गोरखपुर (ब्यूरो)।इसके साथ ही 100 बेड वाले अस्पताल में उन्हें एडमिट भी किया जा सकेगा। जो गंभीर बीमारी से जूझ रहे हों, उन्हें लखनऊ, वाराणसी, दिल्ली जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। दरअसल, ईएसआईसी का सौ बेड का अस्पताल खुलने का रास्ता साफ हो गया है। अभी तक यहां के इंप्लाइज को इलाज के लिए लखनऊ, वाराणसी, कानपुर या गाजियाबाद जाना पड़ता था। लेकिन अब इलाज व मेजर और माइनर ऑपरेशन की बेहतर सुविधा उपलब्ध हो सकेगी। यहां जिला अस्पताल परिसर में एक भवन में ईएसआईसी का अस्पताल चलता है। एक डॉक्टर व स्टाफ तैनात है। सामान्य बीमारियों का इलाज किया जाता है। गंभीर मरीजों का इलाज इनपैनल्ड आर्यन हास्पिटल में कराया जाता है, लेकिन खुद का 100 बेड के हास्पिटल बन जाने से वहां इलाज हो सकेगा। सरदार नगर, खलीलाबाद, महावीर जूट मिल, सहजनवां में ईएसआईसी डिस्पेंसरी बनाई गई है।

जमीन मिलते ही होगा निर्माण

ईएसआई आफिस के सामाजिक सुरक्षा अधिकारी चंदन सिंह ने बताया कि ईएसआईसी के 100 बेड वाले हास्पिटल के बनाए जाने की प्रक्रिया फाइनल स्टेज में हैै। गीडा में 100 बेड का हास्पिटल बनाए जाने का प्रस्ताव के अप्रूवल के लिए कानपुर स्थित रीजनल आफिस भेजा गया है। हरी झंडी मिलने के बाद आगे की प्रक्रिया प्रारंभ हो जाएगी। जमीन मिलने के साथ निर्माण शुरू हो जाएगा। जिला अस्पताल स्थित ईएसआईसी हास्पिटल में गाजियाबाद से आए नवागत डॉक्टर अनिल कुश ने ओपीडी शुरू कर दी है।

ईएसआईसी की सुविधाएं

वर्ष 2017-18 में जिले में ईएसआईसी के 50 बेड अस्पताल का प्रस्ताव पास हो चुका था, लेकिन निर्माण नहीं हो सका। अब उसकी जगह 100 बेड का अस्पताल बनेगा। सामाजिक सुरक्षा अधिकारी चंदन सिंह ने बताया कि किसी भी कर्मचारी के बीमार पडऩे पर उसे 70 प्रतिशत सैलरी ईएसआईसी की तरफ से दी जाएगी। अगर गंभीर अवस्था में है तो उसे 90 प्रतिशत तक की सैलरी दी जाएगी। इसके साथ ही जो महिला गर्भवती है, उसे भी 6 महीने की मैटरनिटी लीव के साथ-साथ 60 महीने की सेलरी दी जाएगी।

नए हास्पिटल में यह सुविधा

100 बेड के नए हास्पिटल में फिजिशियन, स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ, आंख, नाक-कान-गला, दांत, गैस्ट्रो, हृदय, न्यूरो व यूरो के विशेषज्ञ डाक्टर तैनात किए जाएंगे। मॉर्डन टेक्नोलाजी से लैस हास्पिटल में ऑपरेशन थियेटर बनेगा। सदस्य कर्मचारियों का इलाज व ऑपरेशन पूरी तरह फ्री ऑफ कास्ट होगा।