- शहर में अंगूठा छाप का क्लोन बनाकर की जालसाजी

- आठ शातिरों को साइबर सेल से दबोचा, कई चीजें बरामद

- नोटरी और स्टांप पेपर से स्कैन करके अंगूठा निशानी बनाते थे जालसाज

GORAKHPUR: जिले में पब्लिक के अकाउंट से दो साल में करीब ढाई करोड़ रुपए उड़ाने वाले आठ शातिरों को क्राइम ब्रांच की साइबर सेल ने अरेस्ट किया। वकील के जरिए रजिस्ट्री ऑफिस के दस्तावेजों से अंगूठे के निशान लेकर बैंक अकाउंट से रुपए उड़ाने वाला गैंग गोरखपुर को मिनी जमताड़ा बनाने की जुगत में लगा था। एक शिकायत के आधार पर जांच के दौरान साइबर सेल को बड़ी कामयाबी मिली। शनिवार को गैंग के आठ सदस्यों को जेल भेजकर पुलिस दो अन्य की तलाश में जुटी है।

दो साल से सक्रिय

साइबर क्राइम के बड़े रैकेट का पर्दाफाश करने पर एसएसपी ने साइबर क्राइम सेल प्रभारी महेश चौबे, कांस्टेबल शशि शंकर राय, शशिकांत जायसवाल और नीतू नाविक सहित पूरी टीम को 50 हजार रुपए का ईनाम देने की घोषणा की। एसएसपी जोगेंद्र कुमार ने कहा कि इस गैंग के लोग दो साल से सक्रिय रहकर गोरखपुर को मिनी जमताड़ा बनाने में लगे रहे। पब्लिक की अंगूठा निशानी का क्लोन बनाकर आधार लिंक अकाउंट से रुपए निकालकर मौज करते रहे। एसएसपी ने कहा कि आरोपियों के खिलाफ गैंगेस्टर का मुकदमा दर्ज होगा। सभी ने देश की अर्थ व्यवस्था को चोट पहुंचाने का काम किया है, इसलिए एनएसए भी लगाया जाएगा।

वॉलेट न यूज करने वाले निशाने पर

रामगढ़ताल एरिया में रहने वाले सुनील कुमार सिंह ने साइबर सेल में शिकायत दर्ज कराई। उन्होंने बताया कि उनके अकाउंट से 20 हजार रुपए निकल गए हैं। उनका एटीएम कार्ड भी यूज नहीं किया गया है। इसी तरह की दो शिकायतें खजनी और एक गीडा थाना में दर्ज हुईं। एसएसपी ने मामले की जांच साइबर सेल को सौंपी। जांच के दौरान यह पता लगा कि कोई ऐसा गैंग एक्टिव हैं, जो बिना एटीएम पर जाए ही लोगों के पैसे उड़ा देता है, जो ऑनलाइन ट्रांजेक्शन के लिए किसी तरह के वॉलेट का यूज नहीं करता। रुपए पूरी तरह से मैन्युअल फॉर्मेट में निकाले जाते हैं। जांच में सामने आया कि सारा खेल ग्राहक सेवा केंद्रों से किया जा रहा है। कुछ लोग ग्राहक सेवा केंद्र खोलकर फर्जीवाड़ा कर रहे हैं। रामगढ़ताल थाना पुलिस की मदद से साइबर सेल ने आठ लोगों को पकड़ा। उनकी पहचान सिद्धार्थनगर जिले के खेसरहा, महुलानी निवासी कृष्ण नंदन पांडेय और धनघटा के मनोज कुमार यादव, पादरी बाजार के जय शंकर यादव, चरगांवा के नरेंद्र रंजन, खजनी के भगवानपुर में रहने वाले सुधीर कुमार पासवान, नंदानगर मोहल्ले के उपेंद्र सिंह और बिछिया कॉलोनी निवासी लल्ला कुमार सिंह और कुशीनगर जिले के मुंडेरा लाला निवासी सदानंद श्रीवास्तव के रूप में हुई। पकड़े गए आठ शातिर अपने दो अन्य साथियों आरपीएफ कालोनी शाहपुर निवासी अजय कुमार निषाद और बड़हलगंज क जितेंद्र कुमार पांडेय संग मिलकर जालसाजी का गैंग चला रहे थे।

बनाते थे बायौमेट्रिक क्लोन

एसएसपी ने बताया कि करीब दो साल से जालसाजों का गैंग एक्टिव था। गैंग में शामिल मनोज कुमार यादव, सदानंद और लल्ला कुमार सिंह विभिन्न बैंकों का ग्राहक सेवा केंद्र चलाते हैं। सेंटर पर आने वाले गरीब तबके लोगों का अकाउंट खुलवाकर जालसाज संबंधित लोगों का बैंक पासवर्ड, एटीएम कार्ड, चेक बुक, पासबुक, इंटरनेट बैंकिंग किट अपने पास रख लेते थे। फिर गैंग के सदस्य एडवोकेट सुधीर कुमार पासवान के जरिए जालसाज रजिस्ट्री आफिस से कागजात निकालवाकर उसी से आधार कार्ड नंबर और फिंगर प्रिंट लेकर उसका क्लोन तैयार करा देते। क्लोन बनने पर अपने ही ग्राहक सेवा पर फर्जी फिंगर प्रिंट के जरिए बायोमैट्रिक की प्रक्रिया पूरी करके रुपए का ट्रांजेक्शन अपने खुलवाए हुए अकाउंट में कर देते थे। फिर किसी एटीएम से आसानी से रुपए निकल लेकर मौज करते थे। 10 हजार से लेकर 20 हजार तक का ट्रांजेक्शन होने पर पीड़ित थानों का चक्कर काटते रहते थे। इसलिए ज्यादातर मामलों की छानबीन भी पूरी नहीं हो सकी। गैंग में शामिल हर सदस्य के जिम्मे अलग-अलग काम बंटे हुए थे। मार्केट में 70 रुपए में रबर क्लोन बनाने की जिम्मेदारी चरगांवा के नरेंद्र रंजन की थी। मास्टर माइंड कृष्ण नंदन पांडेय गैंग का सरगना है।

यह हुआ बरामद -

- 775 पीस रबर फिंगर क्लोन

- चार बायोमैट्रिक डिवाइस

- नौ एटीएम कार्ड

- 12 मोबाइल सिम

- 10 मोबाइल फोन

- 135 रजिस्ट्री पेपर की फोटोकापी

- 1574 लोगों के नाम और मोबाइल नंबर का रजिस्टर

- दो लग्जरी फोर व्हीलर

- एक लैपटॉप

- प्रिंटर

- स्कैनर

- 44, 810 रुपए कैश

इसके जिम्मे ये काम

कृष्ण नंदन पांडेय - फर्जी अकाउंट खोलने और इंटरनेट बैंकिग का काम देखता था।

जय शंकर यादव उर्फ बब्लू यादव - फर्जी अकाउंट के एटीएम कार्ड लेकर एटीएम से रुपए निकालता था।

नरेंद्र रंजन - डाटा मिलने पर फिंगर प्रिंट के क्लोन बनवाकर बाजार से ले आता था।

एडवोकेट सुधीर कुमार पासवान - रजिस्ट्री ऑफिस से लोगों की नकल निकालकर उपलब्ध कराता था।

मनोज कुमार यादव - अलग-अलग ग्राहक सेवा केंद्रों से फिंगर प्रिंट क्लोन के जरिए रकम ट्रांसफर करता था।

सदानंद श्रीवास्तव - ग्राहक सेवा केंद्र से फिंगर प्रिंट क्लोन के जरिए रुपए का ट्रांजेक्शन

उपेंद्र सिंह उर्फ इंदल सिंह - रजिस्ट्री कागजात और आधार कार्ड को ऑनलाइन आईजीआरएस के जरिए डाउनलोड करके रजिस्टर में दर्ज करने काम संभालता था।

लल्ला कुमार सिंह - रुपए कमाने के लिए ग्राहक सेवा केंद्र खुलवाता था।

एक वकील सहित आठ लोगों को पकड़ा गया है। दो अन्य की तलाश की जा रही है। सभी के खिलाफ एनएसए की कार्रवाई की जाएगी। करीब दो साल से एक्टिव रहकर लोगों के अकाउंट से क्लोन अंगूठा निशानी के जरिए रुपए का ट्रांजेक्शन कर रहे थे। साइबर सेल ने अथक मेहनत करते हुए आरोपियों को अरेस्ट किया। टीम को 50 हजार रुपए का इनाम दिया गया है।

जोगेंद्र कुमार, एसएसपी