GORAKHPUR: पूरे देश के लगभग 75 परसेंट यूनिवर्सिटी में संपूर्ण सुविधा युक्त खेल विभाग नहीं है। योग्य शिक्षकों, प्रशिक्षकों व अध्यापकों की भारी कमी है। यूनिवर्सिटी में क्रीड़ा विभागों के लिए वित्तीय व्यवस्था की भी कमी महसूस की जाती है। इन सब के साथ आवश्यक है कि हम मानसिक बदलाव लाएं और इस अभियान को खेल और खिलाडि़यों के लिए पूरे पूर्वांचल में एक जागरुक पहल के रूप में विकसित करें। यह बातें विशेष सत्र, खेल के मुख्य वक्ता व अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित और पूर्व निदेशक (खेल) कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी डॉ। दलेल सिंह चौहान ने कहीं। वह गोरखपुर यूनिवर्सिटी में ऑर्गनाइज वेबीनार में अपनी बातें रख रहे थे। कहा कि खेल विशेषज्ञों की सुविधा पूर्वांचल के प्रत्येक यूनिवर्सिटी में होनी चाहिए। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे प्रो। हर्ष कुमार सिन्हा ने सार पेश करते हुए कहा कि यहां पर एक व्यापक नीति बने जो कि टुकड़ों में ना हो, साथ ही नए बच्चों के लिए विशेष कैंप लगाए जाएं, छात्रों के लिए अच्छे ट्रैक और मैदान हो, वित्तीय व्यवस्था की सुविधा हो। उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तर्ज पर वन एरिया वन स्पोर्ट को पूर्वांचल में चिन्हित कर उसे आगे बढ़ाने पर जोर दिया। उन्होंने टैलेंट हंट जैसे कार्यक्रम चलाने की बात भी की।

केस स्टडी कर करें काम

साथ ही ग्रामीण अंचल को सर्वे कर जो वहां के प्रचलित खेल हैं, उनकी पहचान कर उनको अधिक बढ़ावा देना चाहिए। साथ ही प्रशिक्षकों, अध्यापकों व खिलाडि़यों के चयन में पूरी तरह से पारदर्शिता होनी चाहिए, तभी हम अच्छे खेल के परिणाम प्राप्त कर सकते हैं। दलेल सिंह ने कहा कि विभिन्न प्रकार के विशिष्ट प्रशिक्षण व खेलों के कैंप लगाए जाएं, जिससे खिलाडि़यों की प्रतिभा को खोजा जा सके। पूर्वांचल की विभिन्न एजेंसियों को भी यहां के बच्चों व यहां के खेलों को स्पांसर करना चाहिए, जिससे उन्हें खेलों में अच्छा मौका मिले। स्पेशल गेस्ट उप निदेशक (खेल) बीएचयू वाराणसी डॉ। आरएन सिंह व पूर्व निदेशक (खेल) डॉ। हरि सिंह गौर यूनिवर्सिटी सागर ने पूर्वांचल में खेलों के विकास के संबंध में अपनी बातें और एक्सपीरियंस शेयर किए। उन्होंने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में जाकर हमको वहां की केस स्टडी करना चाहिए। खेलों के विकास में आवश्यक है कि ग्रामीण- सामाजिक व विभिन्न एजेंसियों को एक समूह के रूप में काम करना होगा।

एडमिशन में मिले छूट

अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए डॉ। सिंह ने यूनिवर्सिटी व कॉलेजेज में पढ़ रहे खिलाड़ी स्टूडेंट्स को स्कॉलरशिप देने व उन्हें अगली कक्षाओं में एडमिशन के लिए छूट देने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि आवश्यक है कि खेलों की आधारभूत सुविधाओं का विकास हो, तकनीकी सुविधाओं को बढ़ावा दिया जाए, स्थानीय लोगों को अधिक से अधिक जोड़कर उनमें सामाजिक चेतना के प्रति जागरुक किया जाए, प्रतियोगिताओं का अधिक से अधिक आयोजन किया जाए, जिससे अच्छी खेल प्रतिभाओं की खोज की जा सकें। कार्यक्रम के सह अध्यक्ष प्रो। शरद मिश्र ने मानवीय संसाधनों की समृद्धि तथा पूर्वांचल के प्रसिद्ध खिलाडि़यों को यूनिवर्सिटी से जोड़ने पर बल दिया। जिससे यहां की खेल संस्कृति को और विकसित किया जा सके। यूनिवर्सिटी क्रीड़ा परिषद के सचिव, प्रो। विजय चहल ने कार्यक्रम का संचालन किया। क्रीड़ा परिषद के संयुक्त सचिव डॉ राजवीर सिंह के धन्यवाद व आभार ज्ञापन के साथ सत्र का समापन हुआ। डॉ। दीपा श्रीवास्तव, डॉ। रंजन लता व डॉ। ज्योति वाला ने तकनीकी सहयोग दिया। कार्यक्रम में प्रो। सुधीर कुमार श्रीवास्तव, डॉ। महेश यादव, डॉ। जेवियर मारिया राज, अवधेश शुक्ला तथा शारीरिक शिक्षा विभाग के शोध छात्रों की उपस्थिति रही।