गोरखपुर (ब्यूरो)। इसके बाद जालसाज ने उन्हें दिल्ली स्थित भारतीय खाद्य निगम में लिपिक के पद का फर्जी ज्वॉइनिंग लेटर थमा दिया। मोहित जब नौकरी ज्वाइन करने पहुंचा तब पता चला कि उसके साथ फर्जीवाड़ा हुआ है। उसने पैसे की मांग की तो दोनों भाइयों ने चेक दिया, लेकिन वह भी बाउंस हो गया। कैंट पुलिस ने मोहित की तहरीर पर दोनों भाइयों के खिलाफ कूटरचित जालसाजी का केस दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
ममेरे भाई के जरिए हुई थी पहचान
मोहित कुमार जालान ने पुलिस को दी गई तहरीर में बताया, वो अक्टूबर 2023 में कुछ जरूरी काम से वह अपने ननिहाल नगर पंचायत मुण्डेरा बाजार गया था। मामा के लड़के पियूष खेतान से वहीं के निवासी मदन मोहन मल्ल की जान पहचान थी। वहीं पर मदन से उसकी मुलाकात हुई। उसने बताया कि मैं और भाई सुनील मल्ल का अक्सर गोरखपुर आना-जाना रहता है, गोरखपुर आने पर हमलोग आपसे मिलेंगे।
रिश्तेदारों से उधार लेकर दिए रुपए
करीब 2 दिन बाद दोनों भाई अचानक मेरे घर पहुंच गए। खाद्य निगम में सहायक लिपिक पद पर नौकरी दिलाने का झांसा दिया। उन्होंने साढ़े 17 लाख रुपए में नौकरी दिलाने की बात कही। दोनों भाइयों ने बताया कि पैसे का जैसे ही इंतजाम होता है, उसके एक सप्ताह के अंदर नौकरी मिल जाएगी। जाल में फंसे मोहित ने अपने मामा के लड़के पियूष खेतान और अन्य से उधार लेकर 17.50 लाख रुपये अक्टूबर 2023 के अन्तिम दिन मदन और सुनील को दे दिया।
रुपए वापस मांगने पर थमा दिया फर्जी चेक
उन्होंने 5 नवम्बर को मोहित के घर पहुंच कर भारतीय खाद्य निगम का नियुक्ति पत्र दिया। जिसमें ज्वाइनिंग डेट 10 नवंबर 2023 अंकित था। अपने ममेरे भाई के साथ उनकी गाड़ी से नौकरी ज्वाइन करने जनकपुर, नई दिल्ली के पते पर पहुंचा तो वहां पता चला कि नियुक्ति पत्र फर्जी और कूटरचित है। वहां से लौटने के एक महीने बाद जब दोनों भाइयों से मुलाकात हुई और पैसा लौटाने की बात कहने पर उन्होंने बैंक ऑफ बड़ौदा का 22 दिसम्बर 2023 की डेट का चेक दिया। चेक खाते में लगाने पर पता चला कि सिर्फ 2125 रुपये ही खाते में है। चौरीचौरा स्थित छबैला गांव में उनके मूल पते पर पहुंचा तो वे नहीं मिले। उनके घरवालों ने भी कुछ नहीं बताया।