- व्यूवर्स से ऑनलाइन रूबरू हुए फेमस एक्टर अखिलेंद्र मिश्र

GORAKHPUR: प्रगति हमारे संस्कारों से होकर जाती है। विकास के असली मायने जड़ों से जुड़े रहना और संस्कृति के संवर्धन के साथ ज्ञान तथा विज्ञान का समन्वय है। यह बातें गोरखपुर प्रसिद्ध अभिनेता, रंगकर्मी तथा साहित्यकार अखिलेंद्र मिश्र ने कहीं। वह लिटरेरी फेस्ट, शब्द संवाद की साहित्यिक परिचर्चा के क्रम में अपनी पुस्तक 'अखिलामृतम' पर चर्चा कर रहे थे। इस दौरान उन्होंने समाज के विभिन्न पहलुओं को छुआ जिसमें शब्द, नाटक, प्रवासी, जड़, विद्या, चेतावनी, कर्म, धर्म, चेतना आदि शीर्षक से लिखित कविताएं जो उन्होंने इस पुस्तक में लिखी हैं उन पर विस्तृत चर्चा की। शब्द को ब्रह्म बताते हुए, उन्होंने नाटक के विभिन्न पहलुओं को भी छुआ तथा एक अभिनेता की जीवन यात्रा का विस्तार से वर्णन किया। कर्म के महत्व तथा धर्म की चेतना के साथ उन्होंने प्रेम के विषय पर भी चर्चा की तथा कर्म और धर्म को मानव जीवन का आधार बताते हुए प्रेम को आवश्यक तत्व बताया।

दान की परंपरा का बताया महत्व

नवयुग, नारी तथा और मनुष्य पर बोलते हुए अखिलेंद्र ने कहा कि नारी समाज का अभिन्न अंग है। उन्होंने कहा कि जड़ चेतन समस्त में समाहित हैं तथा सर्वत्र विद्यमान है। इसी के साथ उन्होंने दान के महत्व को समझाते हुए भारतीय संस्कृत में दान की परंपरा के महत्व का भी वर्णन किया। अंत में उन्होंने भोजपुरी भाषा में रचित अपनी कविता के विषय में भी दर्शकों को बताते हुए भोजपुरी को अपने हृदय की भाषा बताया तथा अपनी कविता का पाठ भी किया। इस वर्चुअल परिचर्चा में गोरखपुर लिटरेरी फेस्ट के दर्शकों ने तमाम प्रश्न भी पूछे जिनका श्री अखिलेंद्र मिश्र ने बखूबी उत्तर दिया। परिचर्चा का संचालन आशीष श्रीवास्तव ने किया और तकनीकी सहयोग वरिष्ठ रंगकर्मी अमित सिंह पटेल का रहा। आभार ज्ञापन गोरखपुर लिटरेरी फेस्ट के शैवाल शंकर श्रीवास्तव ने किया।