गोरखपुर (ब्यूरो)।बढ़ते पॉल्यूशन की वजह से यह बीमारी लोगों को अपने चपेट में ले रही है। नाक से शुरू होकर यह बीमारी आंख और गले तक पहुंच रही है।

बच्चे भी होने लगे शिकार

इलर्जिक राइनाइटिस जहां पहले 15 परसेंट 20 से 50 साल उम्र के लोगों को प्रभावित करती थी। वहीं अब यह बीमारी पांच साल के बच्चों को भी अपनी जद में लेने लगी है। यदि कई साल इलाज न कराया जाए तो अस्थमा भी अपनी चपेट में ले सकता है। बीआरडी मेडिकल कॉलेज ईएनटी विभाग के असिस्टेंट प्रो। डॉ। आदित्य पाठक ने बताया कि अक्सर हम एलर्जी को बदलते मौसम से जुड़ी परेशानी मानकर नजर अंदाज कर देते हैं, लेकिन कई बार यह गंभीर रूप ले लेती है।

एक्टिव हो जाते हैं वायरस

डॉक्टर्स की मानें तो इस मौसम में वायरस भी एक्टिव हो जाते हैं। बच्चों में सर्दी-खांसी के लक्षण दिखने पर पेरेंट्स अलर्ट हो जाते हैं, लेकिन कुछ ऐसे लक्षण भी है जिसे अक्सर पेरेंट्स समझ नहीं पाते हैं। इसमें बार-बार छींकना, नाक बहना, आंखों में खुजली होना शामिल है। ये लक्षण एलर्जी के हैं। वैज्ञानिक भाषा में इसे एलर्जिक राइनाइटिस करते हैं। एक्सपर्ट कहते हैं यह समझना जरूरी है कि बच्चों को किस चीज से एलर्जी हो रही है, ताकि उसे बच्चे से दूर रखा जा सके।

पालतू पशु भी एलर्जी के वाहक

ईएंडटी एक्सपर्ट डॉ। आदित्य पाठक ने बताया कि पॉल्युशन इतना दूषित हो चुका है कि धूल, धुआं आदि हर मौसम में परेशान करने लगे हैं। इसके साथ ही पालतू पशु भी एलर्जी के वाहक होते हैं। वहीं शहर में हो रहे कंस्ट्रक्शन कार्य के चलते रोड के किनारे मौरंग, बालू और सीमेंट भी डस्ट उड़ाते हैं, जोकि सांस के रास्ते नाक में चले जाते हैं। यह एलर्जी का सबसे बड़ा कारण होते हैं।

नाक की एलर्जी एलर्जिक राइनाइटिस

एलर्जिक राइनाइटिस या नाक की एलर्जी मौसमों या पूरे साल हो सकी है, हालांकि इस प्रकोप बदलते मौसम में ज्यादा होता है। नाक के वायुमार्ग में सूजन आ जाती है। छींक, नाक में खुजली और नाक का बंद होना आदि प्रॉब्लम होती है। कुछ मामलों में इसके कारण साइनस में सूजन आ जाती है, जिसे एक्सपर्ट की भाषा में साइनेसाइटिस कहते हैं। बच्चों मे एलर्जी की परेशानी आदि लंबे समय तक रहती है, तो कान में दर्द, कम सुनाई देना और बहरेपन की दिक्कत हो सकती है। इतना ही नहीं समय से इलाज नहीं होने में सांस यानि अस्थमा से ग्रसित हो सकते हैं।

क्या है एलर्जिक राइनाइटिस?

ऐसी चीजों जो बच्चों और बड़ों में एलर्जी की वजह बनती है, उन्हें एलर्जंस कहते हैं। जब शरीर ऐसे एलर्जंस के संपर्क में आता है तो बीमारियों से बचाने वाला इम्यून सिस्टम अधिक तेजी से काम करने लगता है। नतीजा, हालत और बिगडऩे लगती है। एलर्जंस बाहर ही नहीं, घर के अंदर भी होते हैं। हवा में मौजूद पॉल्यूटेंट भी सांस से जुड़ी एलर्जी की वजह बनते हैं। इसके अलावा हवा में मौजूद परागकण, घरों में इस्तेमाल होने वाले कुछ खास केमिकल, धूल, मिट्टी भी एलर्जी की वजह बन सकते हैं।

एलर्जी के लक्षण

सिरदर्द

खांसी

नाक बहना

गले में खराश

नाक में खुजली

आंखों में खुजली

आंखों से पानी आना

एलर्जी का खतरा

हम्यूमिडिटी

एयर पॉल्यूशन

स्मोकिंग

केमिकल,

लकड़ी का धुआं

परफ्यूम

हेयर स्प्रे

बचाव

-घरों में पर्दे, कार्पेट, सोफा को रेग्युलर साफ करते रहें। इसमें मौजूद धूल और डस्ट माइट भी एलर्जी का कारण बन सकते हैं

-बेडशीट और तकिए और कवर कुछ दिन के अंतराल पर बदलें

-एयरकंडीशन और एयर प्यूरीफायर के फिल्टर को साफ करते रहें

-घर में चारों तरफ से बंद न करें, बीच-बीच में खिड़कियां खोले ताकि वेंटिलेशन बना रहे

-शहर में पॉल्यूशन का लेवन बढऩे पर बच्चे बाहर निकलें तो उन्हें मास्क जरूर लगाएं।

पिछले पांच दिनों के आंकड़े

दिन ओपीडी एलर्जिक राइनाइटिस के मरीज

सोमवार 220 22

मंगलवार 173 17

बुधवार 156 15

गुरुवार 173 17

शुक्रवार 140 14

नोट-कुल ओपीडी 862, एलर्जिक राइनाइटिस के मरीज 85.

किसी भी तरह की एलर्जी से ग्रसित हो तो अनदेखी करने के बजाय इलाज कराएं और इस बात का भी ध्यान रखें कि आपको जिस चीज से एलर्जी है, उससे बचना है। यदि लंबी बीमारी होती है तो आप अस्थमा के रोगी भी हो सकते हैं। इसलिए तत्काल डॉक्टर्स से परामर्श लें।

- डॉ। आदित्य पाठक, असिस्टेंट प्रोफेसर ईएनटी विभाग, बीआरडी मेडिकल कॉलेज