-कलाकारों ने शानदार अभिनय से दिखाया आजादी का संघर्ष

-दर्शकों ने नाटक की खूब की सराहना

GORAKHPUR: चौरी चौरा महोत्सव के अंतर्गत पहले दिन गुरुवार को कार्यक्रमों की शुरुआत नाटक '1857-1922' के मंचन से हुई। नाटक शुरू होते ही ऐसा लगा मानों देश की आजादी का संघर्ष आंखों के सामने से गुजरने लगा। शानदार निर्देशन एवं कलाकारों के अभिनय ने दर्शकों में देश भक्ति का जज्बा भर दिया। लोगों नाटक की खूब सराहना की।

दिखाया अंग्रेजों का अत्याचार

नाटक के जरिए कलाकारों ने दिखाया कि हमारे देश में अंग्रेजों का राज था। अंग्रेजों के अत्याचार से हर तरफ केवल एक ही आवाज उठ रही थी अंग्रेजों से मुक्ति। तभी 1857 में बागी बलिया के सपूत मंगल पांडे ने आजादी का बिगुल बजा ही दिया। 1857 के विद्रोह की एक और महत्वपूर्ण कड़ी झांसी की रानी लक्ष्मीबाई जिन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ मरते दम तक संघर्ष किया लेकिन झुकी नहीं। रानी लक्ष्मीबाई भारतीय महिलाओं की शक्ति रूप का प्रतीक बन गई राष्ट्र के लिए अंग्रेजों से संघर्ष करते हुए वीरगति को प्राप्त हुई। मातृभूमि की स्वाधीनता को अपने बलिदान से रेखांकित किया और स्वतंत्रता का झंडा आने वाली पीढ़ियों के हवाले कर दिया। नाटक का लेखन, परिकल्पना एवं निर्देशन मानवेंद्र त्रिपाठी ने किया।

इन्होंने किया अभिनय

सूत्रधार रिनी सिंह, सूत्रधार आकांक्षा, अंग्रेज अफसर नवनीत जायसवाल, अंग्रेज अफसर संजू राज खान, अंग्रेज सिपाही रुबान, अंग्रेज सिपाही अमित कुमार, किसान नजर अली व गिरिजेश दुबे, औरत अनुप्रिया, बुजुर्ग रवींद्र रंगधर, मंगल पांडे सुमित सिंह, लक्ष्मीबाई अंकिता, गांधीजी अविनाश शाही, भगवान अहिर हर्षित, लाल मोहम्मद रितेश, गुप्तेश्वर शरद श्रीवास्तव, भीड़ आकाश, सौरभ, शादाब।