- 26 हजार कंज्यूमर्स पर लगभग सौ करोड़ का बकाया

- पावर कॉरपोरेशन ने सख्ती बरतते हुए निजी एजेंसी को दिया था ठेका, एजेंसी को मिलना था वसूली का चार परसेंट

- शहर में लेजर डाटा के मुताबिक 2.22 लाख कनेक्शन जबकि बिलिंग डाटा 1.90 लाख

GORAKHPUR: शहर में डिफॉल्टर 26 हजार बिजली कंज्यूमर्स को तलाश करने में बिजली विभाग के बाउंसर्स भी नाकाम हो गए हैं। इन कंज्यूमर्स की तलाश वर्ष 2012 से ही की जा रही है लेकिन उनका पता ऐसा लिखा है कि कोई जानकारी नहीं मिल पा रही। बता दें, पूर्वाचल वितरण निगम के निर्देश पर विद्युत नगरीय वितरण मंडल ने डिफॉल्टर बकाएदारों से बिल रिकवरी के लिए प्राइवेट एजेंसी का सहारा लिया था। लेकिन समय रहते एजेंसी के बाउंसर भी तकरीबन 26 हजार डिफॉल्टर्स की तलाश नहीं कर सके। इन कंज्यूमर्स पर बिजली निगम का लगभग सौ करोड़ रुपए बकाया है। बिल रिकवरी के बदले एजेंसी को वसूली का चार परसेंट मिलना था। लेकिन ये कंज्यूमर्स आज तक लापता है। एजेंसी भी उन्हें ढूंढ पाने में फेल साबित हुई है।

समीक्षा में मिला था अंतर

बिजली निगम के चेयरमैन अरविंद कुमार ने बीते 15 जून को शहर की बिलिंग व्यवस्था व राजस्व वसूली की समीक्षा की थी। इस दौरान नगरीय वितरण मंडल में कनेक्शन के डाटा में आ रहे अंतर को ठीक करने का निर्देश दिया। लेजर डाटा में 2.22 लाख कनेक्शन हैं जबकि बिलिंग डेटा में 1.90 लाख कनेक्शन हैं। दोनों डाटा में 32 हजार का अंतर देखकर चेयरमैन ने डाटा को ठीक करने का निर्देश दिया। बिजली अधिकारियों ने जब डाटा ठीक करने की कवायद शुरू की तो दो हजार कनेक्शन ऐसे मिले जो तीन से चार साल पहले पीडी (स्थाई विच्छेदन) हो चुके थे लेकिन ऑनलाइन बिलिंग सिस्टम में डिलिट नहीं हो सके थे। अधिकारियों ने इन मामलों का निस्तारण किया। चार हजार कनेक्शन ऐसे मिले जिन पर मीटर की फीडिंग की। शेष 26 हजार कनेक्शन स्टॉप बिलिंग के मिले। इन पर वर्ष 2012 से बिलिंग स्टॉप थी। पहले भी अधिकारियों ने इनको खोजने के लिए एक प्राइवेट एजेंसी को जिम्मेदारी दी थी लेकिन एजेंसी भी सफल नहीं हो सकी। अब निगम इन कनेक्शनों को सिस्टम से खत्म करने की योजना पर काम कर रहा है ताकि डाटा दुरुस्त हो सके।

बॉक्स

बिलिंग कंपनी से आठ साल पहले किया था खेल

महानगरीय वितरण मंडल में वर्ष 2012 में स्टलिंग कंपनी बिजली कंज्यूमर्स का बिल बनाथी थी। ऑनलाइन बिलिंग सिस्टम लॉन्च होने के बाद डाटा देते समय कंपनी 50 हजार कनेक्शनों का डाटा लेकर गायब हो गई। तत्कालीन एसई ने कंपनी के जिम्मेदारों के खिलाफ केस दर्ज कराने का निर्देश दिया। उसके बाद बिलिंग कंपनी ने डाटा लौटाया। सूत्रों की मानें तो बिलिंग कंपनी के जिम्मेदारों ने उस समय 26 हजार कनेक्शनों को स्टॉप बिल श्रेणी में डालकर ऑनलाइन बिलिंग सिस्टम को डाटा भेज दिया। तभी से यह कनेक्शन स्टॉप बिल की श्रेणी में पड़े रहे। बीच-बीच में अफसरों ने इस कंज्यूमर्स को खोजने की कोशिश की लेकिन पते के स्थान पर मोहल्ले व शहर का नाम होने से यह खोजे नहीं जा सके। अब यह सिस्टम से उड़ाए जाएंगे।

डिवीजनवाइज डिफॉल्टर्स

डिवीजन डिफॉल्टर कंज्यूमर्स

फ‌र्स्ट 10000

सेकेंड 9000

थर्ड 5500

फोर्थ 1200

वर्जन

डिफॉल्टर कंज्यूमर्स काफी समय से लापता हैं। उन्हें खोजने के लिए एक एजेंसी का जिम्मा दिया गया था लेकिन इनका पता नहीं चल सका। अब वितरण मंडल के कंज्यूमर्स का डाटा दुरुस्त किया जा रहा है। चेयरमैन के निर्देश पर स्टॉप बिलिंग के 26 हजार कनेक्शनों को खत्म करने के लिए डिवीजनों के एक्सईएन को निर्देश दिए गए है। इन कनेक्शनों पर बकाया भी करोड़ों में है। खोजने की कोशिश बहुत हुई है लेकिन पता स्पष्ट नहीं होने से यह नहीं मिल रहे हैं।

ई। यूसी वर्मा, एसई शहर