बरेली (ब्यूरो)। साइबर ठगी के केस बढ़ते जा रहे हैं। लेकिन, बहुत कम मामले ऐसे होते हैं, जिनमें पीडि़त को ठगी गई रकम वापस मिल पाती है। कारण यह कि ट्रेस करने पर साइबर ठगों के अधिकांश नंबर और एकाउंट विदेशी निकलते हैं। ठग देश के ही हों तो कार्रवाई करते हुए पीडि़त की राशि वापस करा दी जाती है। लेकिन, विदेशी होने अथवा देश में कहीं बहुत दूर होने की स्थिति में साइबर सेल भी ठग को अरेस्ट नहीं कर पाती। पुलिस का कहना है कि अपराधी को ट्रेस तो कर लिया जाता है। लेकिन, उसे अरेस्ट करने में काफी खर्च आता है, जो ठगी की रकम से कई गुना ज्यादा होता है। ऐसे में उस तक पहुंच पाना असंभव हो जाता है।

पीडि़त काटते हैं चक्कर
बरेली में हर माह 50 से ज्यादा मामले साइबर ठगी के सामने आते हैं। साइबर ठग किसी को लॉटरी तो किसी को किसी अन्य प्रकार का लिंक भेजकर ठगी का शिकार बना लेते है। अब तो साइबर ठगों ने नए-नए तरीके खोज निकाले हैं। वे आपकी कॉन्टेक्ट लिस्ट को हैक कर आपके परिचितों को कॉल कर लोन लेने की बात कहकर अभद्रता करेंगे। साथ ही आपको को भी कॉल और व्हाट्सएप पर मैसेज करेंगे। चैट के दौरान साइबर ठग बड़ी चतुराई के साथ आपको एक लिंक भेजेंगे। जैसे ही आप लिंक पर क्लिक करेंगे, आपके खाते से रकम कट जाएगी। हाल ही में कोरोना बूस्टर डोज के नाम पर ठगी करने के मामले सामने आए हैं।

15 दिन बीते नहीं हुई कार्रवाई
16 जुलाई को बरेली के निजी संस्थान में कार्यरत अमरोहा निवासी रोहित सिंह के व्हाट्सएप पर लोन को री-पेमेंट करने का मैसेज आया। इसके बाद साइबर ठग ने युवक की कांटेक्ट लिस्ट हैक कर उसके परिचितों के साथ अभद्रता की। बाद में एक लिंक भेजा, जिस पर क्लिक करते ही उसके एकाउंट से 1815 रुपए कट गए। पीडि़त ने साइबर सेल में साइबर ठगों के खिलाफ तहरीर दी। साइबर सेल के अधिकारियों ने मोबाइल नंबर ट्रेस किए तो एक नंबर महाराष्ट्र की आईडी तो दूसरा गोरखपुर की आईडी पर निकला। 15 दिन बीत चुके हैं। लेकिन, कोई भी कार्रवाई नहीं हुई है।

बड़े चालाक हैं साइबर ठग
साइबर ठग लोगों के साथ ठगी भी बड़ी ही चालाकी के साथ करने लगे हैं, ताकि पकड़ में आने के बाद भी पुलिस उन्हें अरेस्ट न कर सके। ये अपराधी कम रकम की ठगी करते हैं। क्योंकि 10 हजार रुपए से कम ठगी होने पर साइबर सेल यदि उन्हें ट्रेस भी कर ले तो गिरफ्तार करने का प्रयास नहीं करती। क्योंकि जिस देश या राज्य में बैठकर वे ठगी करते हैं, उन्हें अरेस्ट करने में पुलिस को समय तो लगता ही है। साथ ही खर्च भी काफी आता है। ठगी की रकम कम होती है और ठग को पकडऩे में खर्च उससे कई गुना अधिक आता है। इसका लाभ लेकर वे आसानी से बच जाते हैं।

फैक्ट एंड फिगर
50 से ज्यादा मामले आते हैं प्रति माह
10 हजार रुपए से कम की ठगी कर रहे ठग
16 जुलाई को बरेली में रह रहे अमरोहा के युवक को बनाया शिकार
15 दिन हुए कंप्लेंट को, नहीं हुई कोई भी कार्रवाई

वर्जन
साइबर पोर्टल पर पकड़े गए साइबर ठगों की कुंडली खंगालकर कार्रवाई की जाती है। जो साइबर ठग विदेश के होते हैं, उन्हें गिरफ्तार करने में काफी दिक्कतें सामने आती हैं। इसके अलावा उन तक पहुंचने में खर्च भी बहुत अधिक आता है। ऐसे में उन तक पहुंच पाना मुश्किल होता है।
श्याम सिंह यादव, साइबर सेल प्रभारी