गोरखपुर (ब्यूरो)। गोरखपुर में यह बातें पुष्ट भी हो रही हैं। यहां भी डेली आने वाले 40 से 50 ब्रेन स्ट्रोक के केसेज में करीब 30 प्रतिशत युवा पेशेंट हैं। न्यूरो सर्जन डॉ। मुकेश शुक्ला बताते हैं कि साल दर साल युवाओं को ब्रेन स्ट्रोक के केसेज बढ़ते ही जा रहे हैं। ठंड के दिनों में ब्रेन स्ट्रोक का खतरा गर्मियों की अपेक्षा लगभग दो गुना हो जाता है।

बढ़ रहे ब्रेन स्ट्रोक के मामले

रिसर्च पेपर में शोधों का हवाला देते हुए कहा गया है कि युवाओं में ब्रेन स्ट्रोक के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। कुल ब्रेन हैमरेज के मामलों में करीब 30 फीसदी तक ऐसे युवा हैं जिनकी उम्र 40 साल से कम हैं। इन युवा पेशेंट्स में 60 फीसदी पुरुष हैं। शोध के मुताबिक इसका मुख्य कारण नशे की लत, खराब जीवनशैली और जागरुकता का अभाव है। न्यूरो सर्जन डॉ। मुकेश शुक्ला बताते हैं कि ब्लड वेन्स में सिकुडऩ या क्लॉटिंग (नलियों में वसा का जमना) के कारण दिमाग मे ंब्लड का प्रवाह कम हो जाता है। जब दिमाग के भीतर धमनियां फट जाती हैं तो हैमरेजिक स्ट्रोक या ब्रेन हैमरेज कहते हैं।

ठंड में खतरे की घंटी

सर्दियों में ब्रेन स्ट्रोक के पेशेंट्स की संख्या गर्मियों की अपेक्षा लगभग दोगुनी हो जाती है। इस बीमारी की वजह से दिमाग की किसी ब्लड वेन्स में जमाव हो जाता है। जिससे ब्लड का बहाव सुचारू रूप से नहीं हो पाता। इससे उस ब्लड वेन्स से जुड़े शरीर के अन्य भाग काम करना बंद कर देते हैं। ब्रेन स्ट्रोक का ठंड से सीधा जुड़ाव है। सर्दियों में खून गाढ़ा हो जाता है। शरीर को गर्म रखने के लिए ब्लड प्रेशर भी बढ़ जाता है। वहीं ठंड के मौसम लोग बेहतर स्वास्थ्य के लिए ज्यादा कैलोरी युक्त भोजन लेने लगते हैं। इससे कोलेस्ट्रॉल काफी तेजी से बढ़ता है।

ये है टीआईए

अगर किसी में स्ट्रोक के लक्षण दिखते है और खुद ही 24 घंटे के अंदर ठीक भी हो जाते हैं तो इसे ट्राजियंट इस्कामिक स्ट्रोक टीआईए कहते हैं। यह ब्रेन स्ट्रोक की चेतावनी है। ऐसे में तुरंत डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए।

स्ट्रोक होने पर क्या करें?

पेशेंट को स्ट्रोक के साढ़े चार घंटे के अंदर अस्पताल पहुंचाएं। पेशेंट को धमनियों के माध्यम से दवाएं दी जाती हैं। जो मस्तिष्क में जाकर ब्लड के थक्के को तोड़ देती हैं।

लक्षण

-शरीर के आधे हिस्से में कमजोरी

-आधे चेहरे, एक हाथ या पैर में सुन्नपन या कमजोरी महसूस होना

-हाथ-पैर का संतुलन बिगडऩा

-सिर में तेजदर्द के साथ उल्टी और चक्कर आना

-आंख से धुंधला या डबल दिखना, निगलने में परेशानी, चाल में लड़खड़ाहट, आवाज में तुतलाहट या बंद होना

बचाव के तरीके

-हाई रिस्क फैक्टर को जाने और बचें।

-अगर हार्ट, बीपी, शुगर या किडनी की बीमारी के पेशेंट है तो सतर्क रहे।

-बीमारी को नियंत्रित रखने के लिए नियमित रूप से दवाओं का सेवन करते रहे।

-सिगरेट, खैनी, गुटखा व शराब के सेवन से बचें

-मोटापा के शिकार हो तो वजन नियंत्रित रखें, दिनचर्या में एक्सरसाइज को शामिल करें।

-पानी खूब पीएं तथा जंक फूड से दूरी बनाए रखें

-सर्दियों में इस बीमारी से बचने के लिए कोलेस्ट्रॉल और ब्लड प्रेशर को नियंत्रित रखें।

-जब मौसम काफी ठंडा हो तो घर से बाहर न निकलें।

-वुलन कपड़े पहनें।

-भोजन में नमक व सैच्युरेटेड फिट की मात्रा सीमित रखें।

स्ट्रोक में पहले चार घंटे महत्वपूर्ण होते हैं। इस अवधि में सही ट्रीटमेंट मिलने पर पेशेंट ठीक हो जाता है। ट्रीटमेंट में देरी होने से जान जाने का भी खतरा रहता है।

- डॉ। मुकेश शुक्ला, न्यूरो सर्जन