-डेंगू व मलेरिया से बचाव को लेकर सरकारी संस्थाओं में ही अवेयरनेस का अभाव

बरेली। मौसमी बुखार तेजी से पैर पसार रहा है। प्रदेश के कई जिलों में तो यह बुखार कहर बनकर टूट भी रहा है। इससे मलेरिया और डेंगू जैसी बड़ी आफत का खतरा भी हर दिन बढ़ रहा है। बरेली में भी बुखार पीडि़तों की संख्या हर दिन बढ़ रही है। अगर सावधानी नहीं बरती गई तो यहां भी मलेरिया व डेंगू बड़ी मुसीबत बन सकता है। इस मुसीबत से बचने के लिए अवेयरनेस जरूरी है, लेकिन यहां सरकारी संस्थानों में ही अवेयरनेस का घोर अभाव दिखाई दे रहा है। संडे को दैनिक जागरण आईनेक्स्ट की टीम की पड़ताल में शहर के सरकारी संस्थानों में कुछ इस तरह की लापरवाही उजागर हुई।

रेलवे जंक्शन के सूरतेहाल

मौसमी बुखार के साथ ही मलेरिया व डेंगू के पैर पसारने की मुख्य वजह प्रदूषित पेयजल, गंदगी और जलजमाव है। इस आफत से बचाव के लिए अवेयरनेस ही सबसे कारगर उपाय है, लेकिन रेलवे जंक्शन में जिम्मेदार इससे कोई वास्ता नहीं रखते हैं। यहां प्लेटफार्म के टॉयलेट की छत पर रखे वाटर टैंक का ढक्कन कई महीनों से गायब है। इस टैंक में कभी बंदर डुबकी लगाते हैं तो कभी वह इस टैंक से अपनी प्यास बुझाते हैं। इसके अलावा प्लेटफार्म से लगे आवासों के छत पर रखे वाटर टैंक भी खुले हैं। अनदेखी के चलते इन टैंकों में मच्छर भी पनप सकते हैं और इनका प्रदूषित पानी यूज करने वाले बीमार भी पड़ सकते हैं।

रोडवेज बस स्टेशन में भी गंदा पानी

जंक्शन की तरह ही पुराना बस स्टेशन में भी पैसेंजर्स प्रदूषित पानी से बीमार पड़ सकते हैं। यहां भी पब्लिक टॉयलेट की छत पर रखा वाटर टैंक बंदरों की मस्ती की ठिकाना बना हुआ है। छत पर रखे तीन टैंकों में से एक टैंक का ढक्कन महीनों से गायब है। इस टैंक में दिनभर बंदर डुबकी लगाते हैं। टैंक का यही गंदा पानी टॉयलेट यूज करने वाले पैसेंजर्स इस्तेमाल करते हैं। रोडवेज के अधिकारी और कर्मचारी भी इससे अंजान नहीं हैं। उन्हें पैसेंजर्स की सेहत से कोई वास्ता नहीं रहता है।

कलक्ट्रेट: चिराग तले अधेरा

मलेरिया व डेंगू से बचाव के लिए शासन से प्रशासन तक की ओर अवेयरनेस कैंपेन चलाया जाता है। इस कैंपेन के जरिए लोगों को बताया जाता है कि वह अपने घरों के आस-पास मच्छरों को न पनपने दें। घरों और सरकारी कार्यालयों में लगे कूलरों में डेंगू मच्छर के पनपने की सबसे अधिक आशंका रहती है। बरसात में कूलर का इस्तेमाल कम होने से यह आशंका और भी बढ़ जाती है। इससे बचने के लिए कूलर की नियमित सफाई जरूरी है, पर कलक्ट्रेट के एफएसडीए ऑफिस की खिडकियों में लगे इन कूलरों की स्थिति से यहां अवेयरनेस की स्थिति साफ हो जाती है। अनदेखी के चलते पानी से भरे इन कूलरों में पौधे तक उग आए हैं।

नगर निगम में भी घोर लापरवाही

मौसमी बुखार के साथ ही मलेरिया का खतरा शहर में भी तेजी से बढ़ रहा है। डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल की ओपीडी से लेकर वार्डो तक में हर दिन बढ़ रहे बुखार पीडि़त मरीजों की संख्या से इस खतरे की पुष्टि भी हो रही है। बरेलियंस को इस इस खतरे से बचाने में नगर निगम और हेल्थ डिपार्टमेंट की सबसे बड़ी भूमिका है। मच्छरों की नर्सरी को खत्म करना और इसके लिए लोगों को अवेयर भी करना, इन दोनों डिपार्टमेंट्स की जिम्मेदारी है। नगर निगम इसके लिए कितना अवेयर और अलर्ट है, यहां निगम आफिस की स्थिति से समझा जा सकता है। यहां मुख्य आफिस की छत पर ही पुराने कूलरों का कबाड़ जमा है। इसके अलावा खिड़कियों में रखे गए कूलरों में भी पानी जमा है। यहां एक ऑफिस की खिड़की पर रखे यूजलेस कूलर में पानी भरा हुआ दिखा। ऐसी लापरवाही से नगर निगम आफिस में भी डेंगू के मच्छर पैदा हो सकते हैं और इनके डंक से यहां के कर्मचारी भी मुसीबत में पड़ सकते हैं।