गोरखपुर (ब्यूरो) अब तक एनई रेलवे के 77 परसेंट रूट पूरी तरह से इलेक्ट्रिफाइड हो चुके हैं और एनईआर ने बाकही 23 परसेंट को इसी साल दिसंबर तक पूरा करने का टारगेट तय किया है। सीपीआरओ एनई रेलवे ने बताया कि कुल 3141.53 रूट किमी। में से अभी तक कुल 2415.1 रूट किमी। इलेक्ट्रिफाइड हो चुका है।

2020-21 एवं 2021-22 में इन पर दौड़ी इलेक्ट्रिक ट्रेन

- कछवा रोड-माधोसिंह-ज्ञानपुर रोड (डबल लाइन)

- भटनी-औंडि़हार (125.62 किमी.)

- औंडि़हार-नन्दगंज-गाजीपुर सिटी (डबल लाइन)

- औंडि़हार-डोभी (डबल लाइन)

- सलेमपुर-बरहज बाजार (20.7 किमी.)

- दुरौंधा-मसरख (42 किमी.)

- गोण्डा-सुभागपुर (06 किमी.)

- गोरखपुर-आनन्दनगर-नौतनवा (80.77 किमी.)

- मऊ-आजमगढ़ (43 किमी.)

- सीतापुर-परसेण्डी (डबल लाइन)

- सीतापुर-लखीमपुर-बांकेगंज (90.16 किमी.)

- बरेली सिटी-पीलीभीत (54.97 किमी.)

- मन्धना-ब्रह्मावर्त (08 किमी.)

- पीलीभीत-टनकपुर (62.17 किमी.)

- फेफना-इंदारा (50 किमी.)

गोंडा-बहराइच का सीआरएस आज

गोंडा-बहराईच (60 किमी.) खंड के इलेक्ट्रिफिकेशन कंप्लीट हो चुका है। 13 जनवरी को इसके इलेक्ट्रिफिकेशन का रेल संरक्षा आयुक्त द्वारा निरीक्षण किया जाएगा। आजमगढ़-शाहगंज (54 किमी.) एवं शाहजहांपुर-पीलीभीत (85 किमी.) रेल खंडों का भी विद्युतीकरण कार्य पूर्ण हो चुका है और शीघ्र ही रेल संरक्षा आयुक्त द्वारा इनका निरीक्षण किया जायेगा।

यह होंगे फायदे -

- डीजल बचत होने से इस पर व्यय होने वाले फॉरेन करंसी की बचत।

- हेड ऑन जेनरेशन (एचओजी) पर ट्रेनों के संचालन से एक पॉवर सह लगेज यान की जगह एलएसएलआरडी कोच लगेंगे।

- इससे 31 एक्स्ट्रा सीट व 04 मीट्रिक टन सामान की जगह अवेलबल हो जाएगी।

- कोचों में लाईटिंग, पंखा, चार्जर आदि बिजली से चलने से डीजल की अतिरिक्त बचत।

- ट्रैक्शन चेंज में लगने वाले समय, मानव श्रम एवं अन्य संसाधनों की बचत।

- इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव (इंजन) में कम अनुरक्षण की आवश्यकता।

- थ्री फेज इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव रि-जेनेरेटिव ब्रेकिंग से ऊर्जा की बचत।

- इंजन में आवाज बहुत कम होने से लोको पायलट एवं सहायक लोको पायलट को काफी सुविधा तथा ध्वनि प्रदूषण में कमी।

- पर्यावरण के अनुकूल और किफायती।

एनईआर का इलेक्ट्रिफिकेशन तेजी से चल रहा है। अब तक 77 परसेंट वर्क कंप्लीट हो चुका है। गुरुवार को गोंडा-बहराइच रूट का सीआरएस इंस्पेक्शन होगा। इसके बाद इस रूट पर भी इलेक्ट्रिक ट्रेन दौडऩे लगेंगी।

- पंकज कुमार सिंह, सीपीआरओ, एनई रेलवे