिखाया जाता है। आश्चर्य की बात यह है कि हापुड़ डिपो के एआरएम को इस प्रावधान की भी जानकारी नहीं है।

भटक जाता है ध्यान
चालकों की लापरवाही से ज्यादातर बसें दुर्घटनाग्रस्त होती हैं। नींद पूरी न होने पर चालक को झपकी आना, दूसरे से बात करना, सामने नहीं देखना, बसों के बारे में जानकारी का अभाव आदि हादसों के कारण हैं। उससे कहीं ज्यादा खतरनाक है बस चालकों का मोबाइल पर बात करना। तेज रफ्तार में बस चलने के दौरान अचानक मोबाइल पर रिंग आने पर चालक का ध्यान भटक जाता है। यदि उसने पैंट में मोबाइल रखा है तो उसे निकालने में परेशानी होती है। मोबाइल पर बात के दौरान चालक का ध्यान रोड पर न होकर बात करने वाले पर केंद्रित होता है। शासनादेश है कि स्टेयरिंग पकडऩे के साथ ही चालक अपना मोबाइल कंडक्टर को दे देंगे। कॉल आने पर कंडक्टर मोबाइल उठाएगा व रास्ते में बस के कहीं रुकने पर चालक को बताएगा। तब अगर चालक जरूरत समझेगा तो उस नंबर पर बात करेगा, लेकिन ऐसा नहीं हो रहा।

हापुड़ डिपो की बस में लापरवाही
सेटर्डे को हापुड़ डिपो की बस में चालक की ऐसी ही लापरवाही सामने आई। हुआ यों कि रामपुर से बरेली के लिए हापुड़ डिपो की बस संख्या यूपी-78-एफटी- 8635 में पैसेंजर्स सवार हुए। बस रामपुर से निकलने के बाद मिलक स्टॉपेज तक पहुंची ही थी कि अचानक चालक के मोबाइल फोन पर कॉल आ गई। उस ने कॉल को रिसीव किया और फिर स्टार्ट हुआ उस का नॉन स्टॉप कॉलिंग का सिलसिला। वह दाएं हात्थ में मोबाइल फोन थामे कान पर लगा कर लगातार बात करता जा रहा था। इस दौरान एक हाथ से ड्राइविंग करते हुए उसे बस में बैठे पैसेंजर्स की जान की जरा भी परवाह नजर नहीं आ रही थी।

यात्रियों ने कई बार टोका
कुछ देर तक तो उसे बात करते हुए किसी ने नहीं टोका, लेकिन जब कॉल टाइमिंग लंबी होने लगी तो पैसेंजर्स को चिंता होने लगी। यह ही वह समय था जब कई बार चालक के हाथ और दिमाग बहके भी और बस किसी न किसी वाहन से टकराते-टकराते बची। यह देख पैसेंजर्स आक्रोशित होने लगे। बस में से विरोध के स्वर मुखर होने लगे। लोग पीछे से ड्राइवर को फोन रख देने के लिए आवाजें लगाने लगे, लेकिन वह कॉल करने में इतन व्यस्त था कि या तो उसे किसी की आवाज सुनाई नहीं दी या फिर वह जानबूझ कर उन्हें नजर अंदाज करता जा रहा था। अचानक ड्राइवर के पास की ही सीट पर बैठे दो लोगों ने उठ कर तेज आवाज में उस से इस को ले कर विरोध जताया और बस रोक देने के लिए कहा। उस के बाद भी उस ने न तो बस रोकी, न ही बात करना बंद किया। लगभग पांच मिनट बाद जब उस का स्वयं का ही मन हुआ तब उस ने कॉल डिस्कनेक्ट की।

बेपरवाह हैं ड्राइवर्स
डिपो के एआरएम संदी नायक के अनुसार हापुड़ डिपो में 97 बसें थीं, जिनमें से चार को कंडम हो जाने के कारण ऑक्शन के लिए अलग कर दिया गया है। वर्तमान में 93 बसें विभिन्न रूट्स पर संचालित हैं। नेशनल हाईवे वर इस डिपो की 30 से अधिक बस चल रही हैं। इन में 15 बस दिल्ली से बरेली के लिए संचालित की जाती हैं, जबकि शेष बसें अन्य रूट्स पर चलाई जा रही हैं। डिपो की बसों में कई बार ड्राइवर ऐसी हरकतें करते हुए नजर आते हैं। निगम की ओर से कोई ठोस कार्रवाई न होने के कारण ड्राइवर्स के हौसले बुलंद हैं और वे बेपरवाह हो कर पैसेंजर्स की जान को दांव पर लगाए हुए हैं।

एआरएम को नहीं सही जानकारी
आश्चर्य की बात यह है कि हापुड़ डिपो के एआरएम को इस संबंध में प्रावधान की भी जानकारी नहीं है। उनसे बात करने पर उन्होंने बताया कि पहली बात कंप्लेंट मिलने पर पांच सौ रुपये कटौती की जाती है, दूसरी बार में इसमें कुछ वृद्धि कर दी जाती है। अगर तीसरी बार भी वह ऐसा करते पकड़ा जाता है तो उसे नौकरीे से बाहर का रास्ता दिखाया जाता है।

बोले अधिकारी
चलती बस में ड्राइवर का बात करना पूरी तरह गलत है। अगर कोई ऐसा करता है तो पहली बार में उस पर 5000 हजार रुपये का अर्थदंड डाला जाता है तथा दूसरी बार पकड़े जाने पर बाहर का रास्ता दिखा दिया जाता है।
-दीपक चौधरी, आरएम