गोरखपुर (ब्यूरो), बता दें, एंटी कोविड कोच के लिए एलएचबी (लिंके हाफमैन बुश) कोच को लिया गया है। यांत्रिक कारखाना के इंजीनियरों ने 22 दिनों के कठिन परिश्रम के बाद इसे तैयार किया था। कोच के दरवाजों पर लगे हैंडिल, कुंडी आदि ऐसे स्थान जहां यात्रियों का हाथ बार-बार जाता है, उस पर कॉपर की कोटिंग की गई है, ताकि इस पर कोरोना वायरस का प्रभाव न हो। वहीं बेसिन के टैब पर किसी का हाथ गलती से भी न जाए, इसके लिए बेसिन में ऐसे टैब लगाए गए हैं। जिसमें खोलने या बंद करने वाला कोई नॉब नहीं है। बेसिन के ठीक नीचे पैडल लगा है। उसके दबाते ही टैब से पानी गिरने लगेगा। लिक्विड साबुन लेने के लिए भी इसी तकनीक का इस्तेमाल किया गया है।

पैर से खुल जाएगा दरवाजा

टॉयलेट के दरवाजे को हाथ से खोलने की जरूरत नहीं होगी। पैर से दबाने पर दरवाजा खुल जाएगा। अंदर फ्लश से लेकर बेसिन तक सब कुछ पैडल से संचालित है। फ्लश भी पैर से दबाना होगा। बाहर निकलते समय दरवाजे को पैर से दबाना होगा। बाहर आने के बाद दरवाजा अपने आप बंद हो जाएगा।

एंटी कोविड कोच बनाया गया है। इसका ट्रायल हो चुका है। इसकी खासियत है कि बेसिन, फ्लश को चलाने के लिए हाथ की जरूरत नहीं पड़ेगी। सबकुछ पैर से ही ऑपरेट हो जाएगा।

पंकज कुमार सिंह, सीपीआरओ एनईआर