- बाजार में आई अर्तरुल गाजी की खास टोपी, बच्चों में खास अट्रैक्शन

- बाजार में मनचाहे कलर और डिजाइन की टोपियां अवेलबल

GORAKHPUR: पिछले साल रमजान में ओटीटी प्लेटफॉर्म पर धूम मचाने के बाद अब मशहूर तुर्की ड्रामा अर्तरुल गाजी शहर में धूम मचा रहा है। उसके किरदार तो यहां से दूर हैं, लेकिन उनकी पोशाक बाजारों की रौनक बढ़ा रही है। खासतौर पर अर्तरुल गाजी और उनके सिपाह सालारों की खास टोपियां मार्केट में खूब मांगी जा रही हैं। अभिनेताओं द्वारा पहनी जाने वाली पारंपरिक टोपी नखास पर बिक रही है। यह टोपी रामपुर से मंगवाई गई है। एक टोपी का कीमत करीब ढाई सौ रुपए के करीब है।

300 से 500 रुपए कीमत

नखास के अख्तर आलम ने बताया कि अर्तरुल गाजी, हक्कानी, ओवैसी, बरकाती, रामपुरी, बांग्लादेशी सहित तमाम तरह की रंगबिरंगी टोपी बिक रही है। जो दिल्ली, लखनऊ, रामपुर व मुंबई आदि जगहें से मंगवायी गई है। उनके यहां 30 से लेकर 500 रुपए कीमत तक की टोपियां मौजूद हैं। फैशन के इस दौर में टोपियों की भी अलग कतार है। बाजार में एक से एक बेहतर रंगबिरंगी व तरह-तरह की टोपियां मौजूद हैं जो लोगों को अट्रैक्ट कर रही है। हालांकि सस्ते दामों में भी यह अवेलबल है। सबसे सस्ती टोपी बर्फी पांच रुपए में बिक रही है। हालांकि बिक्री की रफ्तार कोरोना संक्रमण की वजह धीमी है।

रमजाम में बढ़ जाता है क्रेज

छोटे काजीपुर में टोपियों की दुकान चलाने वाले मौलाना मोहम्मद अहमद ने बताया कि हर माह की तुलना में इस माह टोपियों की बिक्री बढ़ जाती है। रमजान में जहां टोपियों का क्रेज काफी बढ़ जाता है। वही इबादत करने वालों के सरों की रौनक यह टोपियां बनती हैं। हाफिज रहमत अली निजामी ने बताया कि नबी-ए-पाक हजरत मोहम्मद सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम हमेशा सर मुबारक पर टोपी के ऊपर अमामा शरीफ सजाकर रखा करते थे। नबी-ए-पाक ने अमामा की तरफ इशारा करके फरमाया फरिश्तों के ताज ऐसे ही होते हैं। टोपी पर अमामा हमारा और मुशरिकीन का फर्क है।

बाजार में यह टोपी अवेलबल

इंडोनेशियाई

जरवी

फाम

मोती वाली

बांग्लादेशी

चाइना

बर्फी

चिमकी

मखमल

चिकन

लम्बी बरकाती

पचकली

कोरिया

बरकाती गोल

रामपुरी

चांद-तारा

रमजान में की गई इबादत बहुत असरदार : मौलाना असलम

नूरी मस्जिद तुर्कमानपुर के इमाम मौलाना मो। असलम रजवी ने बताया कि रमजान के महीने में की गई अल्लाह की इबादत बहुत असरदार होती है। इंसान इसमें खान-पान सहित अन्य दुनियादारी की आदतों पर संयम करता है। इंसान अपने शरीर को वश में रखता है साथ ही फर्ज नमाज व तरावीह की नमाज पढ़ने से बार-बार अल्लाह का जिक्र होता रहता है जिसके जरिए इंसान की रूह पाक-साफ होती है।

गलतियों को सुधारने का मौका रमजान में मिलता है : हाफिज रजी

बरकाती मकतब पुराना गोरखपुर के शिक्षक हाफिज रजी अहमद बरकाती ने बताया कि हमें अपनी गलतियों को सुधारने का मौका रमजान के रोजे में मिलता है। गलतियों के लिए तौबा करने एवं अच्छाइयों के बदले बरकत पाने के लिए भी इस महीने की इबादत का महत्व है।

रोजा-नमाज के जरिए अल्लाह को राजी करने में जुटे बंदे

- अल्लाह के बंदे रोजा व नमाज के जरिए अल्लाह को राजी करने में जुटे हुए हैं।

- मंगलवार को मुकद्दस रमजान का सातवां रोजा अल्लाह की फरमाबरदारी में गुजर गया।

- मस्जिदों में कोविड प्रोटोकॉल को ध्यान में रखते हुए इबादत जारी है। घरों में जमकर इबादत व तिलावत हो रही है।

- दस्तरख्वान पर तमाम तरह की नेमत रोजेदारों को खाने को मिल रही है। सभी के हाथों में तस्बीह व सरों पर सजी टोपियां भा रही हैं।

- महिलाएं इबादत के साथ घर व बाजार की जिम्मेदारियां निभा रही हैं। तरावीह की नमाज पढ़ी जा रही है।

- सदका, फित्रा व जकात की रकम लेने के लिए मदरसे वाले घरों पर पहुंचने लगे हैं।

- सोशल मीडिया पर भी अपील कर मदरसे का अकाउंट नम्बर शेयर किया जा रहा है।

- इसी सदका, फित्रा व जकात की रकम से मदरसों का संचालन होगा। मदरसे में पढ़ने वाले गरीब, यतीम छात्रों के रहन-सहन, खानपान का खर्च निकलेगा।