- महिला पीजी कॉलेज की असिस्टेंट प्रोफेसर के सर्वे से हुआ खुलासा
- सर्वे में 7 एरियाज के 100 लोगों को किया गया शामिल
GORAKHPUR:
कोरोना की डेंजरस सेकेंड वेव में हुई रिकॉर्ड मौतों से सिस्टम एक्सपोज हो गया। ऑक्सीजन, बेड और दवा के बीच बने डरावने माहौल में नॉन कोविड लोग भी सहम उठे। कोरोना के निगेटिव माहौल से नॉन कोविड 95 प्रतिशत लोगों में भय यानी डर समा गया। इसके बाद 90 प्रतिशत लोग एनजाइटी के शिकार हो गए। जबकि 80 प्रतिशत लोगों में अनिद्रा की शिकायत हो गई। यह खुलासा डीडीयूजीयू से संबद्ध सरस्वती विद्या मंदिर महिला पीजी कॉलेज की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ। कनक मिश्रा के सर्वे से हुआ है।
100 लोगों पर हुआ रिसर्च
दैनिक जागरण आईनेक्स्ट को डॉ। कनक ने बताया कि कोरोना की सेकेंड वेव में जहां डेल्टा वैरिएंट के तबाही से हर कोई परेशान था। वहीं नॉन कोविड (कोरोना से संक्रमित नहीं हुए) के जीवन पर कितना असर पड़ा? इसे लेकर 100 लोगों पर सर्वे किया गया। सर्वे के लिए सिटी के कुछ मोहल्लों को सेलेक्ट किया गया। जिसमें हर उम्र के लोगों को शामिल करते हुए क्वेश्चन तैयार किए गए। क्वेश्चन साइक्लोजिकली, सोसियोलोजिकली एस्पेक्ट को देखते हुए तैयार किए गए थे। लोगों ने इस सर्वे में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हुए ऑनलाइन ही सवालों के जवाब दिए। डॉ। कनक बताती हैं कि उन्होंने अपने रिसर्च के लिए 'कोरोना का भय और प्रतिरक्षा प्रणाली पर इसके मनोवैज्ञानिक प्रभाव' विषय को चुना। इसके लिए उन्होंने नॉन कोविड वाले परिवारों के हर एक उम्र के लोगों पर रिसर्च किया।
फल और सब्जियों को साबुन से धोने की आदत
डॉ। कनक बताती हैं कि कोरोना की सेकेंड वेव में अधिकांश आबादी अपने दैनिक जीवन चक्र में संकट, मनोवैज्ञानिक अस्थिरता आदि से पीडि़त नजर आई। उन्होंने बताया कि दूसरी बार हुए लॉकडाउन से मनोवैज्ञानिक व्यवहार पर बहुत ज्यादा प्रभाव पड़ा। इस महामारी में सामान्य भय, ऑब्सेसिव कंपल्सिव डिसऑर्डर (ओसीडी) जुनूनी बाध्यकारी विकार, अनिद्रा, थानाटोफोबिया मृत्यु-भय, अत्यधिक चिंता, अवसाद, तनाव और हार्मोनल परिवर्तन जो हृदय, मधुमेह, गैस्ट्रो जैसी समस्याएं उत्पन्न हुई। यह भी देखा गया की कुछ लोगों में ओसीडी मामले पाए गए। जो बार-बार स्नान कर रहे हैं। लगभग हर आधे घंटे में फलों और सब्जियों को डिटर्जेंट, डेटॉल आदि अन्य रसायनों से धो रहे हैं। जिनसे आंतरिक शारीरिक प्रणालियों को भी नुकसान पहुंचने का खतरा हुआ। कोविड-19 पर बार-बार भ्रामक एवं गलत जानकारी तथा मोबाइल और टीवी पर कोरोना वायरस समाचार के संपर्क में आने से नींद संबंधी विकार पैदा हुए, जिससे अनिद्रा, चिंता और परिणाम स्वरूप हार्मोनल असंतुलन भी देखा गया।
इन बातों की सता रही थी टेंशन
- लॉकडाउन में नौकरी और बिजनेस प्रभावित होने का डर।
- किसी रिश्तेदार के गुजर जाने का गम।
- घर-परिवार में घर के बुजुर्गों द्वारा बाहर निकलने पर कोरोना संक्रमण होने का डर।
- छोटे-छोटे बच्चों को घर के बाहर न निकलने की हिदायत।
- पति और पत्नी के बीच दूरियों की टेंशन।
- पति या पत्नी में किसी एक के कोविड पॉजिटिव होने की टेंशन।
- होम आइसोलेशन के दौरान घर के सदस्यों के रूटीन में परिवर्तन।
- लॉकडाउन होने से बच्चों की पढ़ाई कैसे होगी इसकी टेंशन।
- एजुकेशन को लेकर टेंशन।
कुछ इस तरह से किए गए सवाल
1- क्या आपके परिवार में किसी की जॉब नहीं रही?
2- क्या इकोनॉमिक प्रॉब्लम फेस करनी पड़ी?
3- क्या आपके किसी रिलेशन में डेथ हुई?
4- क्या कभी लगा कि कोरोना होना मतलब डेथ होना?
5- कोरोना की थर्ड वेव को किस रूप में देखते हैं?
सर्वे में इन एरियाज को किया गया शामिल
रुस्तमपुर, शक्तिनगर, आजाद चौक, राजीव नगर, फल मंडी, बेतियाहाता और दाउदपुर।
सर्वे के ये आए रिजल्ट (प्रतिशत में)
95 भय
90 चिंता
80 अनिद्रा
70 मृत्यु भय
40 हॉर्मोनल परिवर्तन
30 ओसीडी
ऐसे करें बचाव
- मनोवैज्ञानिक प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ावा देने के लिए ध्यान, योग, संगीत, प्रार्थना, परिवार के साथ समय बिताना
- पसंदीदा गतिविधियां नृत्य, पेंटिंग, कला और शिल्प गतिविधि करके तनाव को दूर करें।
- शारीरिक दूरी बनाए रखें, लेकिन अपने समाज से मजबूती से जुड़े रहें।
- फलों और सब्जियों को धोने के लिए प्राकृतिक उत्पादों नमक व सिरका आदि का प्रयोग करें।
- बाहर निकलते समय मास्क पहनें। सावधान रहें, लेकिन डरें नहीं।